आधुनिक विचारों और शाश्वत आस्थाओं का संगम

29 जुलाई 1992

खुद जे.आर.डी. के शब्दों में, ‘अगर मुझ में कोई योग्यता है तो वह लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाकर काम करने की है। मैं हर व्यक्ति के साथ उसके व्यक्तिगत स्वभाव व कार्यशैली को ध्यान में रखकर इंटरएक्ट करता हूं। इन पचास सालों में मेरा सैकड़ों ‘निर्देशकों’ से काम पड़ा, और सभी के साथ मेरे संबंध मधुर हैं। इस प्रक्रिया में कई बार अपनी निजी अभिव्यक्ति को दबाना पड़ता है। पर कार्य करने के लिए वह जरूरी भी है।’ इसी सहृदयता के फलस्वरूप जब विगत वर्ष जे.आर.डी. ने टाटा सन्स के अध्यक्ष पद के लिए रतन टाटा का नाम प्रस्तावित किया, तो सभी अन्य निदेशकों से अनुभव और उम्र के मान से ‘छोटे’ होने के बावजूद रतन का नाम अध्यक्ष पद के लिए सर्वानुमति से पारित कर दिया गया।

खुद जे.आर.डी. के शब्दों में, ‘अगर मुझ में कोई योग्यता है तो वह लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाकर काम करने की है

इतने विशाल औद्योगिक समूह के पद पर इतने लंबे कार्यकाल के बाद परिवर्तन की प्रक्रिया में कुछ तो ध्वनि होती ही, और हुई भी। टिस्को में कुछ निदेशकों की नियुक्ति और टाटा सन्स द्वारा कार्यकारी प्रबंधकों की सेवानिवृत्ति आयु का निर्धारण इनमें प्रमुख था। इन मुद्दों के विस्तृत विश्लेषण के लिए न तो यह स्थान उपयुक्त है न ही समय; पर मुख्य मुद्दा जो सामने है, वह यही कि टाटा समूह की ‘सामूहिकता‘ अब कसौटी पर है। वैसे, पीछे मुड़कर देखें तो टाटा सन्स के कर्णधार सभी प्रखर ‘विजीनरी‘ रहे हैं। जमशेदजी ने 1874 में ही औद्योगिक इकाई लगा दी थी। जे.आर.डी. की दूरदर्शिता और महत्वाकांक्षा का ही परिणाम है कि आज भारत में नागरिक उड्‌डयन इतना विकसित हो पाया है। रतन टाटा ने भी वर्ष 1983 में ही टाटा समूह के लिए वर्ष 2000 में प्रवेश करने हेतु व्यापक योजना तैयार कर ली थी।

जे.आर.डी. के किसी और योगदान का जिक्र हो या न हो, भारत में नागरिक उड्‌डयन की कल्पना से लेकर क्रियान्वयन और विकास में उनकी भूमिका का शब्दों में वर्णन संभव ही नहीं है। जीवन के 88 बसंत पार कर भी जे.आर.डी. की कार्यशीलता, सजगता और जागरूकता में कहीं कोई कमी नहीं आई है। वे आज भी भारत के समग्र विकास के प्रति उतने ही व्याकुल हैं, जितने 1951 में बढ़ती हुई आबादी से। इस वर्ष के प्रारंभ में सरकार ने जे.आर.डी. को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित किया। यह पहला मौका था कि यह अलंकरण राजनीतिक अथवा सार्वजनिक जीवन से विलग किसी उद्योगपति को दिया गया है। यह सिर्फ जे.आर.डी. की व्यक्तिगत अथवा संस्थागत उपलब्धियों का ही नहीं, वरन यह सम्मान था- उन सभी आस्थाओं, मूल्यों और नैतिक आचार-विचार का, जिस पर जे.आर.डी. ने सदा अपने आपको और संबंधित संस्थाओं को चलने के लिए प्रेरित किया। आज जन्मदिन के शुभ अवसर पर हम जे.आर.डी. के सुदीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ यही आशा करते हैं कि वे विस्मृत आस्थाएं और मूल्य, जो सदैव जे.आर.डी. के पथ प्रदर्शक रहे हैं, हम सबके सार्वजनिक जीवन का अंग बन जाएं।

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