आग की लपटों से लिपटने का रोमांच

27 मार्च 1991

आग की लपटों से लिपटने का रोमांच ‘द ग्लास टॉवर’ विश्व की सबसे ऊंची इमारत। आधुनिक तकनीक और मानवीय मेहनत से बनी कांच और क्रांकीट की एक गगनचुंबी मिसाल। सेन फ्रेंसिसको की एक हसीन शाम। गणमान्य व्यक्तियों के जमघट की उपस्थिति में शहर के महापौर द्वारा हैरतअंगेज कर देने वाली इस इमारत का उद्घाटन किया जाता है। एक सौ तीस मंजिलों से छन कर आ रहे, प्रकाश से सारा शहर रोशनी में नहा जाता है।

एक ओर जहां मनुष्य ने अपनी क्षमताओं के क्षितिज को इस इमारत में ढाल दिया, वहीं दूसरी ओर धन-लोलुपता ने इस आधुनिक अचंभे को आग में झोंक दिया। स्वार्थ की ज्वाला को तृप्त करने के लिए खरीदे गए एक व्यक्ति ने, बिजली के तार से निकली चिंगारी से देखते ही देखते सैकड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। आग का प्रचंड विध्वंस इस भयावह गति से फैलने लगा कि इमारत की अत्याधुनिक सुरक्षा और सूचना व्यवस्था नाकाम हो गई।

यहीं से शुरू होता है बहुचर्चित फिल्म ‘द टॉवरिंग इनफरनो’ का रोमांच जो अंत तक दर्शकों को बांधे रखता है। आग से लड़ाई की कहानी का अविस्मरणीय छायांकन है इस फिल्म में। अग्निशमन दल के प्रमुख के रूप में स्टीव मक्वीन और बिल्डिंग के डिजाइनर पॉल न्यूमैन ने अभिनय प्रतिभा के सभी आयामों का जबरदस्त प्रदर्शन किया है। फिल्म की विशेषता निःसंदेह उसकी फोटोग्राफी है, जिसने आग से भिड़ंत और उसकी विनाशलीला का बेहद रोमांचक चित्रण किया है। सभी दृश्य देखकर एक बार तो यह विश्वास करना ही कठिन हो जाता है कि यह महज कल्पना का फिल्मांकन है, सच्चाई नहीं। शायद राहत की सांस भी इसी से आती है कि यह महज कल्पना ही है, कोई हादसा नहीं।

निर्देशक ने त्रासदियों के विरुद्ध ऐसी इमारतों की असहायता और इन इमारतों की असुरक्षा के बावजूद इनके औचित्य के प्रश्न को सटीक ढंग से उठाया है। फिल्म को विश्व के अग्निशमन कर्मचारियों को समर्पित कर उन्होंने कदम-कदम पर दूसरों के जान-माल केलिए जान जोखिम में डालने वाले जांबाजों के प्रति भी आभार प्रकट किया है।

फिल्म ‘शोले’ में खलनायक गब्बर सिंह का एक प्रसिद्ध संवाद था, ‘रामगढ़ के वासियों को गब्बर के तापसे सिर्फ एक व्यक्ति बचा सकता है- खुद गब्बर।’ ठीक उसी तर्ज में प्रकृति की भयानक और विध्वंसक ज्वाला की तृष्णा भी प्रकृति का ही दूसरा आकार शंत कर सकता है, मानव नहीं। इसी को ‘क्लाईमेक्स’ में बहुत प्रभावी ढंग से पेश कियागया है।

कुल मिलाकर ‘द टॉवरिंग इनफरनो’ एक ऐसा अनुभव है जो देखने के काफी समय बाद तक दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छाया रहता है।

फिल्म- द टॉवरिंग इनफरनो
भाषा- अंग्रेजी
समय- 165 मिनट
निर्माता- इरविन एलन
निर्देशक- जॉन गुलिरमैन
कलाकार- स्टीव मैक्वीन, रॉबर्ट वैगनर,पॉल न्यूमैन, रिचर्ड चैम्बरलेन
पार्श्व संगीत- जॉन विलियम
निर्माण संस्था- वॉर्नर ब्रदर्स एवं 20 सेंचुरी फॉक्स (1974)

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