जननी जन्मभूमिश्च

21 दिसम्बर 2002

जीवन की मूल ज़रूरतों पर एक नज़र

इंदौर के गौरव तो सदा से ही इसके जागरूक नागरिक रहे हैं। इनमें से कई ने अपने शहर के लिए निःस्वार्थ भाव से जीवनपर्यंत सेवा की है। धर्म-कर्म में तो इंदौर-मालवा की पुण्यभूमि का कोई सानी नहीं है। तभी तो चोइथराम अस्पताल से लेकर अहिल्या माता गौशाला, अभय प्रशाल से लेकर गुजराती कॉलेज और वैष्णव पॉलिटेकनिक से लेकर मोक्षधाम तक हजारों संस्थाएं इस शहर को उसके नागरिकों की ही देन हैं। दुःख तो यह है कि शहर में सामान्य व्यवसाय और उद्योग संकट में हैं। दूर से ऐसा नजर आता है कि इंदौर में सिर्फ दवाई, पढ़ाई और खाने-पीने से जुड़े उद्योग ही अधिक फल-फूल रहे हैं, क्योंकि ये तीनों तो जीवन की मूल जरूरतें हैं।

यू केन टेक एन इंदौरी आउट ऑफ इंदौर, बट यू केन नेवर टेक आउट इंदौर फ्रॉम एन इंदौरी

आज से बीस साल पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के संस्थान तो शहर में सिर्फ परमार्थ और जनसेवा के लिए होते थे, वहीं टीचिंग इंस्टीट्‌यूट, कॉलेज और नर्सिंग होम, हॉस्पिटल ही आज इंदौर शहर के बड़े व्यवसाय बन गए हैं। ये दोनों बहुत ही अच्छे व्यवसाय हैं और आधुनिक समाज में इनका सुचारु प्रबंधक सिर्फ पारमार्थिक रूप से कम ही हो सकता है। इंदौर के शिक्षा संस्थानों का नाम बहुत है लेकिन यहां से पढ़कर अधिकांश लोग शहर से बाहर ही चले जाते हैं। किसी भी समाज या शहर के अतीत के गौरव में तभी आभा है, जब उसका भविष्य उज्ज्वल है अन्यथा अतीत तो खंडहर बनाने की कथाओं के इतिहास से भरा हुआ है। होलकर टीम और राज्य, सर सेठ हुकुमचंदजी, राजबाड़ा, लता मंगेशकर, एम.एफ. हुसैन सभी इंदौर के इतिहास के स्वर्ण अक्षर हैं। लेकिन क्या कहीं आने वाले कल का ‘राजबाड़ा’ और हम सब में पलक मुछाल जैसे समर्पित नागरिक पनप रहे हैं या नहीं? जिस सॉफ्टवेयर और ‘आई.टी. एनेबल्ड सर्विसेस’ उद्योग से पूरे भारत के विदेशी मुद्रा कोष की काया ही पलट गई, भारत 2010 में ‘बैक ऑफिस ऑफ द वर्ल्ड‘ बनने के मार्ग पर अग्रसर है, उनमें से कितनी कंपनियों को इंदौर का नाम भी मालूम है? इंदौर में इन उद्योगों से जुड़े कितने ऐसे सफल संस्थान हैं, जहां सौ से अधिक लोग काम करते हैं और जो कंपनियां अपना काम इंदौर में बढ़ाना चाहती हैं?

क्रियान्वयन अगर समयबद्ध होगा तो शहर की विकास योजनाओं में अप्रवासी इंदौरी अवश्य तन-मन-धन से जुड़ जाएंगे। तार तो जुड़े हुए हैं ही, जरूरत है उनमें विकास-ऊर्जा के स्पंदन और प्रवाह की। इंदौर गौरव महोत्सव सही मायने में इंदौर के कल, आज और कल के गौरव का स्रोत बन जाए, मन में यही आशा और विश्वास है।

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