जे.आर.डी. की उड़ान

29 जुलाई 1992

1950

फरवरी : सरकार द्वारा भारत के नागरिक उड्‌डयन के क्षेत्र में दर्जन से भी अधिक विमान सेवाओं के पनपने से उत्पन्न स्थिति के विश्लेषण हेतु जस्टिस जी.एस. राजाध्यक्ष समिति नियुक्त।

सितंबर : समिति द्वारा विमान सेवाओं की संख्या में तुरंत कमी करने की पेशकश।

1952

सरकार द्वारा भारत की सभी विमान सेवाओं को एक कारपोरेशन (निगम) के अंतर्गत राष्ट्रीयकरण का विचार दृढ़। जे.आर.डी. टाटा द्वारा राष्ट्रीयकरण का कड़ा विरोध। उनके सुझाव पर अंतरदेशीय व अंतरराष्ट्रीय सेवाओं को अलग-अलग निगमों के तहत रखने पर सरकार राजी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू द्वारा जे.आर.डी. को दोनों निगमों के अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह। टाटा समूह में अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श के बाद जे.आर.डी. द्वारा केवल अंतरराष्ट्रीय सेवा के अध्यक्ष का पद स्वीकार।

अप्रैल : जे.आर.डी. ‘अयाटा‘ की कार्यकारी परिषद के सदस्य बने।

1 अगस्त : भारत के नागरिक उड्‌डयन के इतिहास में जे.आर.डी. युग का अंत। संसद द्वारा पारित दो बिलों के तहत भारत में निजी तौर पर कार्यरत सभी विमान सेवाएं राष्ट्रीयकृत। एअर इंडिया लिमिटेड व अन्य सभी अंतरदेशीय विमान सेवाओं का ‘इंडियन एअर लाइंस कारपोरेशन’ में समावेश। ‘एअर इंडिया इंडरनेशनल‘ का नया राष्ट्रीय स्वरूप ‘एअर इंडिया कारपोरेशन’। जे.आर.डी. इंडियन एअर लाइंस के निदेशक मंडल के सदस्य व एअर इंडिया के निदेशक मंडल के अध्यक्ष।

15 अक्टूबर : भारत में नागरिक उड्‌डयन की रजत जयंती मनी। भारत में इसके प्रणेता जे.आर.डी. टाटा ‘पद्‌मविभूषण’ सम्मान से अलंकृत।

27 अक्टूबर : जे.आर.डी. ‘अयाटा’ (अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ) के अध्यक्ष पद पर। ‘अयाटा’ की चौदहवीं साधारण सभा का नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री पंडित नेहरू द्वारा उद्‌घाटन।

1942

जे.आर.डी. की ऐतिहासिक कराची-बंबई उड़ान की तीसवीं वर्षगांठ। 58 वर्षीय जे.आर.डी. द्वारा इस विमान यात्रा की पुनरावृत्ति की घोषणा। पुरातन ‘पस-मोथ’ विमान तो कहीं शेष नहीं, किंतु उसके समकालीन ‘लेपर्ड-मोथ’ कलकत्ता में एक संग्रहक के यहां क्षत-विक्षिप्त हालत में विमान को उड़ने लायक बनने के लिए लंदन ले जाया गया।

15 अक्टूबर : टाटा एअर लाइंस की उद्‌घाटन उड़ान की जे.आर.डी. टाटा द्वारा पुरातन ‘लेपर्ड-मोथ’ विमान में कराची से अहमदाबाद होते हुए बंबई तक की ‘पायलट’ के रूप में यात्रा।

1978

फरवरी : तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने जे.आर.डी. से अपनी वर्षों पुरानी कटुता का प्रभाव दिखाया। 4 दशकों से भी अधिक समय तक अंतरंग रूप से भारत के नागरिक उड्‌डयन से जुड़े जे.आर.डी. एअर इंडिया व इंडियन एअर लाइंस के निदेशक मंडल से अकारण हटाए गए। जे.आर.डी. को इस घटना की सूचना सरकार से मिलने के बजाय एअर इंडिया में उन्हीं के उत्तराधिकारी मनोनीत, एअर चीफ मार्शल पी.सी. लाल से। एअर इंडिया के अध्यक्ष पद के पूरे कार्यकाल का निर्वाहन जे.आर.डी. द्वारा पूर्णतः मानद (बगैर पारिश्रमिक लिए) तौर पर।

1980

अप्रैल : इंदिरा गांधी सरकार के सत्ता में आते ही जे.आर.डी. पुनः एअर इंडिया व इंडियन एअर लाइंस के निदेशक मंडल पर।

1982

15 अक्टूबर : 97 वर्षीय जे.आर.डी. द्वारा सभी के मना करने के बावजूद कराची-बंबई उड़ान की पचासवीं (स्वर्णिम) जयंती पर ऐतिहासिक उड़ान की पुनरावृत्ति। एअर इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष रघुराज सहित सभी द्वारा जे.आर.डी. के इस साहस भरे प्रयास को पूरा सहयोग।

1986

जे.आर.डी. का नाम एअर इंडिया के नए निदेशक मंडल में नहीं, परंतु टाटा घराने के ही रतन टाटा एअर इंडिया के नए अध्यक्ष मनोनीत।

1992

15 अक्टूबर : 88 वर्षीय जे.आर.डी. उस ऐतिहासिक उड़ान की हीरक जयंती पर उस यात्रा की पुनरावृत्ति करेंगे?

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