महिला टेनिस में रुसी क्रांति
फुटबॉल विश्व कप और भारत की वेस्टइंडीज पर ऐतिहासिक जीत खेल समाचारों पर ऐसे छाए हुए हैं कि टेनिस के वार्षिक महाकुंभ विम्बल्डन पर तो गोया इंग्लैंड वालों की भी कम नजर है। इस बार के विम्बलडन या यूं कहें, पूरे महिला टेनिस जगत में पिछले 2-3 सालों से एक ‘लाल क्रांति’ सी आ गई है। यह आंदोलन है महिला टेनिस में रूसी महिला खिलाड़ियों का दबदबा, जो इस वक्त पुरजोर है। इन आंकड़ों पर एक नजर डालिए और हर टेनिस प्रेमी शायद अचंभित हो जाएगा। 1974 में आखिरी बार किसी रूसी महिला खिलाड़ी ओल्गा मोरोज़ोवा ने टेनिस का ग्रैंड स्लैम फाइनल खेला था। 2002 में टेनिस की पहली 30 पायदान में सिर्फ एक रूसी महिला खिलाड़ी थी।
फिर- 2004 के आते पहली विश्व महिला टेनिस के पहले दस में से 5 स्थान रूस के नाम थे। 2004 के साल में फ्रेच, विम्बल्डन और उस यूएस ओपन जीतने वाली तीनों महिलाएं रूसी थीं। इस वर्ष विम्बल्डन में रैंकिंग प्राप्त 32 महिला खिलाड़ियों में से 8 रूसी हैं, जिनमें पहले 17 में से 6 रूसी हैं। विम्बल्डन में भाग ले रही 128 महिला खिलाड़ियों में 30 रूस से हैं (यह पंक्तियां लिखे जाने तक # 4 मारिया शारापोवा, # 7 एलेना देमेनतिएवा और # 9 अनास्तसिया मिस्किना विम्बल्डन के क्वार्टर फाइनल दौर में अंतिम 8 तक पहुंच गई हैं)। और इस वक्त महिला टेनिस दुनिया की पहली 100 रैंकिंग में से कोई 20 रूसी बालाओं ने टेनिस के कोर्ट और उसे बाहर – दोनों जगह अपनी धाक जमा दी है। यह विम्बल्डन ही है कि 1911 के बाद इस साल पहली बार कोई भी अमेरिकी खिलाड़ी पुरुष और महिला एकल प्रतियोगिता के क्वार्टर फाइनल में भी नहीं पहुंचा है।
महिला टेनिस के पिछले 25 साल :
पिछले 25 सालों के महिला टेनिस को देखें तो कई विशिष्ट हिस्से नजर आते हैं। सबसे पहले था मार्टिना, क्रिस एवर्ट और ट्रेसी ऑस्टिन का दौर, जिसके खत्म होने तक स्टेफी ग्राफ, मोनिका सेलेस और जेनिफर कैप्रियाती महिला टेनिस पर छाई रहीं। फिर आया बूम-बूम विलियम वीनस और सेरेना बहनों का बेजोड़ तोड़, जिसने महिला टेनिस को घर की बपौती बना दिया। और इसी के पटाक्षेप में आ गया है ‘रूसी लाल क्रांति’।
अन्ना कोर्निकोवा ने की शुरुआत :
इसमें कोई शक नहीं कि इस आंदोलन की पहली पहचान थी अन्ना कोर्निकोवा। अन्ना कोर्निकोवा की शोहरत की शुरआत तो टेनिस कोर्ट से ही हुई थी, लेकिन अपनी किशोर उम्र और आकर्षक नाक-नक्श से अन्ना बहुत ही जल्द व्यावसायिक मॉडलिंग की दुनिया में छा गई। यह और बात है कि वह अपने टेनिस करियर में कोई भी ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता जीत नहीं पाई। लेकिन उनके पोस्टर और फोटोग्रॉफ सारी दुनिया में छा गए। पांच वर्ष की आयु में टेनिस रैकेट हाथ में लेने वाली कोर्निकोवा 11 वर्ष की आयु में फ्लोरिडा के निक बोलेटिएरी टेनिस अकादमी में टेनिस सीखने आ गई। उसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
रूसी टेनिस की पहचान – मारिया शारापोवा :
कोर्निकोवा की ही तरह मारिया शारापोवा भी 8 वर्ष की उम्र में अपने देश रूस को पीछे छोड़कर फ्लोरिडा की निक बोलेटिएरी टेनिस अकादमी में आ गई थीं। 2004 की विम्बल्डन विजेता मारिया शारापोवा ने टेनिस के कोर्ट और उसके बाहर मॉडलिंग की दुनिया में धूम मचा दी है। इन सबसे उनकी सालाना कमाई 1.50 करोड़ डॉलर (75 करोड़ रुपए) आंकी गई है। महंगी गाड़ियों और प्रसाधनों के कई विज्ञापनों में शारापोवा नजर आती हैं। लेकिन इसके रहते सिर्फ 19 वर्षीय शारापोवा ने अपने टेनिस पर आंच नहीं आने दी है।
टेनिस कन्याओं की “फैक्टरी” :
हालांकि रूस की महिला टेनिस में प्रगति उल्लेखनीय है, लेकिन इसमें कोई सरकारी या सार्वजनिक मुहिम का योगदान नहीं है। बस, सोवियत साम्राज्य के विघटन के बाद आर्थिक प्रगति के रास्ते तलाशते कई परिवारों को खेल और टेनिस का रास्ते नजर आया। मॉस्को के पास स्पार्टक क्लब की सिर्फ एक इंडोर टेनिस कोर्ट पर अभ्यास करते हुए कोई 150 रूसी कन्याओं में से आज के नामी सितारे निकल आए हैं। इसमें कोर्निकोवा, मिस्किना और देमेनतिएवा तो एक दूसरे के साथ खेलकर ही बड़ी हुई थीं। और उनकी कोच थी टेनिस खिलाड़ी राइसा उजलोवा, जिनके बेटे मरात साफिन और बेटी दिनारा साफिन दोनों ने टेनिस में अच्छी सफलता हासिल की है। स्पार्टक क्लब के कोच महज 5-6 वर्ष की आयु में ही प्रतिभावान कन्याओं को ढूंढ़कर उनको अभ्यास कराना प्रारंभ कर देते हैं। टेनिस के कोर्ट और उसके बाहर मॉडलिंग और विज्ञापन की दुनिया से जोरदार कमाई और कोर्निकोवा-शारापोवा की शोहरत और व्यावसायिक सफलता।