कैंसर की दवा खोजी भारतीय मूल की ‘अनु’ ने
मात्र सोलह वर्ष की भारतीय मूल की अनुपमा ‘अनु’ कोथा ने कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का प्राकृतिक इलाज खोज लिया है। इस खोज के लिए अनु को कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। वे टैम्पा (फ्लोरिडा) की निवासी हैं। सैन जोस (कैलिफोर्निया) में विगत 51वें इंटरनेशनल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग फेयर में कोथा को चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहला पुरस्कार मिला। उन्हें इस खोज के लिए तीन हजार डॉलर पुरस्कार के रूप में मिले थे।
द वंडर ग्रेप
उनके द्वारा खोजी गई औषधि अंगूर में पाई जाती है। अनु ने अपने शोध ‘द वंडर ग्रेप – एंटी प्रोलीफिरेटिव एण्ड एपोप्टोटिक इफेक्ट्स ऑफ रेस्वेराट्रॉल ऑन एन आईएच-3 टी-3 सेल्स‘ में यह निष्कर्ष निकाला कि अंगूर में पाया जाने वाला रसायन रेस्वेराट्रॉल कैंसर की कोशिकाओं पर कैसा व क्या प्रभाव डालता है? कोथा उन 1000 उच्चतर माध्यमिक स्कूल के छात्रों में से एक थीं, जिन्हें 45 देशों के इस विज्ञान मेले के लिए निमंत्रित किया गया था। यह प्रतियोगिता उन छात्रों के लिए थी जो 9वीं ग्रेड से लेकर 12वीं ग्रेड में पढ़ रहे हैं।
विज्ञान मेले का निमंत्रण
इंटैल कंपनी द्वारा आयोजित होने वाले इस मेले- इंटैल आईएसईएफ- को विज्ञान प्रतियोगिताओं के क्षेत्र में ओलिम्पिक का दर्जा दिया जाता है। प्रतिवर्ष करीब 30 लाख से लेकर 50 लाख छात्र-छात्राएं अपना वैज्ञानिक शोध करते हैं जिनमें से करीब 1200 को इंटैल आईएसटीएफ में भाग लेने के लिए न्यौता दिया जाता है। कोथा उन 1000 उच्चतर माध्यमिक स्कूल के छात्रों में से एक थीं, जिन्हें 45 देशों के इस विज्ञान मेले के लिए निमंत्रित किया गया था।
यह शोध अनु ने टैम्पा के एच ली मोफ्फीट कैंसर सेंटर में तथा प्रोफेसर रिचर्ड जोव की देखरेख में किया था। अपनी शिष्या की उपलब्धि पर जोव ने कहा कि ‘मैं अनु की उपलब्धि से अति प्रसन्न हूं।‘ अनु का यह शोध दो वर्षों से जारी था। चूंकि यह शोध इंसान की कोशिकाओं पर नहीं किया गया है, इसलिए अनु की इच्छा है कि वह यह शोध तब तक जारी रखे जब तक इसका प्रभाव इंसान की कोशिकाओं पर भी दिखाई देने लगे।
पर कैंसर ही क्यों? अनु ने बताया कि उनके परिवार में कैंसर का प्रकोप ज्यादा है। उनके दादा-दादी का देहांत कैंसर से हुआ था। वे भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं, इसलिए उन्होंने प्राकृतिक उपचार पर ध्यान दिया है। रेस्वेराट्रॉल पर किसी ने ज्यादा शोध नहीं किया था, इसलिए अनु ने इस चुनौती को स्वीकारा था। अब तक अनु को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें हिल्सबरो काउंटी रीजनल साइंस फेयर में प्रथम पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें जीव विज्ञान में यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। इसके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। अनु अपने स्कूल के प्रथम ग्रेड से गर्ल्स स्काउट रही हैं तथा इसमें उन्हें चांदी का पदक भी मिल चुका है। वे कई संस्थानों की सदस्य हैं। वे टैम्पा के तेलुगू एसोसिएशन में नृत्य करती हैं और विभिन्न भारतीय नृत्य प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं। वे गीत गाना, फुटबॉल खेलना भी पसन्द करती हैं। अनु को टेनिस खेलने का भी शौक है।