गगनचुम्बी इमारत के रईस किरदार

13 सितम्बर 2001

गगनचुम्बी इमारत के रईस किरदारन्यूयॉर्क का मैनहटन स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (विश्व व्यापार केंद्र) सन्‌ 1972 में बनकर तैयार हुआ था। 1362 फुट ऊंची इस 110 मंजिला इमारत में कार्यालयीन उपयोग के लिए लगभग एक करो़ड़ पांच लाख वर्गफुट क्षेत्रफल की जगह उपलब्ध थी। भवन के दो समीपस्थ टावर मिलकर इसे दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार करते रहे। दुनिया की इस वाणिज्य हृदयस्थली में विस्फोट के वक्त 50,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे।

70 स्वचालित सीढ़ियों (एस्केलेटर) से युक्त इस भवन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 24 वीडियो मॉनीटर (प्रदर्शक) लगाए गए थे। विश्व व्यापार केंद्र में तीन छविगृहों के अलावा एक सब-वे (रेलवे स्टेशन) की सुविधा भी थी। प्रतिदिन यहां लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों का आवागमन होता था। इस इमारत की छत पर स्थित अवलोकन कक्ष में प्रवेश के लिए शुल्क प्रति व्यक्ति दस डॉलर था। बच्चों से प्रवेश शुल्क के बतौर 5 डॉलर लिए जाते थे। प्रतिवर्ष 18-20 लाख पर्यटक इसे देखने आते रहे।

1993 में एक आतंकवादी हमले के दौरान भवन को हुई मामूली क्षति के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या कुछ कम जरूर हुई, लेकिन विश्व की सर्वाधिक चर्चित इमारत के बतौर इसका रुतबा कम नहीं हुआ। इस वाणिज्य संकुल का स्वामित्व मूलतः न्यूयॉर्क बंदरगाह समिति के पास था, जिसने इसे 32.5 खरब डॉलर की कीमत पर 99 वर्ष की लीज के लिए दे दिया। 1976 में निर्मित फिल्म ‘किंगकांग‘ का अतिकाय जीव इसी इमारत के एक हिस्से को चकनाचूर करता है। विश्व व्यापार केंद्र वाणिज्यिक गतिविधियों से ज्यादा अपनी भवन निर्माण विशेषताओं के लिए चर्चित रहा। 325 डॉलर प्रति वर्गफुट के मूल्य से कार्यालयीन उपयोग के लिए दी जाने वाली इस भवन की जमीन बेशकीमती मानी गई। विश्व के धनिकतम व्यक्तियों की यह कार्यस्थली आतंक की भेंट चढ़ चुकी है। दो जुड़वां टावर वाली विश्व व्यापार केंद्र की इमारत महज ईंट-पत्थरों का घेरा नहीं था, यहां डाकखाने से लेकर रेलवे स्टेशन तक एक पूरी बसाहट मौजूद थी। इमारत की 107वीं मंजिल पर मौजूद ‘विन्डो टू वर्ल्ड‘ (जगत खिड़की) अब खुल नहीं सकेगी।

विश्व व्यापार केंद्र में तीन छविगृहों के अलावा एक सब-वे (रेलवे स्टेशन) की सुविधा भी थी। प्रतिदिन यहां लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों का आवागमन होता था

यह है पेंटागन

अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान ‘पेंटागन‘ वॉशिंगटन के करीब ऑर्लिंगटन में स्थित एक पंचकोणीय बहुमंजिला इमारत है। वास्तुकार जॉर्ज एडविन बर्गस्टॉम द्वारा अभिकल्पित रूपरेखा के आधार पर इसका निर्माण सन्‌ 1941-43 में किया गया था। 34 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली इस इमारत में स्थित कार्यालयों का कुल क्षेत्रफल है, 3,707,745 वर्गफुट। यहां अमेरिकी रक्षा सेनाओं के तीनों अंगों से जुड़े 25,000 कर्मचारी काम करते हैं। इसकी गिनती विश्व के विशालतम कार्यालयीन भवनों में होती है।

जो ढहीं, वे इमारतें भर नहीं थीं

विश्व व्यापार केंद्र के दो टावर सिर्फ दो गगनचुंबी इमारतें भर नहीं थीं। ये दो टावर आधुनिक अमेरिका की प्रगति के प्रतीक थे, जो कि पूंजीवाद और पश्चिमी सभ्यता के परिचायक शहर न्यूयॉर्क के आकाश पर छाए हुए थे। इन्हीं के इर्द-गिर्द वॉल स्ट्रीट, शेयर बाजार और वित्त की दुनिया बसी हुई है। वहीं दूसरी ओर पेंटागन अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था का हृदय है, जहां से सारे विश्व पर अमेरिका की नजर रहती आई है।

इन प्रतीकों पर हमला अमेरिका के नाभि कुंड में हमला है… जिसने पूरे अमेरिका को झकझोर दिया है। हजारों जानों और अरबों-खरबों के वित्त की हानि तो न्यूनतम है। जो भी कभी न्यूयॉर्क के विश्व व्यापार केंद्र गया है वह जानता है कि पूरा इलाका बहुत ही घना बसा हुआ है… और अब यह इमारत इतिहास के पन्नों में खून से दर्ज हो गई।

पूरा अमेरिका शर्म, दुख और आक्रोश से भरा हुआ है। राष्ट्रपति बुश के लिए भी यह परीक्षा की घड़ी है। एक ओर जहां अमेरिका ‘राष्ट्रीय प्रक्षेपास्त्र सुरक्षा प्रणाली‘ से अपनी सीमाएं सुरक्षित करना चाहता था, वहीं आतंकवादियों ने अमेरिका के अंदर ही से वार करके देश की पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

इस वार से उबरने में, पहले ही से आर्थिक मंदी का सामना कर रहे अमेरिका को काफी समय लगेगा और दरकार होगी उच्चतम स्तर की नेतृत्व क्षमता की।

आवागमन के साधन ठप…और पैदल चल पड़े लाखों लोग

अमेरिका में बसों पर लदे हुए लोगों और ट्रकों पर लटके हुए लोगों की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन 11 सितंबर को न्यूयॉर्क शहर में हर ओर यही नजारा था।
विश्व व्यापार केंद्र के ध्वस्त होने के बाद पूरा शहर सकते में आ गया था। कहीं भी भगदड़ तो नहीं थी, परंतु चिंता और आशंका का माहौल अवश्य था। टी.वी. के सामने लोगों की भीड़ थी… सेलफोन और इंटरनेट ने तो काम करना लगभग बंद ही कर दिया था।

मैनहटन एक द्वीप है, जिस पर आने और बाहर जाने के लिए सुरंग या पुल का सहारा लेना पड़ता है। दिन में मैनहटन में लगभग 80 लाख लोग काम करते हैं, जिसमें से 70 लाख रोज बस, ट्रेन, सब-वे (भूमिगत मार्ग) से आते-जाते हैं। अब जरा अंदाजा लगाइए कि आवागमन की व्यवस्थाओं में से जब 95 प्रतिशत बंद हों और लोग शहर के बाहर जाना चाहें तो क्या हो… मैं और मेरे साथी मैनहटन के मध्य भाग (मिड टाउन) से लाखों लोगों के साथ मीलों पैदल चलकर क्वीन्स ब्रिज पार कर रहवासी इलाके ‘क्वीन्स’ पहुंचे। विश्व व्यापार केंद्र के आसपास का इलाका, जहां दफ्तर काफी जल्दी शुरू हो जाते हैं, वहां के लोग कैसे बाहर निकले, इसका तो अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

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