एक स्कूल के नब्बे साल

1 नवम्बर 1987

भारतीय संस्कृति और विचार शैली का सिंधिया स्कूल स्थित ‘अस्ताचल‘ उत्कृष्ट प्रतिबिंब है। सुबह की सामूहिक प्रार्थना तो विद्यालय के परिसर में सभागृह में हो ही जाती है, परंतु शाम को खेलकूद और स्नान के पश्चात जब सूर्य पश्मिांचल की ओर अग्रसर रहता है, तब छात्र ‘अस्ताचल‘ नामक स्थान पर डूबते हुए सूर्य को बिदा देते हुए प्रार्थना, मनन व मौन रखते हैं। अत्यंत नैसर्गिक, इस स्थल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक आदमकद प्रतिमा भी बनी हुई है जो प्रत्येक छात्र को सत्य, शांति और कर्म करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। सिंधिया स्कूल के अर्द्ध वृत्ताकार खुले नाट्‌य मंच के निर्माण में वहीं के छात्रों ने बहुत योगदान दिया था। प्रति वर्ष विद्यालय के वार्षिकोत्सव का आयोजन भी इसी मंच पर किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में कम्प्यूटर व उससे संबंधित शिक्षा का महत्व अत्यंत बढ़ गया है। उसे ध्यान में रखते हुए विद्यालय में पुराने छात्रों के सहयोग से कम्प्यूटर सेंटर का निर्माण करवाया गया है। सिंधिया स्कूल इस तरह का भारत में दूसरा विद्यालय था, जिसने कम्प्यूटर सेंटर की व्यवस्था शिक्षा हेतु की। इस सेंटर का उद्‌घाटन भारत के प्रधानमंत्री (तत्कालीन सांसद) राजीव गांधी ने किया था।

आवासीय विद्यालय में रहते हुए भी छात्र समाज की मुख्य धारा से कभी भी अपने आपको अलग न पाएं, इसलिए समाज सेवा व उससे जुड़े कई कार्य छात्र योगदान से चलाए जाते हैं। ग्वालियर के समीप एक ग्राम सोंसा को सिंधिया स्कूल ने लगभग 45 वर्ष पूर्व गोद लिया था। विद्यालय के छात्र वहां जाकर ग्रामीणों की विभिन्न प्रकार से मदद करते हैं। आज, विद्यालय का हर छात्र सोंसा का अंतरंग सदस्य-सा बन गया है। इसी प्रकार अन्य कार्यों जैसे सड़क निर्माण, मकान बनाना, आदि में भी छात्र भरपूर योगदान देते हैं।

हर विद्यालय अपने छात्रों की कीर्ति से ही गौरवान्वित होता है। सिंधिया स्कूल के ऐसे छात्रों की सूची बहुत लंबी है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बहुत उल्लेखनीय प्रगति कर विद्यालय परिवार का नाम रोशन किया है। केबिनेट मंत्री (श्री माधवराव सिंधिया, श्री नटवरसिंह), अनेक सांसद व विधायक, विशिष्ट सैन्य अधिकारी (ले. जनरल समी खान, ले. जनरल अशोक हांडू), प्रमुख उद्योगपति, कलाकार (जयंत कृपलानी, जलाल आगा, अमीन सयानी, संजय खन्ना) व संगीतज्ञ (आनंद शंकर, नितिन मुकेश) इसी विद्यालय के छात्र रह चुके हैं।

विद्यालय से संबंधित नीतियों का निर्धारण संचालक मंडल अर्थात बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य करते हैं। इसके अध्यक्ष रेल राज्यमंत्री श्री माधवराव सिंधिया हैं और अन्य सदस्य विद्यालय के ही पुराने छात्र और अन्य गणमान्य शिक्षाविद हैं। परंतु दैनिक कार्यकलापों में हर विद्यालय पर उसके प्राचार्य की व्यक्तित्व की अमिट छाप रहती है। सिंधिया स्कूल इस संदर्भ में अत्यंत भाग्यशाली रहा है कि उसे एफ.जी. पियर्स, जे.एल. धर, श्री साही, पद्मश्री श्री शुक्ला और वर्तमान में डॉ. एस.डी. सिंह जैसे प्रखर शिक्षकों के रूप में प्राचार्य मिले, जिन्होंने विद्यालय की प्रगति के लिए निरंतर अथक प्रयास किए हैं। वर्तमान प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र दयाल सिंह 1978 में सिंधिया स्कूल के प्राचार्य नियुक्त हुए। इससे पहले वे बहुचर्चित दून स्कूल, देहरादून में 25 वर्षों तक अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष थे। 62 वर्षीय डॉ. सिंह अखिल भारतीय पब्लिक समिति के भी अध्यक्ष हैं।

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