गौरवपूर्ण आयोजन – शुभ स्वागतम्‌

7 अक्टूबर 1989

प्रायोजक पर्दे के पीछे हैं, आयोजक सीमा रेखा तक, परंतु सब सीमा रेखा के अंदर होने वाले खेल के लिए हो रहा है। चलिए तो हम भी इस मैदान पर नजर डालते हैं। समूह के हिसाब से भारत बहुत भाग्यशाली है। ‘अ’ समूह में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे की टीमें हैं। एक दिवसीय मैचों में टीम की ताकत का अनुमान कागज पर लगाना कई बार निरर्थक सिद्ध हो जाता है। फिर भी अपेक्षाकृत रूप से यह समूह ‘ब’ से कमजोर ही पड़ेगा। समूह ‘अ’ को देखते हुए भारत का सेमीफाइनल में पहुंचना लगभग तय है। लेकिन समूह ‘ब’ के बारे में तो अटकलें लगाना भी मुश्किल है। वेस्ट इंडीज की टीम पिछले 10 वर्षों से क्रिकेट पर छाई हुई है। उनके अवसर प्रबल हैं। परंतु लायड के संन्यास के बाद धार में वह पैनापन नहीं है।

अत्यंत गौरव महसूस होता है कि अल्प समयावधि में सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं। दिन-रात अथक परिश्रम और परामर्श के बाद सपना साकार हुआ है

पाकिस्तान और इंग्लैंड के आसार ठीक उसी तरह बराबर हैं जिस तरह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के। श्रीलंका या जिम्बाब्वे का सेमीफाइनल में पहुंचना आश्चर्यजनक जरूर रहेगा। हैडली, बाथम, गावर, मार्शल जैसे खिलाड़ियों की कमी न तो सिर्फ उनकी निजी टीम को वरन सभी क्रिकेट प्रेमियों को महसूस होती रहेगी। 1975, 1979 और 1983 इन तीनों विश्व कप में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ खिलाड़ी हैं जो कि 1987 के रिलायंस कप में भी खेलेंगे। रिचर्ड्‌स, गावस्कर, इमरान खान ये वो चंद नाम हैं जो राष्ट्र, परिस्थिति और काल से ऊपर उठ चुके हैं। जिनकी मैदान पर मौजूदगी ही गरिमामय होती है और जिनकी कीर्ति क्रिकेट के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। ये ही वो कड़ियां हैं जो चारों विश्व कप को एक सूत्र में बांधे हुए हैं, परंतु यह विश्व कप शायद उन सबका आखिरी होगा। अपनी मीठी यादों के साथ छोड़ जाएगा रिलायंस कप इस उपमहाद्वीप के लिए एक ऐसी चुभन जिससे उबरने में क्रिकेट इतिहास को भी समय लगेगा। सर्वसम्मत रूप से यह मान्यता है कि सुनील गावस्कर और इमरान खान क्रमशः भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। तुलना और समीक्षा साफ है क्रिकेट के लिए इनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

8 नवंबर 1987 को इन दो महान खिलाड़ियों के करियर का पटाक्षेप हो जाएगा, सिर्फ यादें बाकी रह जाएंगी। इन दोनों ने 1971 में एक साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और 16 वर्ष तक क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। गावस्कर एक सलामी बल्लेबाज के रूप में एकाग्र और तकनीक का सम्मिश्रण और इमरान के हरफनमौला प्रदर्शन एक ऐसे शून्य को उत्पन्न कर देंगे जो रह-रह कर उस साधक की याद दिलाता रहेगा जिसने अनवरत साधना करते-करते साध्य की ही विशेषताएं अर्जित की हैं। सनी तो बल्लेबाजी की पराकाष्ठा बन गए हैं और इन दोनों ने ऐसे समय संन्यास की घोषणा की है जब वे विश्व के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं और अगले चंद वर्षों तक सहज ही बने रहेंगे, मगर अफसोस…। विश्व स्तर के कीर्तिमान और प्रदर्शन तो प्रकाश पादुकोण, गीत सेठी, पी.टी. उषा, जहांगीर खान के भी हैं, परंतु ये सब निजी कीर्तिमान हैं। टीम के लिए खेलते हुए जिन कीर्तिमानों का भंजन अथवा सृजन इन दोनों ने किया है, वह शब्दों के विश्लेषण से परे है।

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