न्यूयॉर्क में रिपब्लिकन पार्टी का महाकुंभ

1 सितम्बर 2004

अधिवेशन के न्यूयॉर्क में होने के औचित्य के बारे में कहा यही गया था कि इतने लोगों के आने से शहर की अर्थव्यवस्था को खासा फायदा होगा। और शायद कुछ मायनों में सही भी है। लेकिन होने वाले संभावित अड़चनों को देखते हुए जो शहर के लोग ही कुछ दिनों के लिए ‘पलायन’ कर गए, उसकी हानि का कोई अंदाज नहीं है। यहां तक कि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में दैनिक शेयर ट्रेडिंग का अनुपात भी सामान्य से कम है।

विरोध में भारी प्रदर्शन :

जहां अधिवेशन के लिए हो रही सुरक्षा व्यवस्था भी एतिहासिक है, वहीं बुश के नेतृत्व के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों ने भी आयोजकों की नींद उड़ा रखी है। अधिवेशन के पहले रविवार को विरोध में हुए प्रदर्शनों में विभिन्न अनुमानों के अनुसार 150,000 से 250,000 लोग शरीक थे, जो कि न्यूयॉर्क के लिए अपने आप में एक कीर्तिमान है। कंजर्वेटिव माने जाने वाली रिपब्लिकन पार्टी और जॉर्ज बुश की नीतियों में प्रमुख है : आतंकवाद से अथक और सारे विश्व में लड़ाई, अमेरिका की आत्मरक्षा सर्वोपरि और उसी के रहते इराक पर हुई कार्रवाई भी आतंकवाद से लड़ाई का ही एक अंश, भ्रूण हत्या और समलैंगिक विवाह के विरोध में कानूनी प्रावधान, ऊर्जा के नए साधनों के निरंतर खोज। इन्हीं में से कई नीतियों के खिलाफ जनता विरोधी रैली में शरीक हुई थी।

बुश- केरी में आगे कौन?

अभी तक समाचार-पत्रों और पोल परिणामों के अनुसार बुश और केरी के बीच लगभग बराबरी की टक्कर है और यह कहना बहुत मुश्किल है कि अंत में जीत किसकी होगी। अमेरिका के राज्यों में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक समर्थकों की सूची काफी स्पष्ट है; चुनाव का फैसला उन्हीं कुछ चुनिंदा राज्यों के झुकाव ‍(स्विंग) से तय होगा, जिनकी पार्टी निष्ठा के बारे में कुछ तय नहीं है। बुश और केरी भी अपना अधिकांश जोर इन्हीं राज्यों में ज्यादा लगा रहे हैं। वैसे तीसरे उम्मीदवार राल्फ नाडेर को मिलने वाले कुछ वोट भी हार और जीत के फैसले में निर्णायक सिद्ध हो सकते हैं। अधिवेशन की सरगर्मी के बाद सभी की नजरें होती हैं बुश-केरी और चेनी एडवर्ड्स की डाइरेक्ट टीवी डिबेट्‍स में; जहां राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वियों से पूरे देश के सामने टीवी पर आमने-सामने सवाल-जवाब करते हैं। इनकी तारीखों की घोषणा भी होने ही वाली है। तब तक छाए हुए हैं सारी टीवी चैनल्स और अखबारों में रिपब्लिकन पार्टी का अधिवेशन, उसके महारथी और उनकी पुकार, ‘4 मोर ईयर्स’!!!

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