कमाल के महानायक कमल हासन – नायक-महानायक विशेषांक

31 दिसम्बर 1992

परंतु कमल हासन ‘कोई‘ नहीं था। अमला के साथ इस मूक फिल्म में कमल हासन ने अपने शारीरिक हाव-भाव के संचालन में ऐसा समां बांधा कि फिल्म के विभिन्न भाषाओं में पुनर्निर्माण बेहद सफल रहे। इसके बाद आई अपूर्व सहोदरगल (तमिल) जिसमें कमल हासन ने तीन कलाकारों का पात्र निभाया। खास बात तो यह थी कि उसमें से एक बौना था। अब 5 फीट आठ इंच का मनुष्य पूरी फिल्म में बौना कैसे बन सकता है और फिर हर सामान्य गतिविधि में कैसे शरीक हो सकता है, यह आज तक राज ही बना हुआ है। ‘अप्पू राजा‘ (अपूर्व का हिंदी अनुवाद) का मेरा बौना ‘रोल‘ बहुत ही सरल तकनीक का कमाल था। पर मैं इसे बताऊंगा नहीं, क्या कोई जादूगर अपनी जादू की चालाकी बताता है।’

और गत वर्ष आई कमल की फिल्म ‘मेयर साहब’ जिसमें एक कुटिल अय्याश नेता पर व्यंग्य कसते हुए उन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर करारा तमाचा मारा है। हर एक फिल्म में कुछ ‘नया‘ कमल हासन की यह शैली अब उनका परिचय चिह्न बन गई है। इतने विविध पात्रों को सजीव करने वाले कलाकार को पुरस्कार भी ढेरों प्राप्त हुए हैं। पद्‌मश्री से अलंकृत कमल हासन भारत के एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें सर्वाधिक 13 बार फिल्म फेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें सबसे पहला मलयालयम फिल्म ‘कन्या कुमारी‘ के लिए वर्ष 1974 में मिला था और हिंदी में एकमात्र ‘सागर’ फिल्म में अभिनय के लिए। वैसे उन्हें एक हिंदी, दो मलयालम, छह तमिल, तीन तेलुगु, एक कन्नड़ ऐसे तेरह बार फिल्म फेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस ऊंचाई का अंदाज इस तथ्य से और बेहतर लगता है कि दिलीप कुमार को सात बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। इसके अलावा कमल को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनय का राष्ट्रीय पुरस्कार ‘मूंदरम पिरवई’ (तमिल) और ‘नायकन‘ (तमिल) भी मिल चुका है। राष्ट्रीय पुरस्कारों में हासन परिवार का अनूठा ही कीर्तिमान है। कमल के सबसे बड़े भाई चारू हासन को तबरन कथे (कन्नड़) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और चारू की पुत्री (कमल की भतीजी) सुहासिनी को सिंधु भैरवी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है। वैसे कमल के मझौले भाई चंद्र हासन भी प्रतिष्ठित कलाकार हैं।

अभिनय के अलावा कमल हासन ने अपनी स्वयं की फिल्म निर्माण संस्था राजकमल इंटरनेशनल भी शुरू की है, जिसका शुभारंभ कमल की सौवीं तमिल फिल्म राजा पीरवई से हुआ था। उनकी बाद की स्वनिर्मित फिल्मों में ‘विक्रम‘, ‘संध्या‘, ‘अपूर्व सहोदरगल‘ उल्लेखनीय हैं। कमल हासन के स्वयं के पारिवारिक जीवन का प्रारंभ सुप्रसिद्ध नृत्यांगना वाणी से उनके विवाह से हुआ था। सात वर्षों के प्रेम संबंधों के बाद हुए इस विवाह के बाद वाणी ने अपने निजी नृत्य कैरियर पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया और अपनी पूरी जिंदगी कमल हासन के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन हेतु होम कर दी। किंतु कमल हासन का ध्यान आकर्षित हुआ हिंदी सिने तारिका सारिका की ओर। पहले-पहले तो उनके संबंध गुप्त ही रहे, किंतु जब सारिका गर्भवती हुई और कमल उन्हें अपने साथ मद्रास ले आए तो बात ने बहुत तूल पकड़ लिया। सारिका को पुत्री प्राप्ति पर (कमल-वाणी की कोई संतान नहीं थी) कमल के पिता ने उसका नाम कमल की दिवंगत माता के नाम ‘श्रुति‘ ही रखकर एक प्रकार से कमल-सारिका के संबंधों को स्वीकृति दे दी। उस समय तो कमल ने वाणी मेरी पत्नी और सारिका मेरी प्रेमिका कहकर संबंधों का स्पष्टीकरण किया था, किंतु दुहरी जिंदगी ज्यादा दिन नहीं चल सकी। अंततः कमल को वाणी से तलाक लेना पड़ा और विगत वर्ष एक अत्यंत सादे समारोह में उन्होंने सारिका से विधिवत विवाह कर लिया। इस विवाह की विशेषता यह थी कि कमल-सारिका के परिणय में बंधने की साक्षी उनकी दो पुत्रियां भी थीं। माता-पिता के विवाह में संतानों की उपस्थिति की अनूठी मिसाल।

पर कमल हासन जैसे अनूठे व्यक्तित्व के लिए तो कुछ भी असंभव नहीं है, यहां तक कि उनके पिता और अभिनेता की भूमिका का समागम भी। ‘मैं पिता के रूप में अपने हर कदम का ध्यान रखता हूं। उसका मैं अभिनय करते समय उपयोग करना चाहूंगा ताकि पिता के मेरे पात्र में और वास्तविकता आ सके।’ ऐसे अदाकार को, जिसके जीवन का हर पल ‘अभिनय’ के इर्द-गिर्द घूमता हो, दक्षिण भारत के एक और ‘सुपर स्टार’ रजनीकांत ने सही वर्णित किया है ‘फिल्में मेरे जीवन का एक अंग हैं, किंतु फिल्में कमल हासन का जीवन हैं।‘ कमल हासन ही के लिए अमिताभ ने कहा है ‘मैं तो फिल्मों में भूमिका भर अदा करता हूं। कमल फिल्मों से दीवानगी की हद तक प्यार करते हैं। ऐसे अभिनेता के लिए खुद उनके पिता ने जो भविष्यवाणी की है, वह शायद सच ही निकलेगी। कमल हासन को एक दिन सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर अवश्य मिलेगा।’

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