यू – 571

5 मई 2005

यू - 571 क लीडर कभी भी, किसी भी परिस्थिति में यह नहीं कह सकता कि उसे हर सवाल का जवाब नहीं पता। उसे जवाब मालूम हो या नहीं, उसकी टीम के लिए उसमें और उसके निर्णयों में पूर्ण विश्वास अति आवश्यक है। विपरीत परिस्थितियों में तो और भी।’ यह ही है यूनिवर्सल पिक्चर्स की नई जोरदार एक्शन फिल्म ‘यू-571‘ की कहानी का निर्णायक मोड़, जब परिस्थिति से नायक की कमान संभाले एक लांसनायक ‘महानायक‘ बन जाता है।

यू-571‘ द्वितीय विश्वयुद्ध के कथानक पर आधारित एक तेज, जोशीली फिल्म है। जर्मन पनडुब्बियों ने एलीस की नाक में दम कर रखा था और उसके पीछे था उनका अत्यंत गुप्त रेडियो सिग्नल सिस्टम ‘इंजिमा‘, जिसको अंग्रेज तोड़ नहीं पाए थे और जर्मन पनडुब्बियों की गतिविधियों पर वे बिल्कुल काबू नहीं कर पा रहे थे।

उस मिशन को पूरा करने एक खतरनाक तरीके से कुछ चुनिंदा अंग्रेज नौसैनिक एक पुरानी जर्मन पनडुब्बी में जर्मन फौजी बनकर मुश्किल में फंसी दूसरी जर्मन पनडुब्बियों को मदद करने के बहाने उसके क्र्यू और रेडियो कोड मशीन पर कब्जा करने निकल पड़ते हैं। मिशन लगभग कामयाब हो जाता है, लेकिन हालात के पलटते पुरानी जर्मन पनडुब्बियां ही उन नौ अंग्रेज फौजियों का आखिरी आसरा रह जाती हैं।

बचे हुए नौ आदमियों के नायक के रूप में मैथ्यू मॉकोनी ने प्रभावी प्रदर्शन किया है

बचे हुए नौ आदमियों के नायक के रूप में मैथ्यू मॉकोनी ने प्रभावी प्रदर्शन किया है। जब मौत सामने हो और कोई रास्ता नहीं, तब तो सिर्फ हौसला ही कई बार हार और जीत का फैसला बन जाता है। निर्देशक जोनाथन मास्टो ने पनडुब्बी के अंदर के घुंटे-फंसे माहौल में नाविकों की आपसी कशमकश और अपने से कहीं भारी शत्रु से लड़ने की हिम्मत को बड़े अच्छे ढंग से दिखाया है, क्योंकि रेडियो कोड को बचाना उनके जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण था। फिल्म के एक्शन सीन तो जोरदार हैं। इस तरह की सबमेरिन लड़ाई पर सीन कॉनेरी की ‘हंट फॉर रेड अक्टोबर‘ भी काफी अच्छी फिल्म थी पर अभी तो हाल ही में जारी ‘यू-571‘ ने सारे अमेरिका में चर्चे बांध रखे हैं और मैथ्यू मॉकोनी की एक्टिंग की पुरजोर तारीफ हो रही है।

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