मेरे शब्दकोष में तटस्थ अम्पायरिंग का नाम नहीं

28 दिसम्बर 1987

प्रश्न- परंतु क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड तो टीम के मैनेजर को कैलेंडर के पन्नों की तरह बदलते हैं?

उत्तर- उन्हें शायद इसका अनुमान नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं। उलटफेर करने की तो जैसे आदत-सी पड़ गई है परंतु इस ओर किसी ने भी आपत्ति नहीं उठाई है। मेरे विचार से तो बोर्ड को एक स्थायी मैनेजर और वेतन देय सेक्रेटरी रखना चाहिए। इससे कोई अगर समझे कि मैं अपने आपको एक उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहा हूं तो मैं कहूंगा, ‘कदापि नहीं। मेरे पास इतना समय नहीं है।’ परंतु ऐसे कई योग्य व्यक्ति हैं, जिनमें से किसी एक को नियुक्त किया जा सकता है। मैं नाम तो नहीं लूंगा, परंतु एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास सब कुछ है- न सिर्फ क्रिकेट का ज्ञान, बल्कि पूर्णनिष्ठा भी। समर्पित व्यक्ति इस कार्य के लिए उपयुक्त रहेगा।

प्रश्न- सैयद किरमानी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में कोई स्थायी विकेट कीपर नहीं आ पाया है। किरण मोरे, चंद्रकांत पंडित व सदानंद विश्वनाथ- इन तीनों में से कौन उस स्थान के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है?

उत्तर- मेरे ख्याल से अब तो यह सवाल हल हो चुका है। किरण मोरे बहुत अच्छे विकेट कीपर हैं। किरमानी तो भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपर थे। और मोरे टेस्ट मैच के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि वे एक बैट्‌समैन हैं। और एक दिवसीय मैचों में तो ऐसे बल्लेबाज की जरूरत होती है जो विकेट कीपिंग भी कर सकता है। पीछे तो बहुत कम गेंदें आती हैं। और जो आती भी हैं, वो ज्यादातर वाइड बॉल होती हैं। एक दिवसीय मैचों के लिए तो चंद्रकांत पंडित उपयुक्त हैं, परंतु वे अभी अपना स्थायी स्थान नहीं बना पाए हैं।

प्रश्न- कपिल देव व भारत को एक नपे-तुले मध्यम तेज गेंदबाज की बहुत जरूरत है। इस विषय में आपके क्या विचार हैं?

उत्तर- यह मसला भी लगभग सुलझ गया है। चेतन शर्मा बहुत अच्छे गेंदबाज हैं। परंतु, सीजन के शुरू होने के समय से ही उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहा है। और अगर 21-22 वर्ष की उम्र में कोई अपने प्रदर्शन के बजाय सेहत के कारण टीम में स्थान न बना पाए तो काफी दुःखद विषय है।

प्रश्न- पिछले चंद वर्षों से घरेलू क्रिकेट स्पर्धाओं के साथ अत्यंत उपेक्षित व्यवहार किया जा रहा है। क्या इसके दूरगामी परिणाम प्रतिकूल नहीं होंगे?

उत्तर- राज्य क्रिकेट एसोसिएशन से क्रिकेट को प्रोत्साहन तभी मिलेगा, जब सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जाएगी। और इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट की लोकप्रियता भी इसलिए बरकरार है क्योंकि सभी सदस्य क्लब या काउंटी के समर्थक बन दर्शक के रूप में आते हैं।

प्रश्न- एक दिवसीय क्रिकेट के आगमन से सही तकनीक का उपयोग पार्श्व में और रन बनाना प्रमुख हो गया है। क्या आप इससे संतुष्ट हैं?

उत्तर- एक दिवसीय क्रिकेट तो जैसे क्रिकेट की भेल है। भेल में आप कोई भी मसालों का प्रयोग कीजिए, वह भेल ही रहेगी। परंतु झटपट क्रिकेट के आनंद की भी एक सीमा है। दिनभर के खेल में अच्छा क्षेत्ररक्षण, धुआंधार बल्लेबाजी। पर मेरे लिए तो संपूर्ण सीजन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तो बंगलोर में सुनील गावस्कर के 96 रन लगे। वे तो अनंतकाल के लिए मेरी याददाश्त रहेंगे। उस दिन विकेट अत्यधिक स्पिन ले रहा था, गेंदबाज अपने सर्वश्रेष्ठ पर थे और एक अकेले गावसकर के बल्ले ने जैसे बल्लेबाजी का महाकाव्य ही रच दिया था। और मैच का रुख तो अंत तक अनिश्चित था। ऐसी पारियां एक दिवसीय क्रिकेट में कहां नसीब होती हैं।

प्रश्न- क्या रिलायंस कप विश्व स्पर्धा के लिए बोर्ड की तैयारियां संतोषजनक हैं?

उत्तर - विचार विनिमय व योजना तो बहुत विस्तृत तौर पर तैयार की गई है। परंतु क्रिकेट संबंधी विषय जैसे पिच की तैयारी, उनको ढंकने की व्यवस्था, दर्शकों द्वारा मैच के बीच में विघ्न, खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम की व्यवस्था इन सब पर भी पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। हमारे देश में तो ऐसे गिनती के ड्रेसिंग रूम हैं जो कि ‘साइड स्क्रीन’ के ठीक ऊपर हों। हम शायद इस बात को महत्व नहीं देते कि कोई खिलाड़ी पूर्णतः निजी ढंग से मैच को देख सके। और यह बात तब उजागर होती है जब व्यक्ति या तो खुद खिलाड़ी होता है या फिर वह टीम का मैनेजर होता है। स्टेडियम का सबसे विशिष्ट अंग मेहमानों के लिए नहीं बल्कि खिलाड़ियों के लिए होना चाहिए।

प्रश्न- आकाशवाणी व दूरदर्शन के प्रसारण के बारे में आपको क्या लगता है?

उत्तर - हम अभी भी निर्धारित समय से बहुत पिछड़ रहे हैं। शायद केमरामैन, उद्‌घोषक और निदेशक के बीच उचित समन्वय नहीं हो पाता है। और जब तक वह नहीं होगा, शब्द व चित्र दोनों ही की दृष्टि से प्रसारण स्तरहीन होगा और अगर मैच के दिन प्रसारण अच्छा नहीं रहा तो कोई नहीं कहेगा कि ‘दूरदर्शन’ स्तरहीन था, सभी ‘भारतीय टेलीविजन’ की निंदा करेंगे। भारत के गौरवशाली इतिहास व प्रगति सम्मानजनक हैं और ऐसे आयोजन को सफल बनाने के तो हमें सभी प्रयास करने चाहिए।

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