फ्लोरिडा पर टिकी है अमेरिका के भावी राष्ट्रपति की कुर्सी
फ्लोरिडा राज्य पूरे विश्व में अपने ‘रोलर कोस्टर्स’ के उतार-चढ़ाव सैर के लिए मशहूर है, पर आज तो वे ‘रोलर कोस्टर’ जीवंत हो गए और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति की कुर्सी अब फ्लोरिडा पर टिकी है। पिछले 12 घंटे से अमेरिका के चुनावी इतिहास में ऐसा नाटकीय घटनाक्रम चल रहा है कि सभी अचंभित हैं। सभी को उम्मीद थी कि अल गोर और जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की टक्कर बराबर की रहेगी, पर बात कुछ हजार वोटों पर आकर टिक जाएगी, ऐसी तो किसी को उम्मीद नहीं थी।
ज्ञातव्य है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम 270 निर्वाचक मंडल मत जीतने होते हैं। किसी भी राज्य के सारे निर्वाचक मंडल मत ‘सामान्यतः‘ उस उम्मीदवार को मिलते हैं, जिसने उस राज्य में बहुमत प्राप्त किया हो। यहां के सभी बड़े टेलीविजन चैनल्स मतदान समाप्त होते ही अपने गहरे ‘एक्जिट पोल’ आदि की मदद से राज्य के विजयी उम्मीदवार की घोषणा कर देते हैं। फ्लोरिडा के 25 निर्वाचक मंडल मत हैं। इस मायने में वह काफी महत्वपूर्ण राज्य है और वहां के गवर्नर जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के भाई रिपब्लिकन जेब बुश ही हैं। कल शाम सभी नेटवर्क टेलीविजन ने फ्लोरिडा में श्री गोर को विजयी करार दिया और डेमोक्रेटिक खेमे में खुशी की लहर छा गई।
फ्लोरिडा श्री बुश ने जीत लिया है… !
इसके अलावा अमेरिका के पूर्वोत्तर के राज्य (न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, कनेक्टिकट, पेनसिलवानिया) आदि सभी श्री गोर के पलड़े में गिरे, जबकि मिड वेस्ट और दक्षिण के सारे राज्य रिपब्लिकन पार्टी को हासिल हुए। यहां तक कि श्री गोर के गृहराज्य टेनेसी और श्री क्लिंटन के गृह राज्य अरकंसास में भी श्री बुश विजयी रहे। पहले उम्मीद थी कि चुनाव का निर्णायक मोड़ कैलिफोर्निया रहेगा, क्योंकि वहां 52 निर्वाचक मंडल मत हैं पर वह राज्य तो गोर खेमे में रहा। तभी देर रात नेटवर्क टेलीविजन ने फ्लोरिडा को श्री गोर विजयी से हटाकर वापस ‘गिनते चलो’ श्रेणी में रख दिया। देर रात 2 बजे एक बार ऐसा समाचार आया कि फ्लोरिडा श्री बुश ने जीत लिया है और श्री गोर ने उन्हें बधाई का फोन भी कर दिया। लेकिन पुनः फ्लोरिडा के अधिकारियों ने रेस को इतना करीब बताते हुए पुनः मतगणना करने का फैसला किया। श्री गोर ने अपना बधाई फोन वापस लिया और मामला फिर खुल गया है।
फ्लोरिडा में इस वक्त श्री बुश को लगभग 29 लाख 9 हजार मत मिले हैं और श्री गोर को 29 लाख 7 हजार। पर अब दोबारा गणना में बाजी पलट सकती है और यह कब तक मालूम पड़ेगा, यह कोई नहीं कह पा रहा, क्योंकि अब इतने करीबी मुकाबले में फ्लोरिडा के पोस्टल वोट (डाक मत) भी गहरी भूमिका रखते हैं, जो हजारों की तादाद में हैं और जिनकी गिनती होने में तो कई दिन लग सकते हैं। क्या आप अंदाज लगा सकते हैं कि अमेरिका की 25 करोड़ आबादी में से लगभग 10 करोड़ मत पड़े, जिसमें इस वक्त श्री गोर को लगभग 4 करोड़ 84 लाख और श्री बुश को 4 करोड़ 82 लाख मत मिले हैं। यानी अगर श्री बुश फ्लोरिडा जीत जाते हैं तो यह भी हो सकता है कि जनसमर्थन का बहुमत श्री गोर के साथ हो और राष्ट्रपति बनें श्री बुश, ऐसा अवसर 100 साल में भी नहीं आया और 10 करोड़ वोट मत में फर्क सिर्फ 2 लाख मत का है। श्री गोर ने 20 और श्री बुश ने 29 राज्य जीत लिए हैं व 2 अभी बाकी हैं।
सारे विश्व की निगाहें टिकी हैं फ्लोरिडा पर…
और घटनाक्रम यहीं नहीं खत्म होता- निर्वाचक मंडल के वोट सामान्यतः राज्य के बहुमत विजेता को ही जाते हैं, पर पिछले चुनावों में कुछेक निर्वाचकों ने जनमत के विरोध में भी वोट डाले हैं। इस वक्त श्री गोर को 260 और श्री बुश को 246 वोट मिल चुके हैं और परिणाम बाकी है ऑरगन (7) और फ्लोरिडा (25) के यानी बगैर फ्लोरिडा जीते श्री गोर या श्री बुश व्हाइट हाउस नहीं पहुंच सकते और श्री बुश फ्लोरिडा जीतकर 20 के न्यून से सिर्फ 1 वोट अधिक यानी 271 मत लेकर सबसे कम मार्जिन से राष्ट्रपति बनेंगे, मानो कोई एक दिवसीय क्रिकेट मैच का आखिरी ओवर चल रहा है और मैच किधर भी करवट ले सकता है। यह निर्णय कब हो पाएगा, इस वक्त कहना सभी के लिए बहुत मुश्किल है और यहां भी अब संविधान के पन्नों का इस संदर्भ में गहन मंथन हो रहा है। मामला कुछ घंटों का है या उससे अधिक, कहना बहुत मुश्किल है और इस बीच सारे विश्व की निगाहें टिकी हैं फ्लोरिडा पर।
एक ओर बुश-गोर का भाग्य तो अभी कम्प्यूटर्स में बंद है। अमेरिका में कल हुए चुनावों में और भी कई महत्वपूर्ण सीटों के परिणाम सामने आए। सभी की आंखें गड़ी थीं न्यूयॉर्क पर जहां राष्ट्र की प्रथम महिला नागरिक श्रीमती हिलेरी क्लिंटन डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से सीनेट के चुनाव में भारी बहुमत से विजयी हुईं। न्यूयॉर्क के ग्रांड हयात होटल के बाल रूम में कल रात अपना आभार प्रदर्शन करते हुए हिलेरी के साथ उनके आंखों में खुशी के आंसू भरे पति राष्ट्रपति श्री क्लिंटन और उनकी पुत्री चेलसा साथ थे। अटकलें अभी से लगने लगी हैं कि सीनेट श्रीमती हिलेरी का लक्ष्य नहीं सिर्फ माध्यम है और उनकी निगाहें तो और आगे हैं। लेकिन इसके साथ अमेरिका में उभरकर आ रहा महंगे खर्चीले चुनाव का दौर। न्यूजर्सी के महज सीनेट सीट जीतने वाले डेमोक्रेटिक तॉन क्रोजिने ने अपने प्रचार में 60 मिलियन डॉलर (250 करोड़ रुपए) खर्च कर दिए। श्री क्रोजिने इसके पहले वॉल स्ट्रीट के मशहूर को गोल्डमन सच के को चैयरमैन थे।
न्यूयॉर्क में भी श्रीमती हिलेरी और लेजियों ने पैसा पानी की तरह बहाया और खुद श्री बिल क्लिंटन ने न्यूयॉर्क में अपनी पत्नी के लिए बहुत चुनाव प्रचार किया। जीवनसाथी की विजय की खुशी दोगुनी हो जाए अगर श्री क्लिंटन के काम के साथी गोर भी चुनाव जीत जाएं। वहीं अमेरिका के सीनेट में लगभग डेडलॉक-सा हो गया है और रिपब्लिकन पार्टी को सिर्फ 1 सीट की बढ़त है। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में भी रिपब्लिकन पार्टी की बढ़त है पर बहुत छोटी यानी अगर बुश चुनाव जीतेंगे तो 1954 के बाद पहली बार व्हाइट हाउस सीनेट और हाउस तीनों पर रिपब्लिकन की बढ़त रहेगी पर बहुत मामूली। राष्ट्रपति चुनाव में इस बार गोर-बुश के अलावा एक और व्यक्तित्व चर्चा में रहा ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार श्री रल्फ नादेर जिनको भी कुल मतदान के 4 प्रतिशत से कम वोट मिले लेकिन जब मुकाबला इतना बराबर का हो तो ये वोट भी गोर खाते को भारी पड़े क्योंकि श्री नादेर के वोट श्री गोर को मिलने की संभावना थी। गोर-बुश में जो भी बनेगा उन्हें सरकार चलाने के लिए दोनों ही पार्टियों को हर फैसले में साथ लेकर चलना पड़ेगा यही जनादेश है।