जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी…
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर 1 और 2 में धमाके होने के बाद सारे लोग नीचे की ओर जान बचाकर भाग रहे थे। लेकिन कई ऐसे भी थे जो अपनी जान की परवाह न करते हुए ऊपर की ओर भाग रहे थे। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में फंसे लोगों की जान बचाने में सबसे आगे थे न्यूयॉर्क के अग्निशमन दस्ते के जवान, जो पचास मंजिल ऊपर चढ़कर भी कोशिश में थे कि वे किसी को बचा सकें।
देखते ही देखते बिना किसी पूर्वाभास के दोनों टॉवर भरभराकर जमीन में ध्वस्त हो गए और उसमें समा गए अग्निशमन विभाग के ये वीर। न्यूयॉर्क के अग्निशमन विभाग के 343 जवानों, अफसरों एवं चिकित्सा कर्मचारियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के मलबे में दबकर मानों मौत को गले लगा लिया और अपनी कर्तव्यनिष्ठा की सर्वोच्च स्थिति पर पहुंच गए।
कैसा था वह भयानक मंज़र :
न्यूयॉर्क का अग्निशमन विभाग 136 साल पुराना है और इसमें लगभग 11000 से अधिक कर्मचारी हैं, लेकिन एक ही दिन में 343 साथियों की मौत ने फायर कमिश्नर वॉन ईसेन को जैसे पंगु कर दिया। कई तो 2-3 दशकों से इस विभाग की सेवा में थे, जिनमें 5 तो अग्निशमन विभाग के सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे और उसी में थे अग्निशमन विभाग के अति लोकप्रिय पादरी माइकल जज, जिनकी विडंबना रही कि वे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर परिसर में पहले धमाके के बाद मौत से जूझ रहे एक अग्निशमन कर्मी को अंतिम उपदेश सुना रहे थे और अचानक इमारतें गिरीं और मलबे में दोनों दबकर मर गए…! लेकिन अग्निशमन विभाग का काम अभी खत्म नहीं हुआ था। अभी तो थी उनकी लड़ाई उस 15 लाख टन और दस मंजिलों जितने ऊंचे और सुलगते मलबे से, जिसमें उनके साथियों सहित 6000 से अधिक लोग दबे हुए थे। और आशा की किरण हर घड़ी के साथ छोटी हो रही थी। न दिन देखा-न रात, न गर्मी-न बरसात तथा नींद और थकान से लगातार जूझते ये कर्मी लगे रहे उस मलबे के हिमालय में से खोजने जिंदा या फिर…। और आज भी लगभग 4 हफ्ते बाद वे अपने काम में लगे हुए हैं। इन सब कार्यों के चलते भी हादसे के सिर्फ 5 दिन बाद रविवार को अत्यंत मार्मिक वातावरण में अग्निशमन विभाग में प्रमोशन सेरेमनी हुई, जिसमें 168 अफसरों को पदोन्नत किया गया ताकि वे उन स्थानों का भार वहन कर सकें, जो उन्हीं के साथियों के चले जाने से रिक्त हुए थे।
और इस दास्तान का सबसे हृदय विदारक अंश अब भी जारी है। अग्निशमन विभाग में उनके सहकर्मियों की अंत्येष्टि बहुत ही औपचारिक और परंपरा से भरी होती है। सामान्य दिनों में किसी सहकर्मी की अंत्येष्टि में हजारों की तादाद में ये कर्मी अपनी पोशाक में शरीक होते हैं और साथ होती है स्कॉटलैंड की परंपरागत स्कर्ट और वेशभूषा। बैगपाइप और ड्रम द्वारा बैंड बिदाई की धुन बजाता है, लेकिन ये सब तब होता है जब साल में दुर्भाग्य से ऐसे चंद मौके आते हैं। लेकिन क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि यहां शहीद हुए पूरे 343 साथियों की अंतिम यात्रा में वही परंपरा कायम है, हर अंत्येष्टि में सहकर्मी परंपरा निर्वाह कर रहे हैं और बैगपाइप और स्कर्टधारी बैंड सभी 343 अंतिम यात्रा में बिदाई धुन बजा रहे हैं।
ये कैसे संभव है… 17 सितंबर को पांच अग्निशमन कर्मियों की अंत्येष्टि थी, 16 को भी 5 की अंतिम यात्रा थी और गुरुवार 20 सितंबर को एक दिन में सात अंत्येष्टियां थीं। इनके लिए अग्निशमन विभाग की इमराल्ड सोसायटी ऑफ पाइप्स एंड ड्रम्स के निदेशक जो मर्फी को व्यवस्था करनी थी और ये सिलसिला बिना रुके 14 सितंबर से आज भी जारी है और वह भी स्टेटन से लेकर लांग आइलैंड तक फैले न्यूयॉर्क के पूरे फैलाव में। शव और अवशेष तो लगभग 50 अग्निशमन कर्मियों के ही बरामद हुए हैं। बाकी की याद में तो चर्च में प्रार्थना सभा ही आयोजित होती है, लेकिन अग्निशमन विभाग की पूरी परंपरा का निर्वाह हर एक अंत्येष्टि में किया जा रहा है… हां, पहले के पूरे बैंड के मुकाबले अब सिर्फ 8-10 बैगपाइपर और ड्रम वाले होते हैं, क्योंकि बाकी दूसरे किसी साथी को शहर के दूसरे कोने में अलविदा कह रहे हैं और 14 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच यह सेरेमोनियल यूनिट अपने 110 साथियों की अंत्येष्टि में परंपरागत बिदाई का निर्वाह कर चुकी है। 56 सदस्यों की सेरेमोनियल बैंड यूनिट को 6 टुकड़ियों में बांट दिया है, जिनमें से हर एक टुकड़ी एक दिन में 2 या 3 अंत्येष्टि अटैंड कर रही है। और फिर दूर सुनाई देती है स्कर्टधारी बैगपाइप की धुन- हर एक को मानो याद दिलाती हुई कि… ‘जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।‘