अस्त होना यूं अपराह्न में ‘आदित्य’ का

3 अक्टूबर 1995

आदित्य विक्रम बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति

आदित्य विक्रम एक उद्योगपति ही नहीं, बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति भी थे, जो संगीत और चित्रकारी में उनकी गहरी रुचि से जाहिर था। इतने व्यस्त होने के बावजूद रोजाना ‘बैडमिंटन‘ खेलने का शौक रखने वाले आदित्य विक्रम की बनाई हुई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी 1990 में लगाई गई थी। अब, जो प्रश्न उद्योग व्यवसाय से जुड़े हर व्यक्ति के सामने है, वह यही है- ‘अब इन उद्योगों को कौन संभालेगा?‘ वैसे तो आदित्य विक्रम के पिता श्री बसंतकुमार बिड़ला 74 वर्ष की आयु में भी पूर्णतः सक्रिय हैं और उनके अधीनस्थ उद्योग (सेंचुरी समूह, केसोराम इंडस्ट्री) का संचालन अभी भी स्वयं ही करते हैं, व दूसरी ओर आदित्य विक्रम के एकमात्र पुत्र 27 वर्षीय कुमार मंगलम बिड़ला भी पिछले दो वर्षों से सक्रिय रूप से व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में हैं, परंतु कुमार मंगलम तो उस ‘ग्रूमिंग‘ से वंचित ही रह जाएंगे, जो उन्हें अपने पिता के सान्निध्य में मिलती।

बिड़ला समूह के उद्योगों के बारे में यह चिर-परिचित है कि उनकी बुनियाद सदैव ‘ठोस‘ रहती है। कुमार मंगलम को उन सभी प्रबंधकों की टीम का पूरा सहयोग भी मिलेगा, जिन्हें उनके पिता के साथ वर्षों तक काम करने का अमूल्य अनुभव है। इंदौरवासियों को याद होगा, जब 1989 में कुमार मंगलम बिड़ला के इंदौर के श्री शंभुकुमार कासलीवाल की पुत्री नीरजा के साथ विवाह के उपलक्ष्य में हुए स्वागत समारोह में श्री बसंतकुमार बिड़ला और श्री आदित्य बि़ड़ला सपत्नीक खड़े होकर सभी का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। अपनी उद्योग पताका को आदित्य बिड़ला ने इस शीर्ष पर फहराया कि बचपन में खेल-खेल में अपने पिता बसंतकुमार बिड़ला को कहे गए वचन सत्य हो गए। ‘बाबू, बाबू! आप हार गए।‘ ऐसा लगता है मानो भारतीय उद्योग के इस ‘सूर्य‘ को 51 वर्ष की अल्पायु में ही ‘खग्रास‘ लग गया।

‘आदित्य’ के ‘विक्रम’ को हमारा नतमस्तक नमन!

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