ऐसा रहा ओवल ऑफिस में जार्ज बुश का पहला साल
कमांडर-इन-चीफ के रूप में श्री बुश बहुत ही सफल हुए हैं, क्योंकि सामरिक और कूटनीतिक मामले में तो उनके कैबिनेट के सामूहिक और व्यक्तिगत अनुभव का कोई सानी नहीं है। मानो बुश की कैबिनेट तो थी ही, ‘वार कैबिनेट‘ और ‘वार‘ भी चिढ़ गया देश की सुरक्षा के लिए आतंकवाद से। चेनी के रूप में उनके पास एक अत्यंत विश्वस्त सलाहकार है, जिसकी खुद की कोई आकांक्षा नहीं है। पिछले साल तक दिखाई दे रहा विशाल राष्ट्रीय बजट सरप्लस एक ही साल में मंदी से विलोम हो गया है। श्री बुश एक टैक्स कट तो कर चुके हैं तथा एक और की मांग कर रहे हैं। युद्धकाल के रहते श्री बुश ने रक्षा खर्च में महती बढ़ोतरी की मांग की है। लेकिन अर्थव्यवस्था की मंदी से लेकर अर्थमंत्री पॉल ओ नील के काम तक अर्थ से जुड़ा सभी कुछ प्रश्नचिह्न बना हुआ है, जिसका श्री बुश के पास कोई हल दिखाई नहीं देता। और ऊपर से आ गया है एनरॉन। पर जैसे श्री क्लिंटन को मोनिका से डो और नैस्डैक के बुल की तेजी ने बचा लिया था, उसी तरह श्री बुश को एनरॉन के दागों से ओसामा और एन्थ्रेंक्स से युद्ध का भय बचा लेंगे। 11 सितंबर के बाद तो बुश को जैसे अपने कार्यकाल का मकसद मिल गया है, जिसके तले उनकी ऊर्जा, क्षमता और प्रशासन एकजुट हो गया है आतंकवाद से सार्वभौमिक लड़ाई के लिए। श्री बुश ने आक्रमण होने के बाद ही ठान लिया था कि वे इस लड़ाई को उसके निष्कर्ष तक ले जाएंगे, चाहे कितना ही समय, संसाधन या प्रयास क्यों न लग जाए। बुश के कार्यकाल के पहले साल का पूर्वार्द्ध तो विशेष उल्लेख के बिना गुजर गया, लेकिन उत्तरार्द्ध में श्री बुश सारी दुनिया से आतंकवाद के सर्वनाश के लिए प्रतिबद्ध राजनयिक के रूप में विश्व में उभरकर सामने आए हैं। उन्होंने अमेरिका की दोनों पार्टियों और पूरे देश को राष्ट्रीय आपदा से लड़ने के लिए एक उद्देश्य के झंडे तले जुटा लिया। अब 2002 और आगे के दिन बताएंगे कि श्री बुश अपने स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण के तीनों युद्ध- आतंकवाद, सुरक्षा और आर्थिक मंदी- से लड़ने में कितनी सफलता प्राप्त करते हैं।