रूडी गुलियानी : एक मेयर, जो अपने कर्म से महान बन गया

3 जनवरी 2002

रूडी गुलियानी : एक मेयर, जो अपने कर्म से महान बन गयान्यूयॉर्क अगर दुनिया की राजधानी है, तो उसे इस शिखर पर पहुंचाने में यहां के मेयर रूडी गुलियानी का उल्लेखनीय योगदान है। विवादास्पद किंतु कारगर गुलियानी के 8 साल के मेयर कार्यकाल में तो न्यूयॉर्क शहर का कायाकल्प हो गया। 9/11 के हमले के बाद के न्यूयॉर्क के पुनरुत्थान की लड़ाई के जीवंत प्रणेता थे रूडी गुलियानी।

11 सितंबर के हादसे को हुए 18 घंटे बीत चुके थे और उन पूरे 18 घंटे के हर पल न्यूयॉर्क के मेयर रूडी गुलियानी विपदा से लड़ने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे और उन्हें ढांढस बंधा रहे थे। रात को ढाई बजे श्री गुलियानी अपने मित्र हॉवर्ड कोपेल के अपने एक बेडरूम के घर लौटे (जून महीने से अपनी पत्नी से मतभेद बढ़ने के बाद श्री गुलियानी अपनी दोस्त के फ्लैट में ही रहते हैं और न्यूयॉर्क के मेयर के सरकारी निवास ‘ग्रेसी मेंशन‘ में अब सिर्फ उनकी पत्नी डोना रहती थीं)। उन्होंने दिन में पहली बार टीवी पर वह भयानक दृश्य देखा और वे थककर चूर होने के बाद भी सोए नहीं।

उन्होंने सिरहाने रखी विंस्टन चर्चिल की जीवनी के पन्ने पलटने शुरू कर दिए- ‘मैं सोच रहा था कि ऐसे विनाश के बाद भी मैं न्यूयॉर्कवासियों की आशा व विश्वास बनाए रखूं और इसके लिए चर्चिल का ध्यान आया। 1940 में हिटलर द्वारा लंदन को नेस्तनाबूद करने के बाद जब सब कुछ खत्म-सा हो गया था, फिर भी उन्होंने लंदनवासियों की आशा जिंदा रखी थी। वही मेरी भी आवाज बनी।‘ याद करते हैं 2002 में 8 साल के कार्यकाल के बाद न्यूयॉर्क के मेयर पद से निवृत्त रूडी गुलियानी।

रूडी गुलियानी का पर्सन ऑफ द ईयर

न्यूयॉर्क व अमेरिका की आवाज और विश्वास बनाने के लिए ‘टाइम‘ पत्रिका ने श्री रूडी गुलियानी को 2001 का ‘पर्सन ऑफ द ईयर‘ नवाजा। श्री गुलियानी ने वही कर दिखाया, जो सब कुछ नष्ट होने के बाद भी चर्चिल ने किया था। उन्होंने इस दिवास्वप्न पर लोगों को भरोसा दिला दिया कि अंत में विजय हमारी ही होगी और यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी। 4 साल के दो कार्यकाल के बाद श्री रूडी गुलियानी अब न्यूयॉर्क के एक्स-मेयर हैं, लेकिन 107 मेयर की श्रृंखला में रूडी गुलियानी शायद न्यूयॉर्क के सबसे कामयाब मेयर के रूप में याद किए जाएंगे। इसमें 11 सितंबर और बाद के दिनों का अधिक योगदान है। 10 सितंबर तक श्री गुलियानी का कार्यकाल उल्लेखनीय था, लेकिन उसके बाद तो वे अविस्मरणीय हो गए। इस सफर की नींव में हमें देखना होगा 1994- जब गुलियानी ने न्यूयॉर्क के मेयर का कार्यभार संभाला था। उन दिनों टाइम पत्रिका ने ही ‘बिग एपल‘ कहलाने वाले न्यूयॉर्क के बदतर हाल पर आवरण कथा लिखी थी- ‘द रोटन एप्पल’ शहर में अपराध अपने चरम पर था।

यह आरोप कि न्यूयॉर्क को सुधारा नहीं जा सकता, और यह शहर अब बर्बाद है, मैं इसे गलत साबित करके दिखा दूंगा

रात में न्यूयॉर्क की सड़कों और सब-वे में सफर करना खतरे से खाली नहीं था। शहर की दीवारें ‘ग्रैफिटी’ से पुती हुई थीं। तब 75 लाख (और अब 80 लाख) की आबादी के शहर में 11 प्रतिशत बेरोजगारी थी। रोजाना लगभग 5 कत्ल की वारदातें होती थीं। न्यूयॉर्क के नए मेयर ने अपने स्वागत भाषण में ऐलान किया था- ‘यह आरोप कि न्यूयॉर्क को सुधारा नहीं जा सकता, और यह शहर अब बर्बाद है, मैं इसे गलत साबित करके दिखा दूंगा।

कैसे किया उनके प्रशासन ने यह सब न्यूयॉर्क जैसे महानगर में, गुलियानी प्रशासन की सफलता नागरिक प्रशासन के इतिहास में एक पाठ की तरह अध्ययन की जानी चाहिए। सबसे पहला बीड़ा उठाया उन्होंने शहर के अपराध-बोध को हटाने का, नागरिकों और पर्यटकों में शहर में सुरक्षा की भावना पैदा करने का। उन्होंने पुलिस में काफी वृद्धि की और सुरक्षा का पूरा नक्शा ही बदल दिया। श्री गुलियानी ने शहर को चलाया एक कंपनी के प्रबंधक की तरह और उनसे कई नाराज थे। इनमें हिस्पेनिक और काले शामिल थे, क्योंकि पुलिस कभी अति पर भी उतर आती थी। लेकिन श्री गुलियानी ने हमेशा पुलिस और प्रशासन का ही साथ दिया। इन आठ सालों में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में तेजी होने का भी बड़ा सहारा है, जिससे शहर में आमदनी व व्यवसाय बढ़े और न्यूयॉर्क वापस से ‘कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड‘ बन गया। लेकिन इस सपने को साकार करने में श्री गुलियानी हमेशा लगे रहे। टाइम्स स्क्वेयर के इलाके को उन्होंने पर्यटकों का चमन बना दिया।

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