पद्मभूषण सम्मान की सूचना से अभिभूत हैं डॉ. राणावत
गणतंत्र दिवस की संध्या पर न्यूयॉर्क स्थित भारतीय उच्चायोग में न्यूयॉर्क इलाके के गणमान्य नागरिकों के कार्यक्रम में कुछ अलग-सा माहौल था। एक-दूसरे से मिलने और गणतंत्र दिवस की बधाई से पहले लोग एक-दूसरे से गुजरात में आए भूकम्प से विनाश की ज्यादा बातें कर रहे थे।
इंदौर से जुड़े होने पर गर्व
मेरी नजर अचानक पड़ी विश्व प्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ और भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत डॉ. चितरंजन राणावत पर, जो वहां उच्चायोग के सभागार में दाखिल हो ही रहे थे। मैंने तुरंत सारे इंदौर की ओर से बढ़कर डॉ. राणावत को पद्मभूषण पर हार्दिक बधाई और शुभकामना व्यक्त की और कहा कि हमें आपके इंदौर से जुड़े होने पर गर्व है। अत्यंत सहजता से धन्यवाद कहते हुए डॉ. राणावत ने अपनी चिर-परिचित सी मुस्कान की झलक दे दी। पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें तो पहले इस अवॉर्ड के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था और उनके अलंकरण की सूचना उन्हें न्यूयॉर्क में भारतीय उच्चायुक्त शशि त्रिपाठी ने फोन करके दी।
पास खड़ी श्रीमती राणावत ने तो चुटकी लेते हुए कहा कि डॉ. राणावत को तो ठीक से पुरस्कार का नाम भी नहीं पता था। मैंने डॉ. राणावत से पूछा कि कैसा लग रहा है तो निःश्छलता से बोले ‘अच्छा ही लग रहा है‘। वे और उनकी पत्नी आपस में कयास लगाने लगे कि यह पुरस्कार कौन तय करता है और राष्ट्रपति भवन से यह नाम की घोषणा कैसे होती है। श्रीमती राणावत ने डॉ. राणावत को बताया कि संगीत से जुड़ी दो हस्तियों को सबसे बड़ा अलंकरण मिला है पर उस अलंकरण का नाम वे भूल रही थीं।
डॉ. राणावत से बातचीत
मैंने डॉ. राणावत से पूछा कि आपकी अगली हिन्दुस्तान और इंदौर यात्रा, हंसकर बोले अभी तो कुछ तय नहीं, पर देखिए शायद जब यह अलंकरण समारोह हो तब। अमेरिकन महिला होने के बावजूद बातचीत से श्रीमती राणावत तुरंत भांप गईं कि यह कोई इंदौर वाला डॉ. राणावत को बधाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि वे 1969 में पहली बार इंदौर गई थीं और आखिरी बार पिछले साल और इन दोनों के बीच इंदौर में बहुत बदलाव आया है।