सनी का कोई सानी नहीं

9 मार्च 1987

बल्लेबाजी क्रिकेटर गावस्कर के बहुआयामी प्रदर्शन का सबसे उत्तम आयाम है। परन्तु क्षेत्ररक्षण में भी सनी ने 107 कैच लेकर अपनी मुस्तैदी का परिचय दे दिया है। वैसे उनकी चुस्ती व शारीरिक क्षमता का सर्वश्रेष्ठ परिचायक है, लगातार 100 टेस्ट खेलने का विश्व कीर्तिमान। एक दिवसीय क्रिकेट में भले ही सनी का पदार्पण प्रशंसनीय नहीं था, परन्तु फटाफट क्रिकेट की नीतियों को भी सुनील ने बहुत जल्द आत्मसात कर लिया और उसमें भी भारत की ओर से 1000 रन बनाने वाले वे पहले खिलाड़ी हैं। हां, एक दिवसीय क्रिकेट में शतक के श्रेय से अभी भी सुनील वंचित हैं।

खुद डॉन कहते हैं, ‘सुनील एक महान खिलाड़ी हैं और क्रिकेट के मुकुट में अनमोल रत्न की तरह शोभायमान हैं।’

कप्तान के रूप में गावस्कर को मिश्रित सफलता प्राप्त हुई, परन्तु वे अपनी मौलिक बल्लेबाजी को कप्तानी के दबाव में बिखरने नहीं देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने स्वेच्छा से पद त्याग कर एक वरिष्ठ सदस्य के रूप में ही टीम में रहना श्रेयस्कर समझा।

आज, भारतीय क्रिकेट में सनी कितने लोकप्रिय हैं, इसका उदाहरण तब मिल गया था, जब कुछ समय पहले चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किया था। जनता का रोष, समाचार-पत्र पत्रिकाओं में वक्तव्य व क्रिकेट जगत में उठे विरोध के सामने चयनकर्ताओं को झुकना पड़ा व सुनील की मोहक बल्लेबाजी से दर्शकों को वंचित न रहना पड़ा।

सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, समूचे क्रीड़ा जगत में सनी अत्यन्त लोकप्रिय हैं। कुछ समय पहले दिल्ली से प्रकाशित एक प्रसिद्ध अंग्रेजी पाक्षिक ने अपने पाठकों से पत्राचार के माध्यम से वर्तमान भारतीय खेल जगत में देश की सर्वाधिक सेवा करने वाले खिलाड़ी का चुनाव करवाया था। सूची में गावस्कर से लेकर पी.टी. उषा, कपिलदेव से प्रकाश पादुकोण व माइकल फरेरा का नाम था। कहना न होगा कि मतदाताओं ने इस सूची में सुनील गावस्कर को ही अग्रगण्य मनोनीत किया। वैसे तो सनी ने कई अविस्मरणीय पारियां खेली हैं, पर उनसे यह पूछने पर कि उन्हें अपना खेल सबसे अच्छा कब लगा, तो वे किसी शतक या द्विशतक का बयान नहीं करते।

वैसे, चार साल पहले भारत की इंग्लैंड के विरुद्ध इंग्लैंड में खेली गई चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला के अंतिम दिन ‘सनी’ द्वारा बनाए गए 221 रन टेस्ट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से बेशक कहे जा सकते हैं। उस टेस्ट में सनी के इस ‘मैराथन’ योगदान की बदौलत भारत विजयश्री के अत्यन्त समीप पहुंच गया था, पर वह हो न सका और मैच अनिर्णित समाप्त हुआ। फिर भी, उस पारी में सनी का अनुशासन, तकनीक व क्षमता और उनकी एकाग्रता भारतीय क्रिकेट में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी।

मुझे एजबेस्टन (इंग्लैंड) में अत्यन्त विपरीत परिस्थितियों में बनाया गया अर्ध शतक टीम व अपने लिहाज से खेली गई सर्वश्रेष्ठ पारी लगती है

सनी ने चार पुस्तकें भी लिखी हैं। वे चारों इस बात की द्योतक हैं कि सुनील, क्रिकेटर के साथ एक अच्छे व रोचक लेखक भी हैं। हाल ही में लिए गए एक साक्षात्कार में सनी ने यह कहा कि वे अपना समस्त पत्राचार व लेखन कार्य खुद अपने हाथों से बगैर टंकन के उपयोग के करते हैं। गजब की लगन व इच्छाशक्ति है उनमें।

हाल ही में भारतीय टीम के कप्तान कपिलदेव से सनी की अनबन व कथित मतभेदों की बात बहुत सुनने व पढ़ने में आई है। सच्चाई तो सिर्फ सुनील व कपिल जानते हैं, परन्तु जिस तरह सनी ने अपनी पुस्तक ‘आइडल्स उर्फ आदर्श‘ में कपिलदेव के अध्याय में विश्व का सर्वश्रेष्ठ नैसर्गिक खिलाड़ी लिखा है, उससे तो कुछ और ही चित्र प्रस्तुत होता है।

परन्तु दूसरी ओर कपिल ने अपनी दोनों विवादास्पद पुस्तकों में लगभग हर दूसरे अध्याय में सनी की प्रत्यक्ष-परोक्ष में बुराई की है। यहां तक कि दो पूरे अध्याय तो उनके व सुनील के तथाकथित मतभेदों पर आधारित हैं। वैसे तो कपिलदेव से पहले सुनील के बिशन बेदी के साथ मतभेदों की चर्चा थी, परन्तु सच यह है कि सन्‌ 1971 की वेस्टइंडीज श्रृंखला में सनी व उनके खेल से अत्यधिक प्रभावित होकर बेदी ने अपने नवजात-पुत्र का नामकरण ‘गावासिन्दरसिंह रख दिया था।

गावस्कर के पुत्र का नाम भी उनके तीन चहेते सितारों के नाम का सम्मिश्रण है रोहन जयविश्वा गावस्कर। और ये आदर्श हैं- रोहन कन्हाई (वेस्टइंडीज), एम.एस. जयसिम्हा व जी.आर. विश्वनाथ (भारत)। इनमें से पहले दो वैसे कीर्तिमानों की दृष्टि से तो अत्यन्त मशहूर नहीं हुए, परन्तु सनी को प्रभावित किया उनकी तकनीक, शैली व लगन ने। और विश्वनाथ, जो रिश्ते में गावस्कर के बहनोई है, उनके कलात्मक स्क्वेयर कट तो लाजवाब थे। आखिर सनी जैसे खिलाड़ी को प्रभावित करने वाले खिलाड़ी भी अत्यन्त सक्षम ही हो सकते हैं।

क्रिकेट के मैदान के अन्दर व बाहर लिटिल मास्टर के खेल व चाल-ढाल में जो उत्कृष्टता दिखाई पड़ती है, उसकी बड़ाई करते तो पत्रकार व उद्‌घोषकों के पास शब्द नहीं रहते। अन्य 22 खिलाड़ियों की तुलना में गावस्कर के बखान में विश्लेषणों का अकाल पड़ जाए, तो इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। भारतीय टीम के युवा सदस्य जैसे श्रीकांत, अजहर, मनिन्दर, शास्त्री व विकेटकीपर विश्वनाथ सभी अपनी सफलता का कुछ अंश सुनील को देते हैं। उनके अनुसार गावस्कर द्वारा मैदान व बाहर दिया गया प्रोत्साहन व सही टिप्पणियां हमेशा उनकी सफलता में सहायक रही हैं।

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