अमेरिकन मंदी ने 10 लाख रोजगार खाए
अमेरिका में नास्दाक शेयर बाजार में आई गिरावट के बाद शुरू हुई मंदी थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में प्रकाशित आंकड़ों से यह बात ज्ञात हुई है कि दिसंबर 2000 से शुरू हुई मंदी अभी तक 10 लाख लोगों को विदा कर चुकी है।
मंदी का प्रभाव केवल टेक्नोलॉजी क्षेत्र तथा आईटी कंपनियों पर ही नहीं, जैसा कि विशेषकर भारत में प्रचारित किया जा रहा है, बल्कि इसकी चपेट में ऑटोमोबाइल, भारी उद्योग, उत्पादन इकाइयों से लेकर उपभोक्ता सामग्री बनाने वाली कंपनियां, बड़े-बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर्स भी आ गए हैं। किसी न किसी बड़ी कंपनी द्वारा हजारों की संख्या में छंटनी की खबर आना यहां आम बात हो गई है। एक आंकड़े के अनुसार नास्दाक शेयर बाजार में सूचीबद्ध आईटी की कपंनियों ने इस गिरावट में 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाया है। कई डॉट कॉम कंपनियों के शेयर, एक समय जिनका भाव 200 डॉलर तक पहुंच चुका था, आज 1 डॉलर में बिक रहे हैं।
किसने कितनों को अलविदा कहा
न्यूयॉर्क में हाल ही में अमेरिका की बड़ी कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की छंटनी की सूची जारी की गई है। इस सूची में कंपनी का नाम तथा कोष्ठक में उनके द्वारा निकाले गए कर्मचारियों की संख्या को देखकर स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।
आईटी कंपनियों में छंटनी एक नजर में
नॉर्टेल नेटवर्क (30,000), मोटोरोला (26,000), सोलेक्ट्रॉन (20,850), वर्ल्डकॉम (11,550), लुसेंट टेक्नोलॉजी (10,000), कम्पॉक कम्प्यूटर (9000), इरिक्सॅन (9000), सिस्को सिस्टम्स (8,500), फिलिप्स इलेक्ट्रॉनिक्स (7,000), कॉर्निंग (6,125), डेल कम्प्यूटर (5,700) व सीमेन्स (5,500)।
उत्पादन कंपनियों में छंटनी
जनरल इलेक्ट्रिक (75,000), हनीवेल (50,000), डेमलर क्रिसलर्स जनरल मोटर्स (15,000), डेल्फी ऑटोमोटिव (11,500), प्रॉक्टर्स एंड गेम्बल (9, 600), मित्सुबिशी (9,500), बोइंग (8,600), यूनीलीवर (8,000)।
ग्रीनस्पान अचंभे में
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख (अमेरिकी वित्तमंत्री) एलन ग्रीनस्पान को भी देश को मंदी से उबारने का रास्ता नजर नहीं आ रहा है। तीन बार ब्याज की दरों को कम करने के बाद भी वे अमेरिका को मंदी से उबारने में सफल नहीं हो पाए हैं। अमेरिकी सरकार ने उपभोक्ता मांग में तेजी लाने के उद्देश्य से देश की जनता को करीब 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्याद टैक्स में कटौती की घोषणा की है।
हाल ही में फेडरल रिजर्व के कर्ताधर्ता ग्रीनस्पान ने निकट भविष्य में मंदी छंट जाने का कोई ठोस आश्वासन देने से इंकार कर दिया। उन्होंने आशान्वित करने वाली एक ही बात कही है कि अब स्थिति और अधिक खराब नहीं होगी। शुभ संकेत के रूप में यह भी देखा जा सकता है कि अमेरिका में उपभोक्ता की व्यय शक्ति बढ़ी है। जाहिर है कि मांग बढ़ने से कंपनियों की स्थिति में सुधार आएगा। दूसरी ओर अमेरिकी मंदी का असर अब यूरोप की ओर भी बढ़ रहा है। जापान भी मंदी की चपेट में है और चीन की अर्थव्यवस्था के विकास को झटका लगने की खबर है। इस चिंताजनक हालात में सुधार की उम्मीद पर टिकी है व्यापार की दुनिया।