पैनी नजर ‘जहांगीर’ की

29 जुलाई 1992

पैनी नजर 'जहांगीर' कीजे.आर.डी. टाटा के प्रबंधन की सदैव यह विशेषता रही है कि उन्होंने छोटी से छोटी बात को भी हमेशा पूरा महत्व दिया। शायद इसके सबसे जीवंत उदाहरण जे.आर.डी. द्वारा विभिन्न समयों पर एअर इंडिया की विमान सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए दिए गए सुझाव थे।

पहली नजर में तो अधिकांश मुद्दे ‘तुच्छ’ जान पड़ते हैं, पर करीब से देखने पर इनसे जे.आर.डी. की विलक्षण क्षमताओं का सागर दिखाई पड़ता है, जो उस ऐतिहासिक वाक्य को चरितार्थ करता है, ‘आप छोटी चीजों की ओर ध्यान दे दें, बड़ी चीजें खुद-ब-खुद ठीक हो जाएंगी।’ एअर इंडिया में अपनी हर यात्रा के दौरान जे.आर.डी. विमान में हर पहलू पर अपने अनुभव नोट करते थे और उनके आधार पर अपने सुझाव, प्रशंसा अथवा रोष को लगातार व्यक्त करते रहते थे।

एक बार उन्होंने एअर इंडिया के विज्ञापनों में कुछ परिवर्तन करने के लिए मध्य रात्रि में प्रचार प्रमुख जाल कावसजी को फोन कर दिया। ‘महाराजा’ (एयर इंडिया का पहचान चिह्न) को सतत श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होते देखना चाहने वाले ‘जहांगीर’ की पैनी नजर के कुछ उदाहरण देखिए :

मैंने कुछ परिचारिकाओं को सफेद लिपिस्टिक का प्रयोग करते हुए देखा है, वह दूर से अच्छी नहीं दिखाई पड़ती
  • ‘हमारे विमानों में गाढ़ी ब्रिटिश बीयर यात्रियों को पेय के रूप में दी जाती है। मेरे विचार में उड़ान के दौरान यात्री हल्की बीयर ज्यादा पसंद करेंगे।
  • जिनेवा से उड़ान के बाद दी गई चाय का रंग कॉफी से ज्यादा अलग नहीं था। यह रंग उसमें नैसर्गिक तौर पर है अथवा अधिक उकाली के कारण, कृपया जांच करवाएं।
  • विमान में कुछ कुर्सियां अधिक आरामदेह हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए, हर यात्री को समान रूप से आरामदेह यात्रा का अधिकार है।
  • परिचालक दल के सदस्य उड़ान के दौरान विमान के गलियारे में धूम्रपान करते हैं। इससे यात्रियों के मन में हमारी विमान सेवा का विपरीत प्रभाव पड़ता है। परिचालक दल को सिर्फ उनके लिए निर्धारित स्थान पर ही बैठकर धूम्रपान की अनुमति होनी चाहिए।
  • उड़ान के दौरान भोजन परोसते समय यात्रियों की कुर्सियों के ऊपर लगी रोशनी अवश्य जलाई जानी चाहिए। इससे भोजन परोसने और खाने के बर्तनों की चमक बढ़ जाएगी और यात्रियों पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
  • विमान परिचारिकाओं को उनके पहनावे और साज-श्रृंगार का निर्णय करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहनी चाहिए। परंतु उन्हें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें सैकड़ों यात्री देखते हैं और उनका सुंदर किंतु सौम्य व्यक्तित्व यात्रियों के मन में एअरलाइन की अच्छी छवि अंकित करता है। मैंने कुछ परिचारिकाओं को सफेद लिपिस्टिक का प्रयोग करते हुए देखा है, वह दूर से अच्छी नहीं दिखाई पड़ती।
  • उड़ान से पूर्व प्रसाधन कक्ष (टॉयलट) में टिश्यू पेपर के रोल व्यवस्थित ढंग से नहीं रखे हुए थे।’

जिस विमान सेवा के अध्यक्ष भी उसकी सेवाओं के प्रति इतना सजग और जागरूक हों उसकी सफलता में तो कोई संदेह रह ही नहीं जाता और यही हुआ भी। इसीलिए कड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के बावजूद 1968 में लंदन के एक अखबार द्वारा किए गए सर्वेक्षण में एअर इंडिया ‘विश्व की सबसे अच्छी विमान सेवा’ के खिताब से पुरस्कृत हुई। निर्णायक मंडल की एक सदस्या के अनुसार, ‘मैं रोम में विमान के पड़ाव के दौरान अपनी कुछ चाकलेट विमान में अपनी सीट पर रखकर उतर गई थी। जब मैं वापस लौटी, तो चाकलेट यथावत रखी थी किंतु सिर्फ उसी कुर्सी के पास की खिड़की बंद कर दी गई थी, ताकि चाकलेट धूप पड़ने से पिघल न जाए।’

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