क्या यही न्यूयॉर्क है…
अमेरिका में बसों पर लदे और ट्रक के पीछे लटके हुए लोगों की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन आज न्यूयॉर्क शहर में हर ओर यही नजारा था।
मैनहट्टन में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ध्वस्त होने के बाद पूरा शहर सकते में आ गया था। कहीं भी भगदड़ नहीं थी, पर चिंता और आशंका का ही माहौल था। टी.वी. के सामने लोगों की भीड़ थी। टेलीफोन और इंटरनेट ने तो लगभग काम बंद कर दिया था।
मैनहट्टन एक टापू है जिसमें आने और बाहर जाने के लिए सुरंग या पुल का ही सहारा लेना पड़ता है। दिन में मैनहट्टन में लगभग 80 लाख लोग काम करते हैं जिनमें से 70 लाख रोज बसों, ट्रेनों और सब-वे से मैनहट्टन में आते हैं। आप अंदाज लगाएं कि इन सारी व्यवस्थाओं में से जब 95 प्रतिशत बंद हों और लोग शहर के बाहर जाना चाहें, तो कैसे?
मैं और मेरे साथी मैनहट्टन के मध्य भाग मिडटाउन से लाखों लोगों के साथ मीलों पैदल चलकर क्वीन्स ब्रिज पार करके रहवासी इलाके क्वीन्स पहुंचे और यही हाल उन लाखों लोगों का है। और जो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के आसपास के इलाके हैं जो कि सुबह काफी जल्दी शुरू हो जाते हैं, वहां का तो अंदाज लगाना भी मुश्किल है।