राजनीति का भावना से कोई संबंध नहीं
राजनीति में भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता, मुझे राजनीति में जाने के बाद यह समझ में आया। नेहरू परिवार से करीबी रिश्ता होने के कारण राजनीति में प्रवेश मेरे लिए एक भावनात्मक निर्णय था। उस नाजुक समय में देश के नेतृत्व को संभाल रहे व्यक्ति को अपना सहयोग देने के लिए मैंने राजनीति में प्रवेश किया था। उसके बाद मेरे और मेरे परिवार पर बोफोर्स मामले में हर तरह के लांछन लगाए गए। मीडिया ने भी बहुत कुछ छापा, मैंने उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। लेकिन एक दिन जब मेरे बाबूजी ने बुलाकर मुझसे पूछा कि बेटा, तुम कोई गलत काम तो नहीं कर रहे हो? तब मुझे लगा कि इसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। ये उद्गार सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के थे, जो 8 मार्च की शाम न्यूयॉर्क में आयोजित एक विशेष समारोह में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में व्यक्त कर रहे थे।
‘टू बी आर नॉट टू बी’ किताब का विमोचन
आयोजन था अमिताभ के 60वें जन्मदिन पर ‘टू बी आर नॉट टू बी‘ किताब का अमेरिका में अमिताभ-जया के हाथों विमोचन। साथ ही अमिताभ द्वारा शुरू किए गए टीवी एशिया न्यूज चैनल की 10वीं सालगिरह का कार्यक्रम। इस अवसर उपस्थित थे न्यूयॉर्क में भारतीय उच्चायुक्त व संयुक्त रक्षा में भारत के पदाधिकारी और न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय के गणमान्य सदस्य।
मंच पर जैसे ही सूट पहने अमिताभ और काली पोशाक में जया बच्चन ने पदार्पण किया, पूरे हॉल में उत्तेजना की लहर फैल गई। दोपहर ही हवाई यात्रा से अमेरिका पहुंचे अमिताभ और जया थके-थके से अवश्य लग रहे थे। इसके बाद भी वे पूरे कार्यक्रम में शरीक हुए, सवाल-जवाब में पूरे ध्यान से जवाब दिए और देर रात तक एक लम्बी कतार में खड़े हार पहनाने वाले अपने प्रशंसकों के साथ मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाए। किताब की हर प्रति पर अमिताभ-जया ने हस्ताक्षर किए। पूरे हॉल में सबसे छोटे, लेकिन उनको बेहद चाहने वाले तीन वर्षीय सिद्धार्थ मुछाल से मिलकर तो अमिताभ-जया बहुत ही प्रसन्न हुए और उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। आज अमिताभ के चेहरे पर उनकी फेमस दाढ़ी की जगह सिर्फ सफेद मूंछें थीं। उन्होंने वादा किया कि दाढ़ी जल्दी ही उनके व्यक्तित्व में फिर शामिल हो जाएगी।
अमिताभ पर प्रकाशित पुस्तक के आगे-पीछे दो चित्र हैं, एक अमिताभ के लड़कपन और एक हाल ही का चित्र है। जयाजी ने अमिताभ के विशाल पोस्टर को अपने पति के लिए अपने प्यार का इजहार बताया, साथ ही चुटकी लेते हुए कहा कि अमिताभ के जीवन की कई और अंतरंग बातें वे 20 साल बाद अमिताभ के 80वें जन्मदिन पर तोहफे के रूप में दूसरी किताब में लिखेंगी। 400 पेज की इस नायाब पुस्तक में 850 से अधिक चित्र हैं। किताब के लेखक हैं खालिद मुहम्मद। भारत में इसका मूल्य 2500 रुपए है। संक्षिप्त उद्बोधन में अमिताभ ने सभी चाहने वालों से वादा किया कि जब तक उनका तन-मन साथ देगा, तब तक वे अदाकारी से पूरी तरह जुड़े रहेंगे। प्रश्नों के उत्तर देते हुए अमिताभ के शब्दों से अपने माता-पिता के प्रति समर्पण, आदर और कृतज्ञता साफ महसूस की जा सकती थी। अपनी सफलताओं को वे माता-पिता का आशीर्वाद ही मानते हैं। बचपन से ही उन्हें पिता की सरलता और मूल्यों के साथ-साथ माता से पश्चिमी तौर-तरीके का भी ज्ञान मिला और ये दोनों ही उनके जीवन के सम्बल हैं। सभी प्रश्न-उत्तर अंगरेजी में होने पर मैंने नईदुनिया तथा वेबदुनिया के लिए प्रश्न करते हुए हुए अमिताभ से हिन्दी में जवाब देने के लिए विशेष अनुरोध किया, तो उन्होंने पूरा जवाब शुद्ध हिन्दी में दिया। बोफोर्स मामले पर बोलते हुए सही शब्द की तलाश में वे एक पल रुके भी और फिर ‘षड्यंत्र’ शब्द कहा तो पास बैठी जया बच्चन भी उनकी इतनी सही शब्दावली से दंग रह गईं।
जीवन का सर्वश्रेष्ठ अभिनय
इसी संदर्भ में धीरूभाई अम्बानी से हुए वार्तालाप पर अमिताभ ने कहा कि धीरूभाई ने उन्हें समझाया कि अगर ‘सच’ तुम्हारे साथ है तो तुम्हें किसी बात की फिक्र नहीं होना चाहिए। तुम एक कलाकार हो, तुम्हें एक्टिंग आती है, तुम सिर्फ वही करो और उसी पर ध्यान दो, बोफोर्स आदि राजनीतिक मामले धीरे-धीरे अपने आप हल हो जाएंगे। जीवन के सर्वश्रेष्ठ अभिनय के विषय पर अमिताभ बोले कि ‘बाबूजी कहते थे कि संतुष्टि तो संत-महात्माओं को ही होती है, कलाकार जिस दिन संतुष्ट हो जाएगा, उसी दिन से उसकी कला में कमी आ जाएगी।’ फिल्म इंडस्ट्री में नई पीढ़ी के लिए उन्होंने कहा कि यह दुष्कर और कठोर परिश्रम का मार्ग है। दूर से दिखने वाली ‘चकाचौंध’ वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद ही नसीब होती है। पारिवारिक जीवन पर बल देते हुए वे कहने लगे कि अगर व्यक्ति का पारिवारिक जीवन सुखी और परिपूर्ण है, तो उसका सारा जीवन सुखद होगा। कविता की फरमाइश पर अमिताभ ने तुरंत कभी-कभी की मशहूर पंक्तियां भी सुनाईं। हर प्रश्न को ध्यान से सुनकर अमिताभ ने उसका गंभीरता से जवाब दिया। इस बात ने सभी के मन में उनके प्रति आदर-सम्मान और बढ़ा दिया। न्यूयॉर्क में एक सुपर स्टार के अलावा एक बहुत ही संस्कारित, खानदानी और विनम्र ‘सुपरमैन’ के सानिध्य में गुजारी ये शाम हमेशा सभी को याद रहगी।