एक युग की शुरुआत… …और युग का अंत।
26 जुलाई 1938 को प्रातः 11.30 बजे टाटा सन्स के निदेशक मंडल की बैठक ‘बॉम्बे हाउस’, फोर्ट में हुई। बैठक का विवरणः
श्री जे.आर.डी. टाटा,
श्री एस.डी. सकलातवाला,
श्री ए.आर. दलाल,
श्री एच.आर. दलाल,
श्री एचपी. मोदी उपस्थित थे।
श्री एच.पी. मोदी को अध्यक्षीय आसन संभालने का प्रस्ताव पारित किया गया। श्री एस.डी. सकलातवाला ने मार्मिक शब्दों में अध्यक्ष, सर नौरोजी सकलातवाला की दुःखद और असामयिक मृत्यु पर शोक व्यक्त किया और निम्नलिखित शोक प्रस्ताव सर्वानुमति से पारित किया गया।
टाटा सन्स के निदेशक मंडल को उनके अध्यक्ष, सर नौरोजी सकलातवाला के आकस्मिक निधन के समाचार से धक्का पहुंचा है। अपने प्रभावी व्यक्तित्व और अनेक विशेषताओं से उन्होंने अपने साथियों का आदर और स्नेह, दोनों ही पाया। जिस आत्मविश्वास का संचार उन्होंने अपने सभी सहयोगियों और टाटा घराने के अन्य कर्मचारियों में किया, वह टाटा घराने की परम्पराओं को बरकरार रखने में सदा याद किया जाएगा। कंपनी के उद्गम-दस्तावेज की धारा 118 के अंतर्गत श्री सोहराब सकलातवाला ने यह प्रस्ताव रखा और श्री अरदेशीर दलाल ने उसकी पुष्टि की, कि श्री जे.आर.डी. टाटा को टाटा सन्स के निदेशक मंडल का अध्यक्ष मनोनीत किया जाता है।
20 फरवरी’ 1991 को जे.आर.डी. ने दफ्तार में एक व्यस्त दिन व्यतीत करने के बाद शाम को एक सार्वजनिक समारोह में भाषण दिया। अगले दिन प्रातः जमशेदपुर रवाना होने से पहले उनकी छाती में दर्द महसूस होने लगा, फिर भी वे जमशेदपुर के लिए प्रस्थान कर गए। 3 मार्च को उन्होंने वहां संस्थापक दिवस के कार्यक्रमों में भाग लिया। वहां भी उन्हें छाती की तकलीफ बरकरार रही। जमशेदपुर से लौटने के पश्चात उन्हें पांच दिन बंबई में ब्रीच कैंडी अस्पताल में आराम करने की सलाह दी गई, जिसका उन्होंने न चाहते हुए भी पालन किया। अस्पताल से घर आने के अगले सप्ताह बुधवार, 27 मार्च को टाटा सन्स निदेशक मंडल की हर माह के अंतिम बुधवार को होने वाली परंपरागत बैठक निर्धारित थी। लेकिन जे.आर.डी. के आग्रहानुसार उसे दो दिन पूर्व, यानी 25 मार्च 1991 को ही बुला लिया गया। कार्यसूची में सामान्य विषयों के अलावा एक विशिष्ट मसौदा दर्ज था, ‘जे.आर.डी. के पत्र पर विचार करना।‘
बैठक के प्रारंभ में ही जे.आर.डी. ने टाटा घराने से अपने साठ वर्षों से भी अधिक के संबंधों और अनुभवों का जिक्र किया। बैठक में उपस्थित निदेशकों के अनुसार वह बड़ा ही मार्मिक उद्बोधन था। उसके अंत में जे.आर.डी. ने कहा, ‘मैंने 53 वर्षों के लंबे कार्यकाल का निर्वाहन किया है। अब मैं सेवानिवृत्त होना चाहता हूं और अपनी ओर से श्री रतन टाटा के नाम का टाटा सन्स के अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव रखता हूं।’ टाटा सन्स में जे.आर.डी. के सहयोगी और लगभग 15 प्रतिशत के हिस्सेदार शापूरजी पालोनजी मिस्त्री ने प्रस्ताव की पुष्टि की। वहां उपस्थित किसी भी निदेशक ने उसमें कोई परिवर्तन का प्रस्ताव नहीं रखा। और, रतन टाटा टाटा सन्स लिमिटेड के अध्यक्ष बन गए। एक स्वर्णिम युग का पटाक्षेप हो गया।