कौन बनेगा अमेरिका का राष्ट्रपति
इसमें समस्या यह है कि ‘टोरी किंग लाइव‘ जैसे शो किसी एक चैनल के स्वामित्व में हैं और दूसरे चैनल उनका प्रसारण नहीं करते, जिससे देखने वाली जनता की गिनती काफी घट जाती है। अल गोर समर्थकों ने श्री बुश पर ‘आमने-सामने‘ 90 मिनट के वाद-विवाद से ‘डरने-घबराने‘ का आरोप लगाया और कहा कि तीन निर्धारित बहसों के अलावा श्री बुश, श्री गोर को जहां भी ललकारेंगे, वे हाजिर हो जाएंगे। उम्मीद है कि यह बखेड़ा सुलझ जाएगा, लेकिन इससे श्री बुश को थोड़ा धक्का लगा है।
श्री बुश के पक्ष में डिक चैनी का चुनाव काफी लाभदायक रहा है, क्योंकि वे राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी हैं। वहीं श्री लिबेरमन पर कहीं न कहीं ‘कट्टरपंथी‘ होने का ‘लेबल‘ लग रहा है, क्योंकि वे हर भाषण में धर्म, आत्मा, भगवान, मूल्य आदि विषय जरूर खींच लाते हैं। पिछले दिनों अल गोर ने सतत 28 घंटों तक 5 राज्यों में चुनाव प्रचार किया और जनता में अपनी ऊर्जा, स्फूर्ति का परिचय दिया। उसे देखकर राजीव गांधी के प्रचार के दिनों की यादें ताजा हो गईं और वर्तमान प्रधानमंत्री के शारीरिक कष्ट का राष्ट्र-संचालन में अवरोध साफ नजर आने लगा।
अमेरिका में भी उम्मीदवार जनता के एकदम करीब और बीचोंबीच जाकर घुल-मिलकर अपनी बात रखते हैं और उनके विचार सुनते हैं, जिससे एक व्यक्तिगत संवाद स्थापित होता है। इस मायने में भी श्री गोर श्री बुश के थोड़े आगे हैं। अभी भी अटकलें ही लगाई जा सकती हैं और श्रीमती हिलेरी क्लिंटन, रिक लेजियो में जहां अब श्रीमती हिलेरी को काफी बढ़त मिल गई है, राष्ट्रपति पद के चुनाव में इस ‘होम रन स्ट्रेच’ अंतिम क्षणों तक कोई भी बाजी मार सकता है। लेकिन, आज के हालात में श्री गोर कुछ कदम श्री बुश से आगे हैं। ज्ञातव्य रहे कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के नाम पर मतदान होता है। इसलिए या तो श्री बुश- श्री चैनी आएंगे या फिर श्री अल गोर-श्री लिबेरमन। इंतजार है नवंबर के पहले मंगलवार का, जिस दिन अमेरिका में प्रायः हर चुनाव में मतदान होता है।