न्यूयॉर्क : जनवरी में जून का मौसम
चौंकिए नहीं, इस रपट में कोई गफलत नहीं है। गफलत है तो अमेरिका के मौसम में। न्यूयॉर्क सहित अमेरिका के पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में सबसे ‘गर्म‘ सर्दी ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 2007 को अभी से अमेरिका के इतिहास का सबसे गर्म वर्ष माना जा रहा है। शनिवार 6 जनवरी के दिन न्यूयॉर्क शहर में पारा रिकॉर्ड 72 डिग्री फ़ारेनहाइट (यानी 22 डिग्री सेल्सियस) तक चढ़ गया। इससे पहले 1950 में 6 जनवरी को पारा 63 डिग्री फ़ारेनहाइट (यानी 17 डिग्री सेल्सियस) और 26 जनवरी 1950 को 72 डिग्री तक गया था। सामान्य रूप से जनवरी में न्यूयॉर्क शहर में तापमान 38 डिग्री फ़ारेनहाइट (यानी 3 डिग्री सेल्सियस) रहता है।
अपनी ‘व्हाइट क्रिसमस‘ (बर्फ से ढंके क्रिसमस और नववर्ष) के लिए मशहूर न्यूयॉर्क को अभी तक तो मौसम की पहली बर्फ का भी दर्शन नहीं हुआ है। इससे पहले तक सन् 1878 का साल न्यूयॉर्क शहर के इतिहास में दर्ज था, जब मौसम की पहली बर्फ 4 जनवरी जितनी देर से हुई थी। 2006-7 की सर्दी में अभी तक बर्फ के दर्शन ना होने से 128 वर्षों का यह रिकॉर्ड टूट गया है।
बेमौसम की धूप :
आज तो धूप इतनी तेज और खुशगवार थी, कि कोई स्वेटर या जैकेट पहनने की भी जरूरत महसूस नहीं हुई। अप्रैल के महीने में खिलने वाली ‘चेरी ब्लॉसम‘ के कुछ गुलाबी पुष्प अभी जनवरी के पहले सप्ताह में ही बहार पर आ गए हैं। अभी तो हिन्दुस्तान में कड़ाके की सर्दी और घने कोहरे की खबर पढ़कर देहली, ग्वालियर, रायपुर जैसे शहरों में रिश्तेदारों से बात करने पर और मौसम के हालचाल की चर्चा करते हुए एक किस्म का ‘ग्लानि-बोध‘ होता है कि इससे कहीं ज्यादा सर्दी की मार तो भारत में पड़ रही है।
मौसम के इस अजीबोगरीब खेल ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। मौसम पर इतने गहरे शोध के बावजूद सर्दी की इतनी ‘विलंबित‘ शुरुआत का किसी को भी अंदेशा नहीं था। कुछ मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रशांत महासागर में ‘अल निनो’ का प्रभाव है। कुछ इसे ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का दुष्परिणाम बता रहे हैं। लेकिन अभी इसका कोई ठोस कारण समझ में नहीं आया है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :
बेमौसम के इस गर्म मौसम से जहां सामान्य जनजीवन में बेशक राहत और सुकून महसूस होता है, वहीं अमेरिका में मौसम के बदलते रंगों का अर्थव्यवस्था से गहरा रिश्ता है। इस ‘गर्म सर्दी‘ ने सभी और अपने प्रभाव दिखाए हैं। क्रिसमस – नववर्ष के पहले अमेरिका के सबसे व्यस्त खरीददारी के मौसम में सर्दी के गर्म कपड़े की खरीदी पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इक और जहां सर्दी में घरों को गर्म करने के लिए होने वाली मासिक खर्च में बहुत कमी है, वहीं विश्व बाजार में ‘तेल‘ की कीमतों में गिरावट में इस गर्म तापमान का योगदान है। बर्फीले तूफान और बर्फ के अंबार से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन और नागरिक- अपने-अपने स्तर पर बहुत कुछ सामान खरीदते हैं। पर बर्फ नजर तो आए?
स्कीइंग तो है, पर मजा नहीं :
अमेरिका के पूर्वोत्तर राज्यों में सर्दी में स्कीइंग जैसे शीतकालीन क्रीड़ा से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है। इस बार इन सब धंधों में मंदी है। कृत्रिम रूप से मशीनों के द्वारा बनाए ‘स्नो’ पर स्कीइंग और ‘आइस स्केटिंग’ हो रही है, लेकिन उसके साथ तापमान में जब कुर्की बजाने वाली ठंड ना हो, तो असली शीत क्रीड़ा का आनंद ही नहीं आता। जनवरी में भी सेंट्रल पार्क में घास पर टहलने और तालाब में नाव चलाने के लिए लोग लालायित हैं। आइसक्रीम की खूब बिक्री हो रही है। सिर्फ सर्दी में ही तैयार होने वाले कुछ खास किस्म के अंगूरों के बागों के मालिक परेशान हैं, क्योंकि उनके अंगूरों में शायद ही बहार आए।
कोलाराडो में बर्फ का अंबार :
अमेरिका के पूर्वोत्तर में ‘माइल्ड विंटर‘ से सभी हतप्रभ हैं, वहीं कोलाराडो राज्य में बर्फ सारे कीर्तिमान तोड़ गई। पिछले तीन सप्ताह में एक के बाद एक तीन भारी बर्फीले तूफानों ने पूरे कोलाराडो का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। क्रिसमस के समय से डेन्वेर शहर कई फीट गहरी बर्फ की चादर से ढंका है।
मौसम के प्रकोप :
पिछले कुछ सालों से मौसम के प्रकोप ने अमेरिका में काफी कहर ढाया है। फ्लोरिडा में बार-बार आए समुद्री तूफान, फिर न्यू ऑर्लींस में अतिवृष्टि का तांडव, और अब पूर्वोत्तर में ठेठ सर्दी की मौसम के बीच यह गर्मी प्रकृति और पर्यावरण के साथ हो रहे खिलवाड़ का कहीं तो असर दिखेगा ही। अभी भी सर्दी में 2-3 महीने बाकी हैं। अनुमान है कि अगले सप्ताह ही तापमान 30 डिग्री फेरेनहाइट तक गिर जाएगा। हिन्दुस्तान में इंद्र देव के रूठने पर मनाने के लिए होते हवन, पूजन, पाठ की तरह शायद यहां भी ‘बर्फ‘ के देवी-देवता को मनाना पड़ेगा। सर्दी और बर्फ आएगी तो देर से, लेकिन फिर गोया ऐसी आएगी कि जाने का नाम ही नहीं लेगी। खैर, तब तक तो हम यहां जनवरी में धूप का आनंद लें। और आप अमेरिका के पूर्वोत्तर में अपने वालों से बात करते समय पूछ लीजिएगा ‘और क्या, पिछले सप्ताह गर्मी कैसी थी?‘