निवेशक की जेब तक पहुंचने का रास्ता उसके दिल से होकर है!
पिछले दिनों बहुचर्चित सिने-तारिका पूजा भट्ट के न्यूनतम परिधानों में विभिन्न आकर्षक मुद्राओं के विशाल रंगीन चित्रों की श्रृंखला देश के कई अखबारों के पन्नों और पाठकों के दिलो-दिमाग पर छाई रही। फिल्मों में अपने अभिनय के जरिये पूजा भट्ट द्वारा अर्जित ‘मासूमियत‘ की इमेज का तो इन ‘ग्लैमरस‘ चित्रों से दूर-दूर तक कोई वास्ता न था। परंतु चित्रों को देखने के बाद सबसे पहला सवाल जो पाठकों के मन में आया, वो यही था कि इन चित्रों को प्रकाशित करने का प्रयोजन क्या था? इन चित्रों के शीर्षक से ये तो स्पष्ट था कि वे संपादकीय प्रयोग न होकर किसी विज्ञापन का अंश थे, लेकिन विज्ञापन किस ‘चीज‘ का? जितने पाठक थे, उतनी ही अटकलें थीं- पूजा भट्ट की किसी आने वाली फिल्म का विज्ञापन। किसी ‘बिकनी‘ और महिलाओं के लिए अंतरवस्त्र बनाने वाली कंपनी के विज्ञापन। किसी रमणीय पर्यटन स्थल का विज्ञापन आदि-आदि। जी नहीं, सभी अटकलों को निराधार साबित करते हुए जब पाठकों को यह ज्ञात हुआ कि विज्ञापन बीयर और शराब बनाने जा रही एक कंपनी वेस्ट कोस्ट ब्रूअर्स एंड डिस्टलर्स लिमिटेड के पब्लिक इश्यू से संबंधित थे, तो वे स्तब्ध रह गए।
वे टू ए मेन्स हार्ट इज थ्रू हिज स्टमक
अंग्रेजी में गृहिणियों के लिए एक प्रचलित कहावत है ‘वे टू ए मेन्स हार्ट इज थ्रू हिज स्टमक‘ (जिसका भावार्थ यह है कि किसी आदमी का दिल जीतने का सबसे सुगम मार्ग उसे स्वादिष्ट भोजन कराकर यानी उसके पेट के जरिये है)। किंतु, कड़ी प्रतिस्पर्धा के वर्तमान युग में पब्लिक इश्यू लेकर आ रही वेस्ट कोस्ट ब्रूअरी (वेस्ट कोस्ट पेपर कंपनी से कोई संबंध नहीं) ने तो इस पुरातन घरेलू कहावत को एक नया रूप देकर कुछ ऐसा बना दिया कि, ‘वे टू द इन्वेस्टर्स पॉकेट एंड पर्स इज थ्रू हिज हार्ट।’
इस ‘हाई-प्रोफाइल‘ विज्ञापन अभियान से जुड़े तीन-चार महत्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब तलाशने का मैंने प्रयास किया- क्या कंपनी द्वारा इस विज्ञापन श्रृंखला पर किए गए खर्च ने ‘सेबी‘ द्वारा पब्लिक इश्यू के लिए निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया? पब्लिक इश्यू में कंपनी के कार्मिक और वित्तीय विषयों को प्राथमिकता देने के बजाय सिर्फ किसी ‘मॉडल‘ को दिखाना कहां तक सही है? क्या यह लोकप्रिय या चर्चित व्यक्तियों के आभामंडल के जरिये निवेशकों को लुभाने की एक नई प्रथा की शुरुआत नहीं है?
खैर, सबसे पहली नजर इस कंपनी, इसके प्रवर्तकों और उसकी योजनाओं पर। कंपनी द्वारा जारी ‘प्रॉस्पेक्ट्स’ के अनुसार वेस्ट कोस्ट ब्रूअर्स को सन् 1971 में ही एक कंपनी के रूप में वैधानिक मान्यता प्राप्त हो गई थी, और 1975 में उसे बीयर-शराब बनाने का लाइसेंस भी प्राप्त हो गया था। किंतु, विभिन्न कारणों से कुछ समय पहले तक कामकाज शुरू हुआ ही नहीं। गत वर्ष सरलक्स डायग्नोस्टिक कंपनी समूह के प्रबंधकों श्री दीपक गोयल-श्री लाल गोयल ने वेस्ट कोस्ट का अधिग्रहण कर लिया। इसी 1 सितंबर को कंपनी का 10 करोड़ 86 लाख रुपए का सामान्य अंशों के लिए सार्वजनिक निर्गम खुला था, जो कि इश्यू बंद होने की प्रथम तारीख 4 सितंबर को बंद हो गया था।
पानी की तरह बहाया पैसा
कंपनी ने अपने प्रॉस्पेक्टस में इस पब्लिक इश्यू से संबंधित सभी खर्चों (इश्यू प्रबंधक, सह प्रबंधक, रजिस्ट्रार, दलाल, हामीदारी मुद्रण, वितरण, विज्ञापन आदि) का अनुमान 1 करोड़ रुपए दर्शाया है। यदि इश्यू से जुड़े अन्य खर्चों को कम से कम आंकने के बाद भी इश्यू के विज्ञापन के लिए कंपनी ‘प्रॉस्पेक्टस‘ के अनुसार 20-25 लाख रुपए से अधिक खर्च करने की स्थिति में कदापि नहीं थी। लेकिन, विज्ञापन दरों की बारीकियों से अनभिज्ञ सामान्य पाठक भी यह अनुमान लगा सकते हैं कि कंपनी ने पूजा भट्ट के विज्ञापनों से पैसा खर्चा नहीं किया वरन् पानी की तरह बहाया है।
पिछले चंद हफ्तों से वेस्ट कोस्ट- पूजा भट्ट के आधे पेज के सिर्फ रंगीन विज्ञापन कई क्षेत्रीय, राष्ट्रीय अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। राष्ट्रीय दैनिक जैसे- ‘टाइम्स ऑफ इंडिया‘, के रविवारीय रंगीन संस्करण में विज्ञापनदर 1600 रुपए प्रति कॉलम सेंटीमीटर की है। अर्थात् आधे पेज (लगभग 200 सेंटीमीटर) की कीमत हो गई तीन लाख रुपए से अधिक। और, यह सिर्फ एक राष्ट्रीय अखबार में एक बार विज्ञापन देने का खर्च है, फिर जिस प्रकार वेस्ट कोस्ट ने विज्ञापनों की ‘झड़ी‘ लगा दी, उसकी लागत निश्चित करो़ड़ों रही होगी। यही नहीं, इस लेखक ने इश्यू-अवधि के दौरान बंबई में पूजा भट्ट- वेस्ट कोस्ट की जो छटा विज्ञापन-होर्डिंग्स पर देखी, वह तो शब्दों में वर्णन से परे है। बंबई में, जहां होर्डिंग्स पर विज्ञापन की दर 20,000 से लेकर 1,50,000 रुपए प्रति माह तक की है, वहां वेस्ट कोस्ट के छोटे-बड़े मिलाकर इतने होर्डिंग्स थे कि बंबई की सड़कों पर चल रहा कोई भी व्यक्ति पूजा भट्ट और वेस्ट कोस्ट को चाहकर भी अनदेखा नहीं कर सकता था। इसके अलावा, कंपनी ने ‘कार-स्टिकर‘ पोस्टर आदि और भी कई विज्ञापन माध्यमों का जमकर प्रयोग किया।