9/11 के बाद : बढ़ा आतंकवाद, बढ़ी दूरियाँ
पेंटागन : दुनिया का विशालतम दफ्तर अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान ‘पेंटागन‘ वॉशिंगटन के करीब ऑर्लिंगटन में स्थित एक पंचकोणीय बहुमंजिला इमारत है। वास्तुकार जॉर्ज एडविन बर्गस्टॉम द्वारा अभिकल्पित रूपरेखा के आधार पर इसका निर्माण सन् 1941-43 में किया गया था। 34 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली इस इमारत में स्थित कार्यालयों का कुल क्षेत्रफल 3,707,745 वर्गफुट है। यहाँ अमेरिकी रक्षा सेनाओं के तीनों अंगों से जुड़े 25 हजार कर्मचारी काम करते हैं। इसकी गिनती विश्व के विशालतम कार्यालयीन भवनों में होती है।
सबसे वफादार : अब तक के कुत्तों की सबसे बड़ी मु्हिम के अंतर्गत 350 प्रशिक्षित कुत्ते वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हादसे के शुरुआती दिनों में वहां जुटे थे। क्योंकि दबे हुए जिंदा लोगों और मानव अवशेषों को सूंघकर पहचानने में इनकी महारत है। रोजाना 12 घंटे की ड्यूटी पर लगे डच, टफ, सेली, मैक्स और काउबॉय और ऐसे ही नाम वाले कुत्तों को पूरा प्रशिक्षण था कि कैसे मलबे में घूसकर इंसान को सूंघकर ढूंढा जाए। वे ऐसे छोटे स्थानों में भी घूस सकते थे, जहां राहतकर्मी नहीं पहुंच सकते थे।
इलेक्ट्रॉनिक रोबोट : आधुनिक टेक्नोलॉजी का फायदा लेकर पहली बार किसी बचाव और राहत अभियान में छोटे लेकिन अत्यंत कारगर इलेक्ट्रॉनिक रोबोट्स का उपयोग किया गया। इंसानों द्वारा दूर से चालित ये जूते के डिब्बे की साइज के रोबोट मलबे में अंदर तक घूस सकते थे। इसमें लगी लाइट, वीडियो कैमरा और सेंसर द्वारा इंसानों और अवशेषों की खोज की जा रही थी। 12 सितंबर को माइक्रोटेक नामक रोबोट ने मलबे के नीचे दबे हुए कुछ कमरे ढूंढ निकाले, जहां बाद में राहतकर्मी पहुंचे और कई इंसानों को वहां से निकाला।
जो ढही, वे इमारतें भर नहीं थीं : घटना के बाद सभी दूर से प्रतिक्रिया आई परंतु यह प्रतिक्रिया सही मायने में प्रत्येक अमेरिकी के दिल की बात थी। ‘विश्व व्यापार केंद्र के दो टॉवर सिर्फ दो गगनचुंबी इमारतें भर नहीं थीं। ये दो टॉवर आधुनिक अमेरिका की प्रगति के प्रतीक थे, जो कि पूँजीवाद और पश्चिमी सभ्यता के परिचायक शहर न्यूयॉर्क के आकाश पर छाए हुए थे। इन्हीं के इर्द-गिर्द वॉल स्ट्रीट, शेयर बाजार और वित्त की दुनिया बसी हुई है।
वहीं दूसरी ओर पेंटागन अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था का हृदय है, जहाँ से सारे विश्व पर अमेरिका की नजर रहती आई है। इन प्रतीकों पर हमला अमेरिका के नाभि कुंड में हमला है … जिसने पूरे अमेरिका को झकझोर दिया है। हजारों जानों और अरबों-खरबों के वित्त की हानि तो न्यूनतम है। जो भी कभी न्यूयॉर्क के विश्व व्यापार केंद्र गया है वह जानता है कि पूरा इलाका बहुत ही घना बसा हुआ है … और अब यह इमारत इतिहास के पन्नो में खून से दर्ज हो गई है। पूरा अमेरिका शर्म, दुःख और आक्रोश से भरा हुआ है। राष्ट्रपति बुश के लिए भी यह परीक्षा की घड़ी है। एक ओर जहाँ अमेरिका ‘राष्ट्रीय प्रक्षेपास्त्र सुरक्षा प्रणाली‘ से अपनी सीमाएँ सुरक्षित करना चाहता था, वहीं आतंकवादियों ने अमेरिका के अंदर ही से वार करके देश की पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है। इस वार से उबरने में, पहले ही से आर्थिक मंदी का सामना कर रहे अमेरिका को काफी समय लगेगा और दरकार होगी उच्चतम स्तर की नेतृत्व क्षमता की।’