बजट बाद बीएसई इंडेक्स 3000 पार कर जाएगा?
चौंकिए नहीं- क्या आप दो वर्ष पूर्व यह कल्पना भी कर सकते थे कि विश्व की महाशक्ति सोवियत संघ निकट भविष्य में अस्तित्वहीन हो जाएगी? या फिर बीसवीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण राजनयिक के रूप में पहचाने जाने वाले गोर्बाचेव विश्व पटल से पूर्णतः ओझल हो जाएंगे? इसी तर्ज में भारतीय मानस में सदा ही से ‘डर‘ और ‘खौफ’ की दृष्टि से देखे जाने वाले वार्षिक बजट से शेयर बाजार जैसे संवेदनशील व्यवसाय में और तेजी आएगी, इस कल्पना का प्रस्फुटित होना ही अपने आप में एक घटना है।
किंतु पूर्वाग्रहों से परे होकर अगर हम वर्तमान सरकार और उसके द्वारा निरंतर किए जा रहे आर्थिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए भविष्य का अंदाज लगाने का प्रयास करें, तो शेयर बाजार में तेजड़ियों की मजबूत गिरफ्त में कोई ढील अभी कहीं नजर नहीं आती है। लगता है कि इंडेक्स के 3000 पर पहुंचने की भूमिका तैयार है।
नरसिंहराव सरकार के सत्ता संभालने के बाद बीएसई इंडेक्स लगभग 1000 बिंदु ऊंचा हुआ है। जनवरी 92 में एक ही महीने में इंडेक्स में लगभग 400 बिंदुओं की तेजी आई है और वर्तमान 2500 का स्तर संभावित 3000 से सिर्फ 500 बिंदु ही दूर है। आज जब युवा वर्ग के ‘हीरो‘ गावसकर-कपिल देव या अनिल कपूर-सलमान खान से हटकर हर्षद मेहता-निमेष शाह हो गए हैं, तब तो लगता है कि इस वर्ष इंडेक्स चढ़ाई 3000 अंतिम लक्ष्य नहीं, वरन 3500 तक की यात्रा में एक उल्लेखनीय पड़ाव पर सिद्ध हो सकता है। पिछली 24 जुलाई को जब डॉ. मनमोहनसिंह का बजट आया था, तब बीएसई इंडेक्स 1500 के लगभग था। इस बजट के समय इंडेक्स 1000 पाइंट बढ़कर 2500 के इर्दगिर्द पहुंच गया है।
बजट के बाद भी सरकार इंडेक्स को और सुदृढ़ देखना चाहेगी, इसका सीधा अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले बजट में इस बजट तक की अवधि में लगभग हर हफ्ते अर्थव्यवस्था के सुधार और उदारीकरण के हेतु सरकार कोई न कोई ऐसी घोषणा करती रही, जिससे कि बाजार का रुख अनुकूल बना रहा। इससे साफ जाहिर होता है कि वर्तमान सरकार केपिटल मार्केट को अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान देना चाहती है, जिसके लिए अत्यावश्यक है कि सेंसेक्स ठोस बना रहे।
यह तथ्य तीन आंकड़ों से और भी स्पष्ट हो जाता है। पहला, 1992 में अब तक सेंसेक्स में लगभग 500 पाइंट की वृद्धि हो चुकी है। दूसरा, पिछले बजट से इस बजट की समयावधि में ऐसा 12 बार हुआ है कि बी.एस.ई. इंडेक्स में विगत दिन में बंद सूचकांक से 5 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि अगले दिन आई है। दूसरे शब्दों में जुलाई से अब तक ऐसा लगभग 20 बार हुआ है कि सेंसेक्स में किसी दिन के उच्चांक और पिछले बंद सूचकांक में 40 से अधिक पाइंट की उल्लेखनीय तेजी आई हो। ये बढ़त एक्सचेंज अधिकारियों द्वारा समय-समय पर लगाई गई कड़ी पाबंदियों और शर्तों, म्युचुअल फंड व वित्तीय संस्थाओं द्वारा भारी बेचान, ‘प्राफिट बुकिंग’ और ‘टेक्नीकल करेक्शन‘ के बाद भी अनवरत बनी रही है, यही इसकी सुदृढ़ता का सबसे बड़ा परिचायक है।
नीचे क्रमानुगत पिछले बजट से अभी तक सेन्सेक्स की चुनिंदा छलांगों का वर्णन दिया हुआ है, जो कि इस प्रकार है : दिनांक उस दिन हुई महत्वपूर्ण घटना/घोषणा; महत्वपूर्ण भावों सहित उस दिन का सेन्सेक्स उच्चांक; (विगत बंद सूचकांक से उच्चांक का फर्क)।
19 जुलाई 91 : अवमूल्यन का अंतिम दौर व बैंक ऑफ इंग्लैंड को गिरवी रखे सोने की चौथी और अंतिम खेप रवाना; एसीसी 2580, एल.एंडटी. 110, टिस्को 214, 1455.75 (+13.22)
24 जुलाई : 7719 करोड़ के घाटे का बजट पेश एवं नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत लाइसेंस राज का अंत; 1561.08 ( 75.32)
26 जुलाई : सरकार द्वारा कंपनियों में निवेश हेतु विदेशी पूंजी की अंश सीमा ५१ प्रतिशत तक बढ़ा देने का विचार; 1630.27 ( 74.74)
29 जुलाई : बजट के बाद स्टॉक एक्सचेंज में भारी तेजी; एसीसी 3200, अपोलो टॉयर 105, 1679.95 ( 79.79)