अमेरिका में मध्यप्रदेश के डॉक्टरों का सम्मेलन

9 अगस्त 2005

174 से 7 अगस्त 2005 को मेनहटन से करीब 100 मील दूर न्यूयॉर्क राज्य के सुरम्य हडसन वैली रिसोर्ट में मानो अपना मध्यप्रदेश उतर आया था। मौका था- इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और मध्यप्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में पढ़े और वर्तमान में अमेरिका-कनाडा में कार्यरत डॉक्टरों और उनके परिवारों के वार्षिक सम्मेलन का।

महात्मा गाधी मेडिकल कॉलेज, इंदौर और गजरा राजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर से पढ़े और अमेरिका में बसे डॉक्टर्स यूं तो करीब बीस सालों से वार्षिक तौर पर अमेरिका या कनाडा के विभिन्न स्थानों पर मिलते रहते हैं। ग्वालियर से पढ़े डॉ. सतीश आनंद और इंदौर से पधारे डॉ. राजेश काकानी के प्रयासों से 2003 में नियाग्रा फाल्स में पहली बार इंदौर-ग्वालियर का मिला-जुला मिलन समारोह हुआ। तब से इस वार्षिक मिलन को एक सामूहिक और वृहद रूप देकर मध्यप्रदेश के सारे मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स का पारिवारिक मिलन संयुक्त कर लिया गया है। अधिकांश की सुविधा को देखते हुए इसे अगस्त माह के पहले सप्ताहांत पर निर्धारित कर लिया गया है।

पूर्व छात्र-छात्रा मिलन के अलावा इस समूह की यह भी विशेषता है कि संप्रदाय, राजनीति और ‘किस्सा कुर्सी का‘ से दूर रहते हुए हर वर्ष यह समूह अपने आने वाले वर्षों के वार्षिक समारोह के मुख्य आयोजक मनोनीत कर लेता है। मजे की बात यह है कि मुख्य आयोजक को ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी नहीं बल्कि ‘ग्राम सेवक‘ की उपाधि दी जाती है।

आने वाले वार्षिक सम्मेलन की रूप रेखा और प्रावधान इन्हीं मनोनीत प्रतिनिधियों के होते हैं। इस वर्ष के मिलन के ग्राम सेवक थे इंदौर के मूल निवासी डॉ. राजेश काकानी। उनके साथ के डॉक्टर कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन और सहयोग से ही ये आयोजन इतना सफल रहा।

शब-ए-मालवा को जीवंत करने के लिए संगीत संध्या भी आयोजित थी, जिसमें इंदौर मूल के कलाकार कुमार सुनील मुंगी की संगीत निशा आयोजित की गई थी

समागम का मुख्य उद्देश्य

आत्मीयता और प्रेम से सराबोर इस समागम में सभी का मुख्य उद्देश्य था- एक दूसरे से परिवार सहित मिलना, हाल-चाल जानना और अपने बीते दिनों की सुनहरी यादों में खो जाना। और जहां इंदौरी और मध्यप्रदेश वालों का कोई मिलन हो, तो फिर भला गाना-बजाना और इंदौरी खाना दूर कैसे रह सकता है। इस सुदूर होटल में भी दाल-बाटी से लेकर मालपुआ और पोहे-सेंव जैसे सारे परम्परागत इंदौरी भोज का तीन दिनों तक मानो सुरुचिपूर्ण ‘फूड फेस्टीवल‘ चल रहा था, जिसका सभी ने तबीयत से आनंद उठाया। शब-ए-मालवा को जीवंत करने के लिए संगीत संध्या भी आयोजित थी, जिसमें इंदौर मूल के कलाकार कुमार सुनील मुंगी की संगीत निशा आयोजित की गई थी। आनंद और उल्लास के माहौल में देर रात तक गाने बजाने के बावजूद इन्हीं डॉक्टर्स ने मिलन समारोह की एक सुबह चिकित्सा में हो रहे नए शोध के ‘कंटीन्यूइंग एजुकेशन‘ में बिताई।

अनुमान है कि सिर्फ इंदौर से पढ़े हुए ही शायद अमेरिका में 400 से अधिक डॉक्टर्स होना चाहिए, फिर ग्वालियर, भोपाल और राज्य के दूसरे कॉलेजों से और। सम्मेलन की पुस्तिका में मध्यप्रदेश के अमेरिका में बसे जिन भी डॉक्टर्स की सूचना उपलब्ध थी, उनकी डायरेक्टरी भी प्रकाशित की गई। मूलतः मध्यप्रदेश से आने वाले डॉक्टर्स गोया 1950 या उससे कुछ पहले के दशक से अमेरिका में आ रहे हैं। 1960 और 1970 के दशकों में यह अपने चरम पर था। 1990 के मध्य तक आते-आते अमेरिका के निवासी कानून में परिवर्तन और बेहत सख्ती के कारण मध्यप्रदेश और भारत से डॉक्टर्स का आना कुछ कम हो गया है।

सम्मेलन में 1960 के दशक से भी कुछ डॉक्टर्स थे और सबसे ‘कनिष्ठ‘ डॉक्टर्स 1994-95 के आसपास के थे। इनमें से अधिकांश डॉक्टर्स ने अपने कार्यक्षेत्रों में बहुत नाम और समृद्धि कमाई है। और ये डॉक्टर्स अपनी मेहनत, समर्पण और काबिलियत से अमेरिका के चिकित्सा जगत में शीर्ष स्थानों तक पहुंचे हैं। आर्थिक और पेशेवर प्रगति के चरम पर होने और इतने वर्षों में अमेरिका में रहने के बावजूद इनकी सादगी, मिलनसारिता और इंदौरी अपनापन पूरी तरह बरकरार है, जो वाकई काबिले तारीफ है। कुल मिलाकर कोई 80 डॉक्टर्स के परिजनों सहित कोई 225 लोग इस मिलन में अमेरिका और कनाडा के सभी प्रांतों से शरीक हुए। इनमें बहुमत इंदौर और उसके बाद ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्रा-छात्राओं का था। इनमें से तीन डॉक्टर्स तो पहले 17 वर्षों से अनवरत्‌ अमेरिका में ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के मिलन समारोह में शरीक हो रहे हैं।

आपसी प्रेम और मिलन के साथ-साथ यह सभी अपने पैतृक शहर और चिकित्सा संस्थानों के प्रति न सिर्फ समर्पित अपितु जागरूक भी हैं। मध्यप्रदेश के शासकीय चिकित्सा संस्थानों की वर्तमान स्थिति से उन्हें दुःख भी होता है।

इंदौर फ्रॉम इंदौरी

इसी दिशा में एक सार्थक कदम लेते हुए इंदौरी मूल के डॉ. संतोष पोत्दार ने स्वर्गीय डॉ. सी.पी. तिवारीजी की स्मृति में एक अनुदान स्थापित किया है, जिसके तहत इंदौर मेडिकल कॉलेज से चुनिंदा डॉक्टर्स कुछ सप्ताह से लेकर दो-तीन महीनों तक अमेरिका में आकर उच्च अध्ययन कर सकते हैं। इस पूरी पढ़ाई और आने-जाने, रहने की व्यवस्था डॉ. सतीश पोत्दार करवाएंगे।

सम्मेलन में 1960 के दशक से भी कुछ डॉक्टर्स थे और सबसे ‘कनिष्ठ’ डॉक्टर्स 1994-95 के आसपास के थे

इस हेतु इंदौर में चिकित्सा से जुड़े लोगों की एक समिति भी है, जो इन डॉक्टरों का चयन करेगी। अभी तक एक डॉक्टर का चयन किया जा चुका है। और अगले साल तीन डॉक्टरों को बुलाने की योजना है। इस तर्ज पर कई और डॉक्टर सार्वजनिक और व्यक्तिगत तौर पर मध्यप्रदेश के अपने गृहनगर अथवा संस्थानों की प्रगति हेतु आर्थिक और अन्य माध्यमों से काफी सहयोग देने हेतु संलग्न और तत्पर है।

नईदुनिया से जुड़ाव- इंदौर मूल या इंदौर मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी डॉक्टर नईदुनिया से अभी तक जुड़े हुए हैं। सभी को नईदुनिया इंदौर की सुबह के अभिन्न अंग के रूप में याद है। कुछ ने तो वर्षों तक अमेरिका में डाक से नईदुनिया मंगवाया और अब नियमित रूप से ये लोग इंटरनेट के माध्यम से नईदुनिया और वेबदुनिया के पाठक हैं। शायद सही है कि ‘यू केन टेक एन इंदौरी आउट ऑफ इंदौर, वट केन नेवर टेक आउट इंदौर फ्रॉम इंदौरी‘।

अगले वर्ष का यह मिलन कनाडा में केलगेरी प्रांत में इसी समय अगस्त के पहले सप्ताहांत में आयोजित किया जाएगा।

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