अरबों का फैसला, चित या पट! सिक्का उछालकर विशाल संपत्ति का बँटवारा

3 नवम्बर 2009

“अरबों का फैसला, चित या पट! सिक्का उछालकर विशाल संपत्ति का बँटवारा”न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में 8000 फ्लैट, 9 इमारतें और कई जगह चल रहीं नई योजनाएँ- ये हैं रॉकरोज समूह, जिसे 4 दशकों से भी अधिक समय से तीन भाई हेनरी, फ्रैड्रिक और थॉमस इलघानयन चला रहे थे।

पूरे समूह की संपत्ति कोई 3 बिलियन डॉलर (14000 करोड़ रु.) से अधिक है। कारोबार की शुरुआत 50 के दशक में इनके पिता नौरोल्लाह इलघानयन ने की थी, जो ईरान से अमेरिका आए थे। कारोबार में तीनों भाइयों ने उत्तरोत्तर वृद्धि की और न्यूयॉर्क के सबसे बड़े और नामी गिरामी “बिल्डर्स” में उनकी गिनती आती है।

अगली पीढ़ी… और मतभेद : तीनों भाइयों के कार्य क्षेत्र बँटे हुए थे और उनकी शैली भी अलग थी। इसीलिए उन्होंने इतनी प्रगति की। हेनरी के बेटे जस्टिन के कारोबार में शामिल होने पर भाइयों को लगा कि अब शायद गाड़ी साथ में नहीं चल पाएगी। पर विवाद, मुकदमेबाजी से परे उन्होंने पारिवारिक वकील और सलाहकार माइकल कोरोत्किन की मदद से इतनी विशाल संपत्ति के बँटवारे को सरल बना दिया।

न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में 8000 फ्लैट, 9 इमारतें और कई जगह चल रहीं नई योजनाएँ- ये हैं रॉकरोज समूह, जिसे 4 दशकों से भी अधिक समय से तीन भाई हेनरी, फ्रैड्रिक और थॉमस इलघानयन चला रहे थे

पहले ढेरी बनाई… : आपसी सलाह के बाद फ्रेड को कारोबार को तीन ढेरियों में बाँटने का काम मिला। जो उसने दो महीनों में पूरा किया। उसके बाद मार्च महीने में हेनरी और फ्रेड-थॉमस के प्रतिनिधि माइकल के दफ्तर में मिले। माइकल ने एक लिफाफा घुमाकर ये तय किया कि सिक्के पर चित या पट कौन बोलेगा। नाम निकला हैनरी का। तय हुआ कि अगर उसने सही पुकारा तो तीन हिस्से में से पसंद वह चुनेगा। माइकल ने एक क्वार्टर उछाला, हेनरी ने पुकारा “पट” (टेल्स) और सिक्का गिरा “पट“। उसने ढेरी तीन चुनी, जिसमें समूह का नाम “रॉकरोज” और 2500 किराए के फ्लैट वाली 8 रहवासी इमारतें मिली।

बँटवारे के बाद भी साथ : फ्रेड और थॉमस ने बँटवारे के बाद भी एक साथ ही काम करने का फैसला किया। इत्तेफाक ऐसा कि मार्च महीने में फैसले के ठीक एक दिन पहले उनकी माँ चल बसी और अगले दिन उनके पिता। मुख्य निर्णय तो मार्च में हो गया, लेकिन कुछ मतभेदों के बाद बँटवारा अभी अक्टूबर में पूरी तरह हो गया। भाइयों में थोड़ा मनमुटाव तो है, लेकिन बँटवारे की इसी शालीन प्रक्रिया से न तो समूह का कारोबार बिग़ड़ा, न ही अखबारों में चर्चाओं-अफवाहों का बाजार गर्म हुआ।

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