मेरे शब्दकोष में तटस्थ अम्पायरिंग का नाम नहीं

28 दिसम्बर 1987

प्रश्न- क्या उचित नहीं रहता कि रिलायंस कप के ठीक पहले हमारी टीम कुछ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलकर ‘फॉर्म’ में आ जाती?

उत्तर - इस वक्त हमारे खिलाड़ियों को क्रिकेट से ज्यादा आराम की जरूरत है। लगातार क्रिकेट खेलते रहने से स्पर्धा की भावना क्षीण होने लगती है और अगर भारतीय टीम को अच्छे ‘फिजियोथेरेपिस्ट’ की सेवाएं मिल जाएं तो भारत का प्रदर्शन बहुत बेहतर हो जाएगा।

प्रश्न- 1983 के विश्व कप के पहले ऑस्ट्रेलिया के किम ह्यूज ने भारत के अवसरों के बारे में सही भविष्यवाणी की थी। इस बार किस देश के आसार सबसे अच्छे हैं?

उत्तर- एक दिवसीय क्रिकेट में इस तरह की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। सिर्फ कागज पर टीम के नाम काफी नहीं हैं- निर्धारित दिन पर सभी खिलाड़ी मिलकर कैसा खेलते हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर है। वेस्टइंडीज अभी भी बहुत सुदृढ़ टीम है। उन्हें हराना इसलिए और भी मुश्किल है क्योंकि उनके तेज गेंदबाज विरोधी टीम को ‘बेकफुट’ पर खेलने को मजबूर कर देते हैं और ‘बेकफुट’ पर बल्लेबाजी के स्ट्रोक बहुत सीमित हो जाते हैं। विश्व की अन्य टीमों में ऐसे 2-3 तेज गेंदबाज नहीं हैं। इसलिए, उनकी गेंदबाजी इतनी मुश्किल नहीं रहती है।

वैसे इस मौसम में इंग्लैंड का प्रदर्शन भी बहुत बढ़िया रहा है, परंतु भारत के पिचों पर इंग्लैंड की गेंदबाजी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। और इयान बॉथम के बगैर इंग्लैंड का पलड़ा भी कमजोर हो जाएगा। पाकिस्तान और भारत को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता। भारतीय टीम के अच्छे, बुरे और असाधारण प्रदर्शन का उतार-चढ़ाव इतना अजीब है कि कुछ नहीं कहा जा सकता। न्यूजीलैंड की टीम और ऑस्ट्रेलिया भी कुछ अप्रत्याशित करने की क्षमता रखते हैं। हां, श्रीलंका और जिम्बॉब्वे की जीतने की संभावनाएं बहुत कम हैं।

प्रश्न- निर्धारित ओवर से कम फेंकने पर गेंदबाजी वाली टीम पर रिलायंस कप में वित्तीय दंड लगेगा। क्या यह क्रिकेट से थोड़ा हटकर नहीं है?

उत्तर- कोई भी दंड क्रिकेट जैसे संभ्रांत खेल का अंग नहीं हो सकता। परंतु और कोई तरीका भी तो नहीं है। अगर बल्लेबाजी टीम को अतिरिक्त रन दिए जाएं तो वह तो नितांत पक्षपात हो जाएगा।

प्रश्न- परंतु वह पैसा खिलाड़ियों को देना पड़ेगा।

उत्तर - बिलकुल। वो रुपए बोर्ड नहीं देगा। वह या तो खिलाड़ियों के पारिश्रमिक में से जाएगा या उन्हें दिए गए पुरस्कारों की राशि में से। जैसा कि सर्वविज्ञ है, पुरस्कार से प्राप्त समस्त राशि खिलाड़ियों में बराबर हिस्सों में बांट ली जाती है। परंतु अगर ‘निगेटिव’ क्रिकेट को समाप्त करना है तो वित्तीय भार के अलावा और कोई चारा नहीं है।

प्रश्न-  परंतु कई बार तो बल्लेबाज भी समय नष्ट करते हैं?

उत्तर - आपने अत्यंत उचित प्रश्न पूछा है। कोई दंड तो बल्लेबाजी वाली टीम पर भी होना चाहिए। वैसे तो आप हर गेंद के बाद हेलमेट उतारकर रख सकते हैं, हर ओवर के बाद बल्ला बदल सकते हैं, परंतु यह खिलाड़ी भावना से च्युत नहीं है। पांच वर्षों पहले तो ये सब सवाल स्वप्न में भी नहीं आते थे और आज वे चरितार्थ हो गए हैं। और, ये क्रिकेट के उत्थान के आसार कदापि नहीं हैं।

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