अभी तक आपने ई.टी. नहीं देखी?
किसी ने सच कहा है कि नाम नहीं, काम बड़ा होना चाहिए। इसका ‘ई.टी.’ फिल्म से बेहतर उदाहरण मिलना मुश्किल है। दो अक्षरों का यही नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स’ में दर्ज है, विश्व में सर्वाधिक व्यवसाय करने वाली फिल्म के रूप में। ‘ई.टी.’ आज के तनाव भरे माहौल में आपको कल्पना और सपनों की ऐसी दुनिया में ले जाएगी, जिसमें आप खोना पसंद करेंगे। यह प्यार, ममता और मासूमियत का ऐसा संदेश है, जो दिल को छू लेता है।
निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ‘साइन्स फिक्शन’ के क्षेत्र में एक स्थापित नाम है। इस विधा से परंपरागत रूप से जुड़े विशाल, चौंधिया देने वाले सेट, इलेक्ट्रॉनिक वाद्य संगीत, हैरतअंगेज कर देने वाले उपकरण और तेज फोटोग्राफी- यह कुछ भी इस फिल्म में नहीं। इनकी जगह है एक मासूम, प्यारा-सा प्राणी ‘ई.टी.’। वह किसी सुदूर ग्रह से पृथ्वी पर आता है। निर्देशन की पहली उल्लेखनीय सफलता इस प्राणी के शरीर की कल्पना है, जो कहीं से भी भयावह और डरावना नहीं लगता। एक बालक इलियट (हेनरी थॉमस) से मुलाकात के बाद दोनों में दोस्ती हो जाती है। ई.टी. इलियट के घर पर ही रहने लगता है (या लगती है)। इन्हीं की आश्चर्यजनक घनिष्ठता, मित्रता की दास्तां है यह फिल्म। दोनों में कोई समानता नहीं है। मिलती है तो सिर्फ बाल-सुलभ संभावनाएं। धीरे-धीरे इलियट और उसके भाई-बहन ई.टी. को पृथ्वी के रहन-सहन से परिचित और अभ्यस्त कराते हैं।
इन्हीं स्थितियों की कल्पना, ‘डिफ्यूस्ड’ रोशनी में की गई है। फोटोग्राफी और मर्मस्पर्शी पार्श्व संगीत इस पूरे घटनाक्रम को मनोरंजक बना देते हैं। इसमें इलियट और ई.टी. का आसमान में साइकल-चालन का दृश्य तो निर्देशक की कल्पना का चरम है। पार्श्वभूमि में सूर्य का दैदीप्यमान गोला लिए यह दृश्य सिनेमा इतिहास में एक सीमा चिन्ह है।
हर मिलन का अंत विछोह में ही होता है। ई.टी. को भी अपने घर की याद सताने लगती है। जब उसके जाने का पूरा इंतजाम कर दिया जाता है; तभी कुछ वैज्ञानिकों का कौतूहल इन ‘बच्चों’ की उमंग से टकराता है। वैज्ञानिक इस प्राणी को कैद कर रखना चाहते हैं अपने अनुसंधान के लिए। इलियट और उसके परिवारजन ई.टी. को पिंजरे से मुक्त कराने की ठान लेते हैं। दो ग्रहों के वासियों के बीच एक अटूट अनकहा बंधन स्थापित होता देखना सचमुच एक अलग ही अहसास है। ‘अंत भला सो सब भला’ वाले भाव पर फिल्म समाप्त होती है। ई.टी. और इलियट का अंतिम मिलन हर आंख को भिगो देता है और हर लब पर शायद यही पंक्तियां उभर आती हैं- यह सच है कि जुदाई में नहीं मरता है कोई/खुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे।’
फिल्म : ई.टी. (एक्स्ट्रा टेरिस्ट्रियल)
भाषा : अंग्रेजी
समय : 115 मिनट
पार्श्व संगीत : जॉन विलियम
लेखिका : मेलिसा मॉल्थसन
निर्माता : स्टीवन स्पीलबर्ग एवं केथलीन कैनेडी
निर्देशक : स्टीवन स्पीलबर्ग
कलाकार : डी वॉलेस, पीटर कोयोट, हेनरी थॉमस
निर्माण संस्था : यूनिवर्सल पिक्चर्स (1982)