ऐसो को उदार जग माहीं
दुनिया के दूसरे नंबर के अमीर व्यक्ति ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति द्वारा स्थापित दुनिया के सबसे संपन्न पारमार्थिक ट्रस्ट में दुनिया के सबसे बड़े दान की आज घोषणा की है और यह भी ठीक उसी दिन जिस दिन एक भारतीय दुनिया के इस्पात उद्योग का बादशाह बन गया।
इन पंक्तियों में छुपी कहानी यूं हैं- 75 वर्षीय वॉरेन बफेट बर्कशर हैथवे कंपनी के चेयरमैन और दुनिया में अमीरों की श्रेणी में नंबर दो पर हैं। नंबर एक पर हैं उन्हीं के अभिन्न मित्र और ताश में ब्रिज के साथी 50 वर्षीय बिल गेट्स। वॉरेन बफेट ने आज फॉर्च्यून पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार के जरिए सारी दुनिया को चकाचौंध कर दिया, जब उन्होंने कहा कि बर्कशर हैथवे के अंशधारक के रूप में उनकी व्यक्तिगत पूंजी का 85% वो समाज सेवा हेतु ‘दान‘ कर देंगे। यही नहीं, इस धन का अधिकांश हिस्सा आने वाले सालों में बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को जाएगा, जो कि दुनिया के अविकसित क्षेत्रों में बीमारी और शिक्षा के महान कार्यों में वर्षों से संलग्न है। और आगे चलने से पहले एक नजर कुछ गगनचुंबी आंकड़ों पर- वॉरेन बफेट की वर्तमान पूंजी कोई 44 बिलियन डॉलर (20,000 करोड़ रुपए)… इसका 85% हिस्सा आने वाले सालों में समाज सेवा हेतु- यानी 37.4 बिलियन डॉलर (17,200 करोड़ रुपए)।
इस राशि में से 30 बिलियन डॉलर (14,000 करोड़ रुपए) आने वाले वर्षों में बर्कशर हैथवे के शेयर्स (अंश) के रूप में बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को मिलते रहेंगे। बाकी धनराशि बफेट के बच्चों और दिवंगत पत्नी के नाम पर चल रहे संस्थानों को जाएगी। इसकी कुछ सीधी शर्तें भी हैं – बिल मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को हर साल इसमें न्यूनतम राशि की सेवा करना जरूरी, बिल या मेलिंडा में से एक उस फाउंडेशन के निदेशक पद पर बने रहना, बफेट के जीवनकाल में भी इस फाउंडेशन के निदेशक और बस!
इस पूरी घोषणा की विस्तृत जानकारी बर्कशर हैथवे की वेबसाइट पर दी गई है। बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन वर्तमान में भी विश्व की सबसे बड़ी समाजसेवा संस्थान है, जिसकी पूंजी 30 बिलियन डॉलर है। बफेट ने इस घोषणा के लिए फॉर्च्यून पाक्षिक पत्रिका के सम्पादक और उनकी वर्षों से मित्र और प्रशंसक कैरल लूमिस के जरिए साक्षात्कार को, जिसमें उन्होंने इस विश्वव्यापी अनुदान की घोषणा की। कैरल लूमिस पिछले 40 वर्षों से फॉर्च्यून पत्रिका में लिख रही हैं।
सम्पत्ति का अधिकांश हिस्सा समाजसेवा के लिए…
बफेट का बहुत पहले से मानना था कि उनकी सम्पत्ति का अधिकांश हिस्सा वे समाजसेवा के लिए ही लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ना सिर्फ वे बिल और मेलिंडा के पिछले 20 वर्षों से घनिष्ठ मित्र हैं, बल्कि बिल मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कार्यकलापों और उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रभावित हैं। अगर इतनी बड़ी धनराशि से किसी सुसंचालित सेवा फाउंडेशन का काम और बढ़ सके, उन्हें यह ज्यादा मुनासिब लगा बजाय एक और नए फाउंडेशन की स्थापना करना।
बिल गेट्स के 2 वर्षों बाद माइक्रोसॉफ्ट छोड़कर पूरी तरह समाजसेवा में लगने के निर्णय से उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ा; क्योंकि बफेट तो अपना मन पहले ही बना चुके थे। बफेट की पत्नी का देहांत कुछ वर्षों पूर्व हो गया था और अपने बच्चों के लिए ‘वे इतना छोड़ के जा रहे हैं कि वे जो चाहें, वह कर सकते हैं, लेकिन इतना नहीं कि वह कुछ भी ना करें। 50 वर्षीय बिल गेट्स और 75 वर्षीय वॉरेन बफेट की अनूठी दोस्ती पिछले 20 सालों में प्रगाढ़ हुई। वे एक-दूसरे का बहुत आदर करते हैं। साथ में ब्रिज खेलते हैं, लेकिन कुछ वर्षों पूर्व तक एक-दूसरे की कंपनी में एक भी शेयर नहीं खरीदते थे। अमेरिका में कई बार दोनों एक ही मंच पर एक साथ सवालों के जवाब भी देते देखे गए हैं।
एक तरह से यूं कहें तो वॉरेन बफेट ने सही मायनों में बिल-मेलिंडा गेट्स को अपनी ‘विरासत‘ का सही ‘उत्तराधिकारी‘ पाया है। बिल और मेलिंडा गेट्स आज की इस घोषणा से अत्यंत भावविभोर महसूस कर रहे हैं। विश्व के इतिहास में अमीर और रईस तो हर युग में हुए हैं, लेकिन व्यापार और समाजसेवा- दोनों में ऐसे गेट्स और बफेट विलक्षण ‘जुगलबंदी‘ अद्वितीय है।