हताश हर्षद की हवालात में जूतों के सिरहाने पहली रात

7 जून 1992

कार्रवाई काफी देर से शुरू हुई

5 जून को दिन में प्रतिभूति कांड में सीबीआई द्वारा दर्ज प्रथम दृष्टया रपट में अभियुक्त ठहराए 10 लोगों को दक्षिणी बंबई की एस्प्लेनेड अदालत में कोर्ट नं. 3 में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी.के. नाइकनावरे के सम्मुख पेश किया जाना था। ये 10 अभियुक्त थे- हर्षद मेहता, उनके भाई अश्विन मेहता व हीतेन मेहता, उनके व्यवसायिक सहयोगी पंकज शाह व अतुल पारेख, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक ए.एम. बाबड़ेकर, प्रतिभूति इंडिया के अफसर आर. सीमारथन, सहायक प्रबंध निदेशक सी.एल. खेमानी एवं राष्ट्रीय आवास बैंक में सहायक प्रबंधक सुरेश बाबू और सहायक सामान्य प्रबंधक सी. रविकुमार।

अदालती कार्रवाई के कार्यक्रम के अनुसार हर्षद सहित सभी अभियुक्तों को मजिस्ट्रेट के सामने दोपहर 3 बजे पेश किया जाना था, और किया भी गया। लेकिन सीबीआई की ओर से आरोप पक्ष के वकील कोर्ट में 4.30 बजे तक उपस्थित नहीं हुए, इसलिए कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी। जिस समय हर्षद आदि ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया, पूरा कमरा वकीलों, हर्षद के मित्र-सहयोगियों आदि से खचाखच भरा हुआ था। आरोप पक्ष की ओर से पैरवी की कमान एम.पी. जौहरी ने संभाली और उनके साथ ओ.पी. जंगारे व आई.जे. मंशारमानी थे। कार्रवाई की शुरुआत ही एम.पी. जौहरी ने सीबीआई द्वारा दर्ज प्रथम दृष्टया रिपोर्ट (एफआईआर) को पूरा दोहराकर की, जिसमें ही दो घंटे लग गए। उसके बाद उन्होंने बैंक शेयर कांड को भारत ही नहीं, वरन पूरे विश्व के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की संज्ञा निरूपित करते हुए सभी अभियुक्तों को 15 दिन के लिए रिमांड पर सीबीआई के हवाले करने की दरखास्त की। उन्होंने कहा कि इससे सीबीआई को अभियुक्तों से मामले की तहकीकात में सहूलियत रहेगी।

सच-झूठ मशीन पर

इसके अलावा सीबीआई अभियुक्तों को जरूरत पड़ने पर नई दिल्ली स्थित केंद्रीय न्यायिक विज्ञान अनुसंधान केंद्र में पोलीग्राफ टेस्ट (सच-झूठ जांचने की मशीन) के जरिये पूछताछ करना चाहेगी। श्री जौहरी ने 15 दिन की रिमांड की मांग करते हुए यह भी कहा कि अगर अभियुक्तों को जमानत पर छोड़ दिया गया तो वे संभवतः साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वकील सर्वश्री कृष्णकांत देसाई, एस.बी. जयसिंह एवं पी.आर. वकील ने सीबीआई पर आरोप लगाया कि वे ‘जान-बूझकर‘ अदालती कार्रवाई को लंबा खींच रहे हैं, ताकि अभियुक्तों को पुनः हवालात में रात गुजारनी पड़े। उन्होंने कोर्ट से कहा कि हर्षद मेहता व अन्य को घर में बना भोजन दिए जाने की आज्ञा दी जाए और एफ.आई.आर. की प्रतियां बचाव पक्ष को भी उपलब्ध कराई जाएं।

घर के खाने की मांग अस्वीकार

मजिस्ट्रेट श्री नाइकनावरे ने ‘सुरक्षा’ की दृष्टि से घर का बना भोजन दिए जाने की मांग को ठुकराते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वे अभियुक्तों को उनकी पसंद का खाना उपलब्ध कराने का प्रयास करें। अभियुक्तों को सीबीआई अफसरों की मौजूदगी में उनके श्रवण क्षेत्र से दूर अपने वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई। सीबीआई के पास एफआईआर की प्रति उपलब्ध न होने पर अदालती रिकार्ड में एफआईआर की प्रतियां बचाव पक्ष को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए। चूंकि इस सब कार्रवाई में अदालत के निर्धारित समय की समाप्ति हो गई थी, मजिस्ट्रेट ने कार्रवाई को शनिवार 6 जून के सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया, जब सीबीआई को पुनः रिमांड हेतु नई याचिका दायर करनी पड़ेगी।

वे झुंझलाए से खड़े थे

जिस दौरान अदालत में बचाव-आरोप पक्ष के वकीलों के बीच कानून के पेचीदे मुद्दों पर जोरदार बहस चल रही थी, हर्षद और उनके भाई गवाहों के कठघरों में कुछ हताश और झुंझलाए से खड़े थे। हर्षद की चिर-परिचित मुस्कुराहट की जगह लाचारी ने ले ली थी, और सदैव टाई-शर्ट के स्थान पर उनके कपड़ों की बेतरतीबी भी अलग ही हाल सुना रही थी। अदालत की कार्रवाई के बाद हर्षद और अन्य को पुनः पूछताछ के लिए ‘किताब-महल’ स्थित सीबीआई कार्यालय ले जाया गया, जहां से हर्षद फिर ले जाए गए ‘रात के आशियां‘- हवालात में अपनी दूसरी रात गुजारने।

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