बजट बाद बीएसई इंडेक्स 3000 पार कर जाएगा?

27 फ़रवरी 1992

अनुकूल संभावनाएं :

  • राष्ट्रपति के अभिभाषण और सरकार की विभिन्न समयों पर घोषणा से साफ जाहिर है कि उदारीकरण और सरलीकरण की प्रक्रिया अपरिवर्तनीय रूप से जारी रहेगी।
  • सरकार शेयर बाजार को समूची अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अभिन्न अंग बनाना चाहती है।
  • भारतीय मुद्रा को निकट भविष्य में विदेशी विनिमय हेतु पूर्णतः परिवर्तनीय बनाया जाएगा।
  • बजट में अथवा उसके बाद कंपनी अधिनियम, फेरा एवं एमआरटीपी में मूलभूत बदलाव और सरलीकरण के आसार।
  • नई ड्रग नीति एवं खाद कीमतों में बदलाव की घोषणा निकटस्थ।
  • कस्टम दरों में कमी के बाद भारी सामान के आयात को बढ़ावा।
  • आयात कर की दरों में भारी कटौती की प्रबल संभावना।
  • सरकार ने दो बार में सार्वजनिक उपक्रमों के लगभग 2500 करोड़ के अंश म्युचुअल फंड और वित्तीय संस्थाओं को बेचे हैं। अब इनके अतिशीघ्र स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने की खबर है। इससे एक और जहां अच्छी कंपनियों के अंश बाजार में जनता की शेयर मांग की आपूर्ति करेंगे, वहीं सरकार को बजट घाटे में कमी करने का अच्छा साधन मिल गया है। वर्तमान सरकारी विनिवेश की दर 20 प्रतिशत से बढ़ाकर भविष्य में 49 प्रतिशत तक करने का विचार।
  • बीमार उद्योगों हेतु निर्गम-नीति की निकट भविष्य में घोषणा संभावित।
  • बहुत शीघ्र रिलायंस, टिस्को और एस्सार समूह के अंश अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने वाले हैं। इस हेतु इजाजत दी जा चुकी है।
  • वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10,000 करोड़ रुपए से भी अधिक की संतोषजनक स्थिति में है।
  • वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत के निर्यात में डॉलर मूल्यों में 6 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
  • आठवी योजना आगामी 1 अप्रैल से कार्यान्वयन में आ जाएगी।
  • पंजाब में चुनाव संपन्न होने के बाद अब लोकसभा में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत सिर्फ 5 सीटों-दूर रह गया है। इस स्थिति में बजट प्रस्तावों को अत्यधिक राजनीतिक दबावों में आकर परिवर्तन करने की जरूरत शायद ही उपस्थित होगी।
  • सरकार द्वारा ‘सेबी’ को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना कैपिटल मार्केट के लिए स्वागत योग्य कदम है।

प्रतिकूल संभावनाएं :

  • अधिकांश कंपनियों के वर्तमान वित्तीय वर्ष के द्वितीय अर्द्धवार्षिक परिणाम नरम रहने की आशंका।
  • विगत चार वर्षों से लगातार अच्छे मानसून के बाद इस वर्ष अच्छा मानसून संदिग्ध।
  • मुद्रास्फीति-महंगाई की मार लगातार जारी; वर्तमान दर 12 प्रतिशत।
  • समूचे विश्व में उद्योगों को भारी मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
  • भारत में औद्योगिक प्रगति की वर्तमान दर तो ‘नेगेटिव’ में खिसक गई है।
  • उच्च ब्याज दरों और कर्ज पर कटौती का दौर जारी रहने की पूरी संभावनाएं हैं।
  • बजट घाटे को जीडीपी के वर्तमान 6.5 प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत तक लाने की आईएमएफ की बाध्यता, ऐसा करने पर विकास कार्यों में अवरोध और भारी मंदी की आशंका।
  • बजट घाटे को कम करने हेतु व्यक्तिगत और कंपनीगत क्षेत्रों में नए कराधान प्रस्ताव अवश्यंभावी।
  • इन सब मुद्दों को मद्देनजर रखते हुए भी हर क्षेत्र में यह विचार दृढ़ता से व्यक्त किया जा रहा है कि शेयरों की वर्तमान तेजी का दौर बरकरार रहेगा और इस वर्षान्त तक सेंसेक्स 3500 की सीमा निश्चित पार कर लेगा।
  • विचार तो जानकार सोच समझकर ही प्रकट करते हैं, परंतु भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है, इसका निर्णय सिर्फ समय ही करेगा।
  • इंडेक्स क्या है?

    वैसे तो भारत में शेयर बाजारों का रुख बयान करने के लिए कई इंडेक्स (शेयर मूल्य सूचकांक) प्रचलन में हैं, परंतु अगर सर्वाधिक मान्य और लोकप्रिय मापदंड का जिक्र उठता हो तो वह निस्संदेह बंबई स्टाक एक्सचेंज संवेदनशील सूचकांक (बी.एस.ई. इंडेक्स अथवा सेन्सेक्स) ही है। ऐसा कदापि नहीं है कि सेन्सेक्स शेयर बाजारों में रुख का अत्यंत सटीक और समग्र मापक है, अपितु वह तो सिर्फ बंबई स्टाक एक्सचेंज के 30 सक्रिय शेयरों के भाव पर आधारित है। परंतु शेयरों की घट-बढ़ के ‘थर्मामीटर’ या ‘बेरोमीटर’ के रूप में पूरे देश में अधिकांश लोग सेन्सेक्स का ही उपयोग करते हैं। वर्तमान बीएसई इंडेक्स की संरचना वर्ष 1986 में की गई, जिसमें वर्ष 1978-79 के भावों को आधार सूचकांक 100 माना गया था। सेन्सेक्स की 30 स्क्रिपों का चुनाव भी उन शेयरों की तात्कालिक लोकप्रियता और सक्रियता के आधार पर किया गया, जिनमें से आज सिर्फ बलारपुर इंडस्ट्रीज और इंडियन होटल की बंबई में ‘नॉन स्पेसीफाइड’ श्रेणी के शेयरों में से हैं, बाकी 28 सभी ‘स्फेसीफाइड’ शेयर हैं।

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