परेशानियों से उबरने का जी-तोड़ प्रयास

24 सितम्बर 2001

र्ष 1999 में वॉल स्ट्रीट और दुनिया की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकरेज कंपनी मेरिल लिंच ने आपदा प्रबंधन के हिसाब से काफी तैयारी की थी। निचला मैनहटन बहुत ही संकरा बसा हुआ है और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावर व उनके परिसर में लगभग 1.50 करोड़ वर्गफुट दफ्तर आदि की जगह थी। ये पूरे मैनहटन के ऑफिस और कार्मिक इलाके का लगभग 3.4 प्रतिशत था, जो कुछ ही घंटों में बगैर किसी पूर्व सूचना बंद हो गए। इन हजारों कंपनियों में कुछ तो सिर्फ 1 या 2 कर्मियों की थीं, वहीं मेरिल लिंच, अमेरिकन एक्सप्रेस और लेहमेन ब्रदर्स वो कुछ कंपनियां हैं जो ‘फॉर्चुन 500‘ सूची में आती हैं। इनके ग्लोबल हेडक्वार्टर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर परिसर में ही थे, जहां हजारों लोग काम करते थे।

मंगलवार 11 सितंबर को हर कंपनी की सबसे पहली परेशानी और चुनौती थी, यह पता लगाना कि उसके सब साथी सुरक्षित हैं या नहीं। और यह पता लगाना भी बहुत मुश्किल था। जब फोन, इंटरनेट और अन्य संचार साधन अस्त-व्यस्त और सारा शहर तितर-बितर हो गया। लेकिन इसी के साथ-साथ बड़ी-छोटी कंपनियों को नजर आ रही थीं उनके सामने की चुनौती। अमेरिकन एक्सप्रेस के मुख्यालय वर्ल्ड फाइनेंशियल सेंटर में थे। यह वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से जुड़ा हुआ है। यह इमारत नष्ट नहीं हुई है, लेकिन सुरक्षा कारणों से बंद है। अमेरिकन एक्सप्रेस ने तुरंत अपने न्यूजर्सी और मैनहटन से दूसरे दफ्तरों में काम को शिफ्ट करना शुरू किया। वहीं नए तार जोड़कर कम्प्यूटर, फोन आदि शुरू किए और शुक्रवार तक अपने आपको पुनः तैयार कर लिया।

आलीशान होटल बना ऑफिस

वहीं एक दूसरे बड़े वित्तीय संस्थान को बड़ा ही अनूठा लेकिन कारगर उपाय सूझा। लेहमेन ब्रदर्स के वरिष्ठ अधिकारियों के मिडटाउन मैनहटन में स्थित मैनहटन शेरेटन होटल की मालिक कंपनी स्टारवुड्‌स होटल से प्रगाढ़ संबंध थे। लेहमेन ने शेरेटन से बात की और 665 कमरों वाला आलीशान मैनहटन शेरेटन होटल और उसके सारे कॉन्फ्रेंस रूम और बैंक्वेट हॉल लेहमेन ब्रदर्स के 1500 कर्मचारियों के दफ्तर में बदल गई। लेहमेन ब्रदर्स का मुख्यालय 3 वर्ल्ड फाइनेंशियल सेंटर में है, जो नष्ट नहीं हुआ है लेकिन कई महीनों तक बंद रहेगा। लेकिन कई दूसरी कंपनियों के सामने तो परेशानी बहुत विकट थीं। उन्हें अपने कर्मचारियों को न्यूजर्सी, कनेक्टिकट और मैनहटन के ही दूसरे अपने छोटे दफ्तरों में विस्थापित करने के निर्णय लेने पड़े।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से कुछ ही दूर फुल्टन स्ट्रीट पर एम.आर. कैपिटल मैनेजमेंट के दफ्तर में प्रवेश पूरी तरह बंद था

घर बने ऑफिस

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से कुछ ही दूर फुल्टन स्ट्रीट पर एम.आर. कैपिटल मैनेजमेंट के दफ्तर में प्रवेश पूरी तरह बंद था। संचार तथा बिजली के सारे तार बंद थे। फर्म के निदेशक जॉन मोलेनी ने न्यूजर्सी में अपने घर के ड्राइंग रूम को ही दफ्तर में तब्दील कर लिया। मैनहटन के अन्य इलाकों में भी ऑफिस की काफी मांग उठ खड़ी हुई। छोटे ऑफिस तो कई कंपनियों को मिल भी गए, लेकिन बड़े 50 हजार फीट के हॉल ढूंढने के लिए तो कंपनियों को न्यूजर्सी, कनेक्टिकट आदि तक फैलना पड़ रहा है और कर्मी अलग-अलग दफ्तरों में पहुंच गए हैं।

बैटरी पार्क सिटी के रहवासी

वैसे तो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर इलाके में सिर्फ दफ्तर और दुकानें हैं, लेकिन पास ही बने बैटरी पार्क सिटी में लगभग 3500 रहवासी फ्लैट भी हैं, जो काफी धनाढ्‌य रहवासी इलाका है। आपदा के तुरंत बाद उन सभी फ्लेट्‌स को खाली करा दिया गया और उनमें रहने वालों के जीवन भी एकदम अस्त-व्यस्त हो गए। लगभग 2 हफ्ते तक तो उन्हें वापस अपने घरों में लौटने की इजाजत नहीं मिली और इनमें से कुछ तो पास की होटलों में 2 हफ्ते तक रहे।

हम साथ-साथ हैं

त्रासदी के इन क्षणों में यहीं की कंपनियों ने दोस्ती और सहायता ही एकमात्र धर्म माना। डेल, कॉम्पेक, सन आदि कम्प्यूटर कंपनियों ने बगैर किसी लिखा-पढ़ी के 24 घंटों के अंदर हजारों कम्प्यूटर मैनहटन के लिए रवाना कर दिए। संचार तंत्र जोड़ने वाली कंपनियों के आदमियों ने रात-दिन काम करने जैसे नए जाल ही बिछा दिए। ग्राउंड जीरो के समीप एक आलीशान रीजेंट वॉलस्ट्रीट होटल ने अपने होटल के पूरे भोजनकक्ष को राहतकर्मियों के विश्राम और भोजन के लिए खोल दिया। रोज करीब 3 हजार राहतकर्मियों को वहां भोजन कराया जा रहा था और उनके लिए बिस्तर भी लगा दिए थे। यहां तक कि वॉल स्ट्रीट पर रोज धंधे में कट्टर प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों ने एक-दूसरे की मदद के लिए सारी दुश्मनी ताक पर रख दी।

सोलोमन स्मिथ बर्नी ने अपने कट्टर प्रतिस्पर्धी मोर्गन स्टेनली के लिए अपने एक दफ्तर की 7 मंजिलें तत्परता से खाली कर दीं और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ने अपनी स्पर्धा वाले लेकिन ऑफिस से बिछड़े हुए अमेरिकन एक्सचेंज (एमेक्स) से कहा कि वे अपना एक्सचेंज न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग फ्लोर पर ही चला सकते हैं। बढ़िया और बड़े कांच की खिड़कियों वाले विशाल दफ्तरों के मालिक इस वक्त होटलों और वेयरहाउस की गलियों में मेज-कुर्सी लगाकर अपने धंधे चला रहे हैं। लेकिन वे हताश नहीं हैं और उन्हीं में से एक के शब्दों में- ‘इन सब ने तो हमें अपनी कंपनी और एक-दूसरे के लिए निष्ठा और विश्वास की एक नई ही परिभाषा बता दी। क्या फर्क पड़ता है अगर हम चंद दिनों के लिए एक छोटे से कमरे में साथ बैठकर काम कर रहे हैं। यह क्या कम है कि हम जिन्दा तो हैं।’

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