सनी का कोई सानी नहीं
छह मार्च 1971, पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद। 7 मार्च, 1987 गुजरात स्टेडियम, अहमदाबाद। विश्व के पांचों महाद्वीपों में असंख्य क्रिकेट प्रेमियों के दिलों को अपनी प्रतिभा से मंत्रमुग्ध करने वाले सुनील मनोहर गावस्कर की रन यात्रा आज अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई है। 5472 दिनों के लगभग अनवरत सफर में अर्जित 10,000 रनों की दाद देने वाले हर चहेते को सर्वप्रथम धन्यवाद देना चाहिए एक अज्ञात व्यक्ति श्री नारायण मासुरेकर उर्फ सनी के नान-काका को। सुनील के जन्म के समय उन्होंने अस्पताल में बालक के बाएं कान के पास एक निशान देखा था। अगले दिन वह निशान गायब था।
दौड़-धूप के बाद पता चला कि नहलाने के बाद नर्स ने सनी को गलती से एक मछुआरिन के पास पालने में लिटा दिया था। अगर नान-काका की पैनी निगाहों से वह चूक हो जाती तो उसके परिणाम विश्व क्रिकेट में वर्णनातीत ही नहीं होते। सलामी बल्लेबाजी को सनी ने जो रूप दिया है, उससे न सिर्फ भारतीय वरन विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की टीम में वे निर्विरोध रूप से स्थान पा गए हैं। और अगर क्रिकेट के समूचे इतिहास में से 11 खिलाड़ियों को चुना जाए तो भारत की ओर से गावस्कर ही इस गौरव को प्राप्त कर सकेंगे। सनी के साथ टेस्ट मैचों में सलामी बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त जोड़ीदार की तलाश में चयनकर्ता 17 खिलाड़ियों को मौका दे चुके हैं। पर सिर्फ तीन, चेतन चौहान, श्रीकांत व आंशिक रूप से अंशुमन गायकवाड़- सनी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में सफल रहे हैं। परन्तु इसके बावजूद विश्व के सभी धुआंधार व घुमावदार गेंदाबजों का सनी ने जिस समार्थ्य व एकाग्रता से सामना किया है, वह सर लेन हटन के शब्दों में, ‘एक साधारण व महान खिलाड़ी में फर्क जाहिर करता है।‘
अहमदाबाद में ही तीन वर्षों पहले सुनील ने जैफ बॉयकाट का सर्वाधिक व्यक्तिगत रनों (8114) का कीर्तिमान तोड़ा था और आज रनों की हिमालय श्रृंखला की ‘सगरमाथा’ भी अहमदाबाद पर ही सनी के बल्ले से लिखी गई। उचित ही है कि लिटिल मास्टर ने तेज गेंदबाजी में सिरमौर वेस्ट इंडीज के खिलाफ सिर्फ 27 टेस्टों में 2749 रन बनाए हैं, जिनमें 221 चौकों व 6 छक्कों से सुसज्जित 3 द्विशतक व 10 शतक शामिल हैं। अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला में 154.80 के औसत से 774 रन बनाकर सनी ने सम्पूर्ण क्रिकेट विश्व को हतप्रभ कर दिया था। और 124 टेस्ट मैचों व 212 पारियों के लम्बे सफर को तय करने के बाद भी आज गावस्कर का औसत 50 से ऊपर है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रारंभिक बल्लेबाजी आजकल जिस दिलेरी व साहस का कार्य बन गया है, वह खिलाड़ियों के सुरक्षा कवचों को देखकर जाहिर हो जाता है, परन्तु सिर्फ 5 फुट 5 इंच ऊंचे सुनील ने जिन ऊंचाइयों को छू लिया है, उन पर भविष्य में कोई पहुंच पाएगा? यह सवाल ही अत्यन्त जटिल लगता है, फिर उसके जवाब को पूरा करने वाला खिलाड़ी कैसा होगा- इसका जवाब तो सिर्फ सनी दे सकते हैं।
क्रिकेट में सुनील का योगदान
भारतीय व विश्व क्रिकेट में सुनील के योगदान को रनों व शतकों के रूप में नहीं आंका जा सकता। कीर्तिमान कभी स्थायी नहीं रहते, वर्ना खुद गावस्कर रोजाना कीर्तिमानों व आंकड़ों को बनाते-तोड़ते नहीं रहते। परन्तु इस आयाम को ही निभाने में बी.बी. मामा व सुधीर वैद्य का आधा समय निश्चित गुजर जाता होगा। यहां तक कि सी.डी. क्लार्क ने तो रिकार्ड-ब्रेकिंग गावस्कर नाम की एक पुस्तक सुनील के नित नए कीर्तिमानों की गाथा में लिखी है।
गावस्कर ने जो पूर्णतः ‘कमिटेड‘ खिलाड़ी का रूप प्रस्तुत किया है, जो क्रीज पर अपना पूरा ध्यान व एकाग्रता कर अपने खेल में एक महान फनकार की कला का उत्कृष्टतम सृजन उजागर होता है। सनी शुरू से ही सिर्फ सर्वश्रेष्ठ की खोज में रहे हैं। और उनकी तुलना भी ‘रन मशीन‘ कहलाने वाले ब्रेडमैन से की जाती है। निःसंदेह ब्रेडमैन ने बहुत कम समय में बहुत अधिक रन अर्जित किए हैं और उनका औसत गावस्कर से दोगुना है, परन्तु सलामी बल्लेबाजी की अपनी शैली व एकाग्रता में सनी बेजोड़ हैं। शतकवीर गावस्कर की हर शतक में कोई नयापन होता है, परन्तु उनके हर स्ट्रोक व ड्राइव में वर्षों की तपस्या झलक उठती है।
टेस्ट क्रिकेट में ज्यादातर ‘धीमे‘ कहलाने वाले सनी ने सन् 1978 में सिर्फ 76 दिनों में 1000 रन बनाकर आलोचकों की इस संज्ञा को भी गलत ठहरा दिया। गौरवशाली हैं इमरान खान, जिन्हें सुनील को टेस्ट मैचों में सर्वाधिक बार आउट करने का श्रेय प्राप्त है।