परेशानियों से उबरने का जी-तोड़ प्रयास

24 सितम्बर 2001

हम साथ-साथ हैं

त्रासदी के इन क्षणों में यहीं की कंपनियों ने दोस्ती और सहायता ही एकमात्र धर्म माना। डेल, कॉम्पेक, सन आदि कम्प्यूटर कंपनियों ने बगैर किसी लिखा-पढ़ी के 24 घंटों के अंदर हजारों कम्प्यूटर मैनहटन के लिए रवाना कर दिए। संचार तंत्र जोड़ने वाली कंपनियों के आदमियों ने रात-दिन काम करने जैसे नए जाल ही बिछा दिए। ग्राउंड जीरो के समीप एक आलीशान रीजेंट वॉलस्ट्रीट होटल ने अपने होटल के पूरे भोजनकक्ष को राहतकर्मियों के विश्राम और भोजन के लिए खोल दिया। रोज करीब 3 हजार राहतकर्मियों को वहां भोजन कराया जा रहा था और उनके लिए बिस्तर भी लगा दिए थे। यहां तक कि वॉल स्ट्रीट पर रोज धंधे में कट्टर प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों ने एक-दूसरे की मदद के लिए सारी दुश्मनी ताक पर रख दी।

सोलोमन स्मिथ बर्नी ने अपने कट्टर प्रतिस्पर्धी मोर्गन स्टेनली के लिए अपने एक दफ्तर की 7 मंजिलें तत्परता से खाली कर दीं और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ने अपनी स्पर्धा वाले लेकिन ऑफिस से बिछड़े हुए अमेरिकन एक्सचेंज (एमेक्स) से कहा कि वे अपना एक्सचेंज न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग फ्लोर पर ही चला सकते हैं। बढ़िया और बड़े कांच की खिड़कियों वाले विशाल दफ्तरों के मालिक इस वक्त होटलों और वेयरहाउस की गलियों में मेज-कुर्सी लगाकर अपने धंधे चला रहे हैं। लेकिन वे हताश नहीं हैं और उन्हीं में से एक के शब्दों में- ‘इन सब ने तो हमें अपनी कंपनी और एक-दूसरे के लिए निष्ठा और विश्वास की एक नई ही परिभाषा बता दी। क्या फर्क पड़ता है अगर हम चंद दिनों के लिए एक छोटे से कमरे में साथ बैठकर काम कर रहे हैं। यह क्या कम है कि हम जिन्दा तो हैं।’

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