आपके चेहरे की चमक देखकर खुशी होती है

9 सितम्बर 2000

आपके चेहरे की चमक देखकर खुशी होती हैये उद्‌गार व्यक्त किए भारत के विदेशमंत्री जसवंतसिंह ने और फिर उनका हार्दिक अनुमोदन किया प्रधानमंत्री अटलजी ने। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका और यूएन जनरल असेम्बली में 40 वर्षों से आ रहे हैं, लेकिन यहां बसे भारतीयों के चेहरे की चमक इस बार सर्वाधिक है। सभी की मातृभूमि तो भारत है, लेकिन इस कर्मभूमि पर भारतीयों ने जो प्रगति की है वह उल्लेखनीय है। अवसर था प्रधानमंत्री के ऑनर का। शुक्रवार 8 सितंबर की शाम अमेरिका में भारत के राजदूत नरेश चंद्रा द्वारा एक स्वागत समारोह रखा गया था, जिसमें यहां बसे भारतीय समुदाय के गणमान्य प्रतिनिधि आमंत्रित थे। कार्यक्रम का आयोजन वाल्डोर्फ एस्टोरिया होटल के हिल्टन रूम में किया गया। वाल्डोर्फ न्यूयॉर्क का सर्वाधिक प्रतिष्ठित होटल है।

शाम छह बजे से ही होटल के प्रांगण में कांजीवरम और सिल्क की साड़ियां पहने और कुछेक कुर्ता-पायजामा या अचकन में आए भारतीय अनिवासियों ने माहौल में भारत के रंग भर दिए थे। अटलजी ने शाम 7 बजे के बाद हॉल में प्रवेश किया। इस वक्त तक हॉल लगभग भर चुका था। इसमें अनिवासी भारतीयों के सभी प्रतिनिधि थे- व्यवसायी, डॉक्टर, सॉफ्टवेयर व्यवसायी आदि।

अटलजी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि क्लिंटन की भारत यात्रा के बाद दोनों राष्ट्रों के संबंधों में एक नया पन्ना खुल जाएगा

बंद गले के जोधपुरी कोट में अटलजी ने अपना भाषण बैठकर दिया। उनके चलने में उनके घुटने की तकलीफ साफ झलक रही थी। बगैर किसी कागज के हिंदी में बोलते हुए अटलजी ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों की जब भी चर्चा होगी, यहां बसे अनिवासी भारतीयों का उल्लेख जरूर होगा।

अटलजी के प्रभावी नेतृत्व की भूमिका

उन्होंने कहा कि हमें आप सब पर गर्व है। अमेरिका और भारत के पिछले 40 वर्षों के संबंधों का उल्लेख करते हुए अटलजी ने कहा कि इसमें काफी बदलाव आ गया है। दोनों लोकतंत्रों में इतनी समानता है कि दोस्ती तो स्वाभाविक है। मतभेद तो किसी और के कारण था। भाषण के दौरान कई बार अटलजी के उद्‌घोष का करतल ध्वनि से स्वागत किया गया। अटलजी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि क्लिंटन की भारत यात्रा के बाद दोनों राष्ट्रों के संबंधों में एक नया पन्ना खुल जाएगा, पर मुझे बड़ी खुशी है कि यहां तो किताब का नया अध्याय ही प्रारंभ हो गया । भारत लौटते वक्त एयरपोर्ट पर कस्टम्स की समस्या और भारत में अमेरिका के दूतावासों में वीसा लेने के लिए कठिनाइयों पर चुटकी लेते हुए अटलजी ने कहा कि अब तो यह सब पहले से बहुत कम है। अब तो कई राष्ट्रों ने थोक में हमारे लिए वीसा खोल दिए हैं। भाषण के दौरान अटलजी ने भारत की साझा सरकार, अक्षुण्ण राष्ट्र, आर्थिक प्रगति और अनाज में आत्मनिर्भरता और खुली अर्थव्यवस्था की भी चर्चा की। कार्यक्रम के प्रारंभ में न्यूयॉर्क में भारत की उच्चायुक्त शशि त्रिपाठी और राजदूत नरेश चंद्रा ने अटलजी का स्वागत किया। जसवंतसिंह ने कहा कि अमेरिका की आबादी का सिर्फ एक प्रतिशत होने के बावजूद भारतीय यहां की 5 प्रतिशत राष्ट्रीय संपत्ति के मालिक हैं और अमेरिका में बसे 80 देशों के अनिवासियों में शिक्षा, आय और व्यवसाय के मान से सर्वोधा हैं, जो काबिले तारीफ है। अटलजी के भाषण के बाद सभी उपस्थित लोगों ने कतारबद्ध होकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जाकर उनसे हाथ मिलाए और अभिवादन किया। अटलजी ने भी 500-600 लोगों में हरेक से बड़ी आत्मीयता से अभिवादन स्वीकार किया। प्रधानमंत्री के साथ आए पत्रकार दल में भारत के पत्रकार जगत के अमूमन सारे दिग्गज आए हैं। इससे अमेरिका यात्रा के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां इलाज के लिए आए सुप्रसिद्ध गायक पं. जसराज से भाषण से पूर्व मैंने कहा कि पंडितजी भारतीयों की यहां तादाद भी बढ़ी है और प्रतिष्ठा भी, तो वे गद्‌गद्‌ हो गए और कहा कि यह सोलह आने सच है। इसमें अटलजी के प्रभावी नेतृत्व की भी महती भूमिका है।

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