मौजूदा संकट अमेरिका के लिए सदमा
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में पैदा हुए ताजा गंभीर संकट से यहाँ के वित्त विश्लेषक भी हैरत में हैं। उनकी राय में अमेरिका के लिए यह सारी स्थिति सदमे की तरह है। हालाँकि अधिकतर ने तरलता के जरिये बाजार को सुधारने की सलाह दी है।
पूर्व फेडरल रिजर्व चीफ एलेन ग्रीनस्पेन के मुताबिक अमेरिका सदी की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। वित्त विपदाएँ इसमें ‘आग में घी‘ का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तक घरेलू कीमतों में सुधार नहीं होता, इन हालात से ऐसे ही जूझना पड़ेगा। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था इतना बुरा वक्त देख रही है।
एक पूर्व केंद्रीय बैंकर के अनुसार इससे बुरी स्थिति उन्होंने अपने पेशे में कभी नहीं देखी। हालाँकि उन्होंने उम्मीद जताई कि हालात जल्द ही सामान्य होने लगेंगे।
डब्ल्यूएल रॉस एंड कंपनी के चेअरमैन और सीईओ विलबर रॉस ने कहा ‘आने वाले महीनों में हजारों बैंक बंद होंगे। यही स्थिति निवेशकों के लिए अवसर पैदा करेगी। मुझे लगता है कई क्षेत्रीय बैंकों पर भी ताले पड़ जाएँगे। इन बैंकों ने 90 के दशक में भी बचत और ऋण से जुड़े ऐसे ही हालात पैदा किए थे।‘
रॉस एक ऐसे छोटे वित्तीय संस्थान की तलाश में हैं, जहाँ निवेश की संभावना हो। वे इसके लिए जोखिम नहीं उठाना चाहते, इसीलिए स्थिर जमापूँजी वाले स्रोत पर ध्यान दे रहे हैं, ऋण उपलब्ध कराने वाली निवेश सूची पर नहीं। पिमको के सीईओ ईआई एरैन का कहना था ‘हमें तरलता लाना होगी और इसे पूँजी के विस्तार के लिए जल्द जुटाना होगा। मौजूदा संकट से उबरना भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि निकाय के पास पर्याप्त पूँजी नहीं है।’
निवेश सलाहकार मार्क फेबर की भी ऐसी ही राय थी। उन्होंने कहा कि वित्तीय गिरावट और आगे कितना जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। हमें कुछ परिवर्तन करना होंगे, क्योंकि केंद्रीय बैंक बाजार में तरलता लाएगा। नतीजतन, ब्याज दरें गिरेंगी। अमेरिकी बैंक पहले ही भयानक स्थिति का सामना कर रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आता अमेरिकी बैंक को मेरिल लिंच को सत्तर फीसदी राशि देने की जरूरत क्या थी?