हताश हर्षद की हवालात में जूतों के सिरहाने पहली रात

7 जून 1992

हताश हर्षद की हवालात में जूतों के सिरहाने पहली रात  मय बड़ा बलवान रे भैया, समय बड़ा बलवान’। दो दिन पहले तक जो हर्षद मेहता ‘तथाकथित‘ रूप से भारत का सर्वोच्च आयकरदाता था, जिसकी अरबों रुपए की निजी संपदा और आलीशान बंगला, गाड़ी हर ओर चर्चा का विषय था और जो लाखों बच्चे-बूढ़े-जवानों का ‘आदर्श‘ बन चुका था, वही हर्षद मेहता 4-5 जून की रात बंबई के आजाद मैदान पुलिस थाने के लॉक-अप की अंधियारी कोठरी में अपने जूतों को ‘सिरहाने का तकिया‘ बनाकर पथरीली, कठोर फर्श पर कोने में दुबका सो रहा था।

निर्देश कुछ और ही थे!

हर्षद की कहानी का पटाक्षेप इतना त्वरित हो जाएगा- इसका किसी को सपने में भी गुमान नहीं था। अकेले अपनी ‘वित्तीय चपलताओं‘ के दम पर बंबई शेयर सूचकांक को 4500 की ऊंचाइयों तक ले जाने वाले इस ‘अजूबे‘ के विषय में हर कोई कह रहा था कि भले ही प्रतिभूति शेयर घोटाला कितना ही बड़ा और पेचीदा क्यों न हो, हर्षद खुद को साफ बचा निकाल ले जाएगा। किंतु शायद के. माधवन के नेतृत्व में सीबीआई जांच दल को ‘निर्देश‘ कुछ और ही थे।

किताब-महल की वह रात

4 जून को तड़के हर्षद मेहता और उससे संबंधित सभी व्यक्तियों के घरों, दफ्तरों पर सीबीआई ने छापा मारकर भारी मात्रा में दस्तावेज आदि जब्त कर लिए थे। 4 जून को ही देर रात हर्षद और 7 अन्य व्यक्तियों को पूछताछ के लिए ‘किताब-महल’ स्थित सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ले जाया गया।

आधी रात की हलचल

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सबसे ऊपरी मंजिल के अलावा पूरी ‘किताब-महल‘ बिल्डिंग में अंधेरा छाया हुआ था। इमारत के चारों ओर सशस्त्र पुलिस ने घेराबंदी कर रखी थी। 4-5 जून की रात सवा बजे एक टैक्सी ‘किताब-महल’ के पास आकर रुकी। हाथ में ढेरों कागजात लिए उसमें से उतरा व्यक्ति बिल्डिंग में गया। फिर 2 बजे एक बड़ी पुलिस वैन इमारत के पास वाली गली में आकर रुकी, जिससे वहां एकत्रित पत्रकार, फोटोग्राफर एकदम चौकन्ने होकर बिल्डिंग के आसपास मंडराने लगे। रात के लगभग ढाई बजे वहां उपस्थित फोटोग्राफरों के ‘फ्लैश-बल्व‘ ने पूरा इलाका प्रकाशमान कर दिया, जब हर्षद मेहता और अन्य अभियुक्तों को पुलिस वैन में बैठाकर ‘किताब-महल‘ से आजाद मैदान पुलिस थाना ले जाया गया। पुलिस वैन के पीछे पत्रकारों, फोटोग्राफरों का काफिला बढ़ रहा था।

जिस समय हर्षद आदि ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया, पूरा कमरा वकीलों, हर्षद के मित्र-सहयोगियों आदि से खचाखच भरा हुआ था

बंद होने के पूर्व पत्नी से मुलाकात

सीबीआई और सशस्त्र पुलिस के कड़े बंदोबस्त के बीच देर रात हर्षद और तीन अन्य अभियुक्तों को आजाद मैदान पुलिस ‘लॉक-अप‘ में बंद कर दिया गया। कोठरी में ‘बंद’ करने से पूर्व हर्षद को उनकी पत्नी ज्योति मेहता से एक मुलाकात की इजाजत दी गई।

हताशा में जूतों का सिरहना

एकदम हताश, थके-हारे से दिखाई दे रहे हर्षद ने सामान्य मुजरिमों को हिरासत में बंद कर रखी जाने वाली अंधियारी-सी कोठरी और अपनी ‘रात के अनूठे आशियाने‘ पर एक नजर डाली, अपने जूते उतारे और एक कोने में जाकर बैठ गए। कुछ देर तो वे सामान्य तौर पर बैठे रहे, फिर ‘आलती-पालती‘ लगाकर बैठने का प्रयास किया और अंततः अपने जूतों का तकिया बनाकर नंगी, ठंडी फर्श पर कोने में दुबककर सो गए।

ठेले की चाय और ब्रेड का नाश्ता

सुबह हर्षद सात बजे के करीब नींद से जाग गए थे। उसके बाद वे वहां कोठरी में सभी पुलिसकर्मियों, अभियुक्तों के कौतूहल और उत्सुकता का केंद्र बने बैठे रहे। सुबह हवालात में बंद सभी अन्य अभियुक्तों की तरह हर्षद को भी थाने के सामने बनी चाय की छोटी-सी गुमटी से लेकर चाय और ब्रेड के टुकड़े ‘नाश्ते‘ के रूप में दिए गए।

कार्रवाई काफी देर से शुरू हुई

5 जून को दिन में प्रतिभूति कांड में सीबीआई द्वारा दर्ज प्रथम दृष्टया रपट में अभियुक्त ठहराए 10 लोगों को दक्षिणी बंबई की एस्प्लेनेड अदालत में कोर्ट नं. 3 में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी.के. नाइकनावरे के सम्मुख पेश किया जाना था। ये 10 अभियुक्त थे- हर्षद मेहता, उनके भाई अश्विन मेहता व हीतेन मेहता, उनके व्यवसायिक सहयोगी पंकज शाह व अतुल पारेख, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक ए.एम. बाबड़ेकर, प्रतिभूति इंडिया के अफसर आर. सीमारथन, सहायक प्रबंध निदेशक सी.एल. खेमानी एवं राष्ट्रीय आवास बैंक में सहायक प्रबंधक सुरेश बाबू और सहायक सामान्य प्रबंधक सी. रविकुमार।

अदालती कार्रवाई के कार्यक्रम के अनुसार हर्षद सहित सभी अभियुक्तों को मजिस्ट्रेट के सामने दोपहर 3 बजे पेश किया जाना था, और किया भी गया। लेकिन सीबीआई की ओर से आरोप पक्ष के वकील कोर्ट में 4.30 बजे तक उपस्थित नहीं हुए, इसलिए कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी। जिस समय हर्षद आदि ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया, पूरा कमरा वकीलों, हर्षद के मित्र-सहयोगियों आदि से खचाखच भरा हुआ था। आरोप पक्ष की ओर से पैरवी की कमान एम.पी. जौहरी ने संभाली और उनके साथ ओ.पी. जंगारे व आई.जे. मंशारमानी थे। कार्रवाई की शुरुआत ही एम.पी. जौहरी ने सीबीआई द्वारा दर्ज प्रथम दृष्टया रिपोर्ट (एफआईआर) को पूरा दोहराकर की, जिसमें ही दो घंटे लग गए। उसके बाद उन्होंने बैंक शेयर कांड को भारत ही नहीं, वरन पूरे विश्व के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की संज्ञा निरूपित करते हुए सभी अभियुक्तों को 15 दिन के लिए रिमांड पर सीबीआई के हवाले करने की दरखास्त की। उन्होंने कहा कि इससे सीबीआई को अभियुक्तों से मामले की तहकीकात में सहूलियत रहेगी।

सच-झूठ मशीन पर

इसके अलावा सीबीआई अभियुक्तों को जरूरत पड़ने पर नई दिल्ली स्थित केंद्रीय न्यायिक विज्ञान अनुसंधान केंद्र में पोलीग्राफ टेस्ट (सच-झूठ जांचने की मशीन) के जरिये पूछताछ करना चाहेगी। श्री जौहरी ने 15 दिन की रिमांड की मांग करते हुए यह भी कहा कि अगर अभियुक्तों को जमानत पर छोड़ दिया गया तो वे संभवतः साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वकील सर्वश्री कृष्णकांत देसाई, एस.बी. जयसिंह एवं पी.आर. वकील ने सीबीआई पर आरोप लगाया कि वे ‘जान-बूझकर‘ अदालती कार्रवाई को लंबा खींच रहे हैं, ताकि अभियुक्तों को पुनः हवालात में रात गुजारनी पड़े। उन्होंने कोर्ट से कहा कि हर्षद मेहता व अन्य को घर में बना भोजन दिए जाने की आज्ञा दी जाए और एफ.आई.आर. की प्रतियां बचाव पक्ष को भी उपलब्ध कराई जाएं।

घर के खाने की मांग अस्वीकार

मजिस्ट्रेट श्री नाइकनावरे ने ‘सुरक्षा’ की दृष्टि से घर का बना भोजन दिए जाने की मांग को ठुकराते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वे अभियुक्तों को उनकी पसंद का खाना उपलब्ध कराने का प्रयास करें। अभियुक्तों को सीबीआई अफसरों की मौजूदगी में उनके श्रवण क्षेत्र से दूर अपने वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई। सीबीआई के पास एफआईआर की प्रति उपलब्ध न होने पर अदालती रिकार्ड में एफआईआर की प्रतियां बचाव पक्ष को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए। चूंकि इस सब कार्रवाई में अदालत के निर्धारित समय की समाप्ति हो गई थी, मजिस्ट्रेट ने कार्रवाई को शनिवार 6 जून के सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया, जब सीबीआई को पुनः रिमांड हेतु नई याचिका दायर करनी पड़ेगी।

वे झुंझलाए से खड़े थे

जिस दौरान अदालत में बचाव-आरोप पक्ष के वकीलों के बीच कानून के पेचीदे मुद्दों पर जोरदार बहस चल रही थी, हर्षद और उनके भाई गवाहों के कठघरों में कुछ हताश और झुंझलाए से खड़े थे। हर्षद की चिर-परिचित मुस्कुराहट की जगह लाचारी ने ले ली थी, और सदैव टाई-शर्ट के स्थान पर उनके कपड़ों की बेतरतीबी भी अलग ही हाल सुना रही थी। अदालत की कार्रवाई के बाद हर्षद और अन्य को पुनः पूछताछ के लिए ‘किताब-महल’ स्थित सीबीआई कार्यालय ले जाया गया, जहां से हर्षद फिर ले जाए गए ‘रात के आशियां‘- हवालात में अपनी दूसरी रात गुजारने।

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